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UP By Election 2024 : सीसामऊ उपचुनाव में ध्रुवीकरण बनेगा निर्णायक, सपा और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा की जंग
UP By Election 2024 : कानपुर की सीसामऊ विधानसभा (Sisamau Bypoll) सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है।
UP By Election 2024 : कानपुर की सीसामऊ विधानसभा (Sisamau Bypoll) सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। इस सीट पर लंबे समय से सपा का कब्जा बना हुआ है और पार्टी ने इस बार भी अपना कब्जा बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। सपा विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता रद्द होने के बाद सपा ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी पर दांव लगाया है जो अपने आंसुओं के दम पर लोगों का समर्थन पाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
करीब 45 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं वाले इस इलाके में भाजपा भी अपनी ताकत दिखाने का प्रयास कर रही है। भाजपा का पूरा फोकस हिंदू बहुल इलाकों में दिख रहा है और ऐसे इलाकों में पार्टी भारी भी दिख रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में ध्रुवीकरण ही निर्णायक भूमिका अदा करेगा। इस विधानसभा क्षेत्र का चुनाव सपा और भाजपा दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन गया है।
नसीम सोलंकी और सुरेश अवस्थी में सीधा मुकाबला
सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने सुरेश अवस्थी को चुनावी अखाड़े में उतारा है। सुरेश इससे पहले भी दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। 2017 में उन्होंने सपा के इरफान सोलंकी को करारी टक्कर दी थी मगर इरफान करीब साढ़े पांच हजार वोटों से जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे। सुरेश अवस्थी छात्र जीवन से ही सियासी मैदान में सक्रिय हैं और उन्हें जीत दिलाने के लिए इस बार भाजपा ने पूरी व्यूहरचना की है।
2022 के चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में सपा के टिकट पर इरफान सोलंकी ने जीत हासिल की थी। अदालत की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद इरफान की सदस्यता रद्द होने पर उपचुनाव कराया जा रहा है जिस पर सपा ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को मैदान में उतारा है। इरफान इन दिनों महाराजगंज जेल में बंद हैं। बसपा की ओर से वीरेंद्र कुमार शुक्ला सपा और भाजपा को चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
सोलंकी परिवार का लंबे समय से सीट पर कब्जा
इस विधानसभा सीट पर पिछले 22 साल से सोलंकी परिवार का कब्जा है। इरफान सोलंकी से पहले उनके पिता हाजी मुश्ताक सोलंकी इस सीट पर अपनी ताकत दिखाते रहे हैं। यदि पिछले तीन विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो सपा के टिकट पर इरफान सोलंकी की जीत का मार्जिन घटता बढ़ता रहा है। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 19,663 वोटों से जीत हासिल की थी मगर 2017 के चुनाव में उनके जीत का मार्जिन घट गया था।
2017 में भाजपा के सुरेश अवस्थी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी जिसमें इरफान सोलंकी 5826 वोटों से विजयी रहे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में इरफान ने 12,266 मतों से जीत हासिल की थी। अब विधानसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद यह विधानसभा चुनाव सोलंकी कुनबे के साथ ही सपा के लिए भी प्रतिष्ठा की जंग बन गया है।
विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण
इलाके के जातीय समीकरण के बात की जाए तो इस क्षेत्र में 45 फ़ीसदी मुस्लिम मत सपा के लिए मजबूत आधार साबित होते रहे हैं। मुस्लिम मतों के दम पर ही सपा यहां ताकत दिखाने में कामयाब रही है। यदि हाल के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो सपा को मुस्लिम मतों का पूरा समर्थन हासिल होता रहा है। क्षेत्र में 25 फ़ीसदी जनरल मतदाता भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
क्षेत्र में करीब 16 फ़ीसदी दलित मतदाता हैं जबकि 14 फ़ीसदी विभिन्न अन्य जातियों से जुड़े मतदाता हैं। सपा मुस्लिम मतदाताओं के अलावा दूसरी बिरादरी में भी सेंधमारी की कोशिश में लगी हुई है जबकि भाजपा की ओर से जनरल, एसी और अन्य बिरादरी के मतदाताओं को एकजुट बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।
क्षेत्र के जानकार लोगों का कहना है कि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी ध्रुवीकरण बड़ा असर दिखाएगा। यही कारण है कि दोनों दलों की ओर से अपने-अपने किले को सुरक्षित बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।
कितना असर दिखाएगा नसीम का आंसू
सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी की ओर से मतदाताओं में सहानुभूति की लहर पैदा करने की कोशिश की जा रही है। वे अपनी चुनावी सभाओं के दौरान आंसू बहा रही हैं और अपने पति और पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को न्याय दिलाने की गुहार लगा रही है। वे यह कहना नहीं भूलतीं कि उनकी जीत से इरफान सोलंकी को न्याय मिलने का रास्ता खुल जाएगा। नामांकन से पहले भी उनकी आंखों में आंसू छलक आए थे। वे अपनी चुनावी सभाओं में जनता को यह बताने में जुटी हुई हैं कि उनके पति के साथ ज्यादती की गई है।
सपा नेताओं ने वार्ड से लेकर बूथ स्तर तक समर्थन जुटाने की रणनीति बना रखी है। अब देखने वाली बात होगी कि नसीम सोलंकी के आंसू चुनाव में कितना असर दिखा पाते हैं। नसीम सोलंकी के पक्ष में सपा मुखिया अखिलेश यादव भी सभा कर चुके हैं। हालांकि बुधवार को हुई उनकी सभा में सपा नेता अपेक्षित भीड़ नहीं जुटा सकी। सपा मुखिया की चुनावी सभा में आधी से अधिक कुर्सियां खाली पड़ी थीं। वैसे कानपुर सपा में काफी गुटबाजी भी दिखती रही है।
योगी का सपा पर तीखा हमला
दूसरी ओर भाजपा भी सीसामऊ में सपा के जीत के सिलसिले को तोड़ने की कोशिश में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस चुनाव क्षेत्र में जनसभा कर चुके हैं और इस दौरान उन्होंने सपा पर तीखा हमला बोला था। योगी की जनसभा दर्शनपुरवा इलाके में कराई गई थी और वहां योगी ने इरफान सोलंकी का नाम लिए बगैर कड़ा प्रहार किया था।
उनका कहना था कि कानपुर का दंगाई महाराजगंज जेल में बंद है मगर सपा वाले उसे निर्दोष बता रहे हैं। उन्होंने 1984 के दंगे की भी याद दिलाई थी और राजू पाल और उमेश पाल की हत्या के समय सपा की चुप्पी पर सवाल भी उठाए थे। विधानसभा उपचुनाव में योगी के नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ की गूंज भी सुनाई दे रही है। इस नारे का असर भी इस विधानसभा उपचुनाव में दिख सकता है।
ध्रुवीकरण का दिखेगा बड़ा असर
भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और प्रदेश के कई मंत्रियों की टीम इलाके में डेरा डाली हुई है। कई विधायक और एमएलसी भी इलाके में डटे हुए हैं। भाजपा नेता सपा शासन काल की खामियां बताते हुए इरफान के बहाने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोल रहे हैं।
मुस्लिम इलाकों में सपा का ज्यादा असर दिख रहा है तो हिंदू बहुत इलाकों में भाजपा भारी दिख रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि सीसामऊ में ध्रुवीकरण निर्णायक भूमिका अदा करेगा और यही चुनाव नतीजे का आधार बनेगा।