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मीरा बाबा के सालाना उर्स का आयोजन, अकीदतमंदों ने मांगी दुआएं, चढ़ाई चादर
Siddharthnagar News:हल्लौर गांव के मध्य स्थित मीरा बाबा के मजार प्रांगण में आयोजित उर्स का पहला दिन वक्त कमेटी की देखरेख में संपन्न हुआ।
Siddharthnagar News: जिले के डुमरियागंज तहसील छेत्र के हल्लौर स्थित अब्दुल रसूल मीरा बाबा के सालाना उर्स का आयोजन हुआ। दो दिवसीय कदीमी उर्स के मौके पर दूर दराज से आए हिंदू मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपनी-अपनी आस्था के आधार पर बाबा की मजार पर चादर चढ़ाकर मनौती मांगी। साथ ही पूर्व की मन्नतों को आस्था के साथ परंपरागत तरीके से पूरा किया। दो दिवसीय उर्स के पहले दिन की शुरुआत सुबह की नमाज के बाद कुरान ख्वानी से हुई।
वहीं दोपहर की नमाज से पूर्व फातिहा की नजर वक्फ शाह आलमगीर कमेटी के तत्वावधान में खादिम गुलाम अली और कमियाब हैदर बबलू ने संयुक्त रूप से किया। हल्लौर गांव के मध्य स्थित मीरा बाबा के मजार प्रांगण में आयोजित उर्स का पहला दिन वक्त कमेटी की देखरेख में सकुशल संपन्न हुआ। उर्स में पूर्व की भांति दरगाह चौक पर मेले का आयोजन भी किया गया। जिसमें दूर दराज से मिठाई खिलौने झूले तथा तरह-तरह के पकवान की दुकानें सजी।
इस संबंध में वक्फ शाह आलमगीर सानी के मोतवल्ली नौशाद हैदर एडवोकेट ने बताया कि मीरा बाबा का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना है। ये अपने भाई और साथियों ने साथ ईरान के शहर मशहद से भारत में इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए आए थे। जहां जनपद सिद्धार्थनगर के हल्लौर गांव आकार रुके, और यहां पर बसे। थारू प्रजाति के लोगो से उनका शास्त्रार्थ हुआ। अपने व्यवहार और चरित्र से उन्होंने अधिकांश लोगां को अपना अनुयायी बनाया। उनके मरणोपरांत प्रतिवर्ष उनका उर्स मनाया जाता है।
मीरा बाबा की मजार पर सभी वर्ग जाति के लोग अपनी अपनी मुरादे लेकर आते हैं जिसके पूर्ण होने पर उर्स के मौके पर उसे परंपरागत तरीके से पूरा करते है। कहा जाता है कि भारत में आज भी सूफी संतों की मजारों से एकता और सौहार्द की सीख मिलती है। जहां पर सभी धर्मो के लोग बिना भेदभाव के एकत्र होकर एक साथ अपनी अपनी मनोकामना को लेकर पहुंचते है। क्षेत्र में मीरा बाबा का मजार आज भी हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक मानी जाती है। इस मौके पर महफूज मैक्स, आफताब हैदर, आयान, फैजान, रावी, लकी और वफादार उपस्थित रहे।