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Siddharthnagar News: अधिवक्ता संशोधन बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरे वकील, तहसील परिसर से लेकर मंदिर चौराहे तक किया गया प्रदर्शन
Siddharthnagar News: डुमरियागंज में वकीलों ने कार्य बहिष्कार कर अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार के अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 को लेकर शुक्रवार को बार एसोसिएशन व आदर्श बार एसोसिएशन के नेतृत्व में वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया।
Siddharthnagar News: डुमरियागंज में वकीलों ने कार्य बहिष्कार कर अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार के अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 को लेकर शुक्रवार को बार एसोसिएशन व आदर्श बार एसोसिएशन के नेतृत्व में वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने काला कानून वापस लो, अधिवक्ता एकता जिंदाबाद जैसे नारे लगाए। डुमरियागंज तहसील के सभी न्यायालयों में अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन किया और तहसील से लेकर मंदिर चौराहा तक विरोध प्रदर्शन व नारेबाजी करते हुए मार्च किया तथा वापस तहसील पहुंचकर उपजिलाधिकारी डा. संजीव दीक्षित को राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन दिया।
अधिवक्ताओं की संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करता
अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह व देवेंद्र कुमार पाठक ने बताया कि अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 2025 सभी अधिवक्ताओं की संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करता है तथा अधिनियम की धारा 35(ए) और अनुच्छेद 21 पूर्ण रूप से अधिवक्ताओं की आवाज को दबाने एवं न्यायानयो द्वारा अधिवक्ताओं पर अंकुश व दबाव बनाने का काला कानून है, हम अधिवक्तागण इस काले कानून का विरोध करते हुए तथा शासन से यह आशा रखते है कि काला कानून तत्काल वापस हो।
अधिवक्ताओं की मांग
अधिवक्ता शैलेन्द्र रावत, शिवशंकर चतुर्वेदी, राकेश श्रीवास्तव, इन्द्रमणि पाण्डेय, आशीष श्रीवास्तव आदि ने कहा कि अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को तत्काल वापस लिया जाए तथा हम अधिवक्ताओं की उपरोक्त मांग को पूरा किया जाए अन्यथा अधिवक्तागण इस लड़ाई को आरपार की लड़ाई लड़ने की रणनीति बनाने को बाध्य होंगे। राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन के माध्यम से अधिवक्ताओं ने मांग की कि अधिवक्ताओं एवं उनके परिवारों के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट बनाया जाए, काउंसिल में निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त किसी अन्य को शामिल न किया जाए तथा उनके लोकतांत्रिक स्वरूप को अक्षुण्ण रखा जाए, काउंसिल के सदस्यों या अस्तित्व पर सुझाए गए संशोधनों को तत्काल समाप्त किया जाए, सम्पूर्ण प्रदेश के अधिवक्ता विशेषकर उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की मांग है कि प्रदेश के अधिवक्ताओं को 10 लाख रुपए का मेडिक्लेम तथा किसी भी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर 10 लाख रुपए की बीमा राशि दी जाए, रजिस्ट्रेशन के समय प्रत्येक अधिवक्ता से ली जा रही 500 रुपए की स्टाम्प राशि को क्षेत्रीय काउंसिल को वापस किया जाए तथा विधिक स्टाम्पों की बिक्री से राज्य सरकार को प्राप्त होने वाली धनराशि का 02 प्रतिशत अधिवक्ताओं के कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय किया जाए, जैसा कि केरल सरकार द्वारा किया जा रहा है, एडवोकेट एक्ट में पूर्व में जो नियम बनाने का अधिकार प्रदत्त था उसे यथावत रखा जाए। केन्द्र सरकार द्वारा नियम बनाने की बात तत्काल समाप्त की जाए। साथ ही, चूंकि पुराने अधिनियम में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है, इसलिए हम अधिवक्ता अधिवक्ता संशोधन विधेयक-2025 के संपूर्ण संशोधन को निरस्त करने की मांग करते हैं।
ये रहें मौजूद
इस दौरान अधिवक्ता रमापति सिंह, इकबाल यूसुफ मलिक, रामचंद्र सहाय, राधेश्याम सिंह, कृष्ण मोहन श्रीवास्तव, सुभाष चंद्र श्रीवास्तव, राम बहादुर यादव, राजेश कुमार दुबे, दुर्गेश श्रीवास्तव, हरेंद्र मौर्य, सुभाष विश्वकर्मा, मनोज मौर्या, रजनीश पाण्डेय, भारत भूषण यादव, अवधेश कुमार राही, अवध बिहारी, राजीव कुमार, रमन श्रीवास्तव, मिथलेश, प्रवीण, रंजीत, रत्नेश, सुनील आदि सहित भारी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।