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मालिनी ने सुनाया 'रानी का अटल सुहाग रहे' गीत, श्रोताओं ने ऐसे किया स्वागत
मालिनी अवस्थी ने कार्यक्रम की शुरुआत सूफी गीत ‘मोको कहां ढूंढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास रे’ से की। इसके बाद उन्होंने अपनी खनकती आवाज में राम जन्म के समय के गीत मचल रहीं आज महलन मा दाई पेश किया।
बाराबंकी: देवा मेला ऑडिटोरियम विख्यात लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी के अवधी और पारंपरिक गीतों के सुरों से गूंज उठा।
कार्यक्रम में मालिनी अवस्थी ने भजन, लोकगीत, भोजपुरी गीत, छठ गीत और सोहर की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मालिनी अवस्थी ने कार्यक्रम की शुरुआत सूफी गीत ‘मोको कहां ढूंढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास रे’ से की। इसके बाद उन्होंने अपनी खनकती आवाज में राम जन्म के समय के गीत मचल रहीं आज महलन मा दाई पेश किया।
जिस पर लोग झूम उठे। उन्होंने सुहाग गीत सिया रानी का अटल सुहाग रहे, राजा राम के सिर पर ताज रहे गाकर लोगों को मुग्ध कर दिया।
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इसके बाद सेहरा गीत राम पहिरे फूलन को सेहरा गाकर अवध की संस्कृति से परिचय कराया। अपनी खनकती आवाज में मालिनी अवस्थी ने एक से एक पारंपरिक गीतों को प्रस्तुत कर समां बांधा और लोगों को तालियां बजाकर झूमने पर मजबूर कर दिया।
गीत-संगीत का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। वहीं मालिनि अवस्थी ने कहा कि लोकगायन के क्षेत्र में नई पीढ़ी ने प्रभावी दस्तक दी है। शास्त्रीय और लोकगायन दोनों क्षेत्रों का भविष्य स्वर्णिम है।
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