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Siddharthnagar News: सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां शुरू, सजने लगे घाट
Siddharthnagar News: डुमरियागंज तहसील क्षेत्र में छठ पूजा के लिए घाटों की साफ-सफाई शुरू हो गई है। राप्ती नदी तट पर जहां डुमरियागंज नगर पंचायत प्रशासन ने साफ-सफाई का अभियान चला रखा हैं।
Siddharthnagar News: डुमरियागंज तहसील क्षेत्र में छठ पूजा के लिए घाटों की साफ-सफाई शुरू हो गई है। राप्ती नदी तट पर जहां डुमरियागंज नगर पंचायत प्रशासन ने साफ-सफाई का अभियान चला रखा हैं। वहीं ग्राम पंचायत जाखौली में एडवोकेट रमन श्रीवास्तव की अगुवाई में ग्रामीण साफ सफाई में जुटे हुए हैं। एडवोकेट रमन श्रीवास्तव ने बताया कि सूर्य उपासना के पर्व की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी है। पूजन सामग्रियों की खरीदारी का दौर भी शुरू हो चुका है। घाटों पर वेदी बनाने के साथ ही साज-सज्जा के कार्य में पूजा समितियां जुट गई हैं।
अधिशाषी अधिकारी महेश प्रताप श्रीवास्तव ने बताया कि राप्ती नदी तट की साफ सफाई, वेदियों का रंगाई पुताई के साथ ही और भी नई वेदियां बनाई जा रही हैं। घाटों पर बैरिकेटिंग युद्ध स्तर चालू हैं। छठ घाट को लाइट व झालर से सजाया जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए पीने का पानी व अस्थाई शौचालय की भी व्यवस्था की गईं हैं। पुलिस क्षेत्राधिकारी सुजीत राय ने राप्ती नदी तट स्थित छठ पूजन वाले स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि लोक व आस्था का पर्व छठ यहां पर धूमधाम से मनाया जाता हैं, घाट पर काफी भीड़ होती हैं, दूर दूर से लोग यहां आते हैं। हर बार की तरह इस बार पुलिस की व्यवस्था चाक चौबंद रहेंगी तथा चप्पे चप्पे पर पुलिस की निगरानी होगी। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से गहराई में न जाने, नदी में लगे सुरक्षा घेरे से आगे न जाने व यातायात के नियमों का पालन करते हुए प्रशासन का सहयोग करने का आवाहन किया हैं।
नहाय खाय से शुरू होगा व्रत - पंडित राकेश शास्त्री
डुमरियागंज थाने के बगल शिव मन्दिर के वरिष्ठ पुरोहित पण्डित राकेश शास्त्री ने बताया कि छठ महापर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होगा। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है। इसमें सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस साल में छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होगी और इसका समापन 20 नवंबर को होगा। मान्यता है कि छठ पूजा में व्रत रखकर सूर्य-छठी मैय्या की उपासना करने से संतान पर कभी कष्ट नहीं आता। बच्चों की खुशहाली, तरक्की के लिए ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 16 नवंबर को नहाय खाय हैं। छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान कर नए वस्त्र धारण करते हैं और शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
17 नवंबर को खरना हैं। खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता। 18 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाना हैं। छठ पूजा का तीसरा दिन बहुत खास होता है। इस दिन शाम को अस्तगामी सूर्य यानि डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाना है। टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाएगा। नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है। 19 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाना हैं। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देना हैं। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। छठ पूजा में मन-तन की शुद्धता बहुत जरुरी है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।
संजय बिहारी ने 1997 से शुरू की थी छठ पूजा
राप्ती नदी तट पर छठ पूजा की शुरुआत 1997 में संजय सोनी (बिहारी) ने किया था। संजय सोनी मूलतः बिहार के सिवान जिला के रहने वाले हैं, जो रोजगार के सिलसिले में डुमरियागंज कस्बे में 1992 में आए और बतौर राजमिस्त्री काम करना शुरू किया। उस समय छठ के त्योहार के समय में वह पूरे परिवार के साथ घर चले जाते थे। आने जाने में काफी पैसा खर्च हो जाता था इसलिए उन्होंने 1997 में राप्ती नदी तट पर मिट्टी का वेदी बनाकर पूजन शुरू किया और छठ माता से मनौती माना की मैया जब यहां हमारा खुद का मकान बन जायेगा, तब मैं घर न जाकर पक्का वेदी बनाकर यही पर पूजन करूंगा। उनकी मनौती पूरी हुई उन्होंने अपना भव्य पक्का मकान डुमरियागंज कस्बे में बना लिया, और 2007 में पक्का वेदी राप्ती नदी तट पर बनाकर छठ मैया का पूजन आरम्भ किया।
उस समय कुछ स्थानीय लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा और उनको उत्तर छोर वाले घाट से दक्षिण छोर वाले घाट पर वेदी बनाने को कहां गया, लेकिन स्थानीय संभ्रांत लोगों के प्रयास से वेदी इस पार उत्तर छोर वाले घाट पर ही बनी और पूजा आरम्भ हुई। शुरुआत के समय में संजय सोनी के अलावा कुछ बिहार प्रदेश, देवरिया जनपद के नौकरी पेशा लोग ही छठ पूजा करते थे। लेकिन धीरे- धीरे लोगों को छठी मैया के पूजन के लाभ व चमत्कार का ज्ञान हुआ, लोगों का विश्वास छठी मैया पर जगा और भीड़ धीरे धीरे बढ़ती ही गई। पूर्व के वर्ष में छठ पर्व पर हजारों की संख्या में वेदी बनी थी और दसों हजार की संख्या में भीड़ इकट्ठा हुई थी। इस बार भी काफी भीड़ इकट्ठा होने की संभावना हैं।