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फिर टूटा भाई दूज के दिन इस लाचार बहन का सपना, भाई से मिलने तक नहीं दिया
भाई दूज... भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने वाला एक ऐसा पर्व जिसका इंतजार हर कोई करता है। मगर शाहजहांपुर में एक बदनसीब बहन ऐसी भी है जिसे अपने ही भाई से
शाहजहांपुर: भाई दूज... भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने वाला एक ऐसा पर्व जिसका इंतजार हर कोई करता है। मगर शाहजहांपुर में एक बदनसीब बहन ऐसी भी है जिसे अपने ही भाई से नहीं मिलने दिया गया। कारण था मां-बाप के बीच की लड़ाई। महज 12 साल की बच्ची अपने भाई से मिलने के लिए तड़पती रह गई। उसने पुलिस से भी मदद की गुहार लगाई मगर नाकामयाब रही। आखिरकार मासूम बच्ची को अपने भाई से मिले बिना ही वापस लौटना पड़ा।
क्या है मामला?
- थाना रोजा के ग्राम बलिया निवासी कामना दुबे की शादी 14 साल पहले थाना सिंधौली के ग्राम ककरौआ निवासी राम कुमार दुबे से हुई थी।
- कामना दुबे के मुताबिक शादी के बाद उन्होंने बेटे नितिन दुबे को जन्म दिया उसके एक साल के बाद बेटी नैन्सी दुबे का जन्म हुआ।
- दोनों के जन्म के कुछ समय बाद उसके सास ससुर और पति उसे मारने पीटने लगे। आए दिन उसके साथ मारपीट होने लगी।
- जब उसने विरोध किया तो उसके पति सास ससुर ने बेटे नितिन को छीन लिया और बेटी के साथ उसको घर से निकाल दिया।
- इसके कुछ समय बाद ही राम कुमार ने दूसरी शादी कर ली।
- इस लड़ाई में दो मासूम भाई बहन अलग हो गए। जिन्होंने उसके बाद ना कभी रक्षाबंधन मनाया ना भाई दूज।
- इस बार 12 वर्षीय नैंसी ने सोचा कि वो अपने भाई से मिलने जाएगी। मगर उसके पापा और सौतेली मां ने ऐसा नहीं होने दिया।
पुलिस भी नहीं कर सकी मदद
- घरवालों ने जब नैंसी को भाई से मिलने नहीं दिया तो वो कोतवाली पहुंची और पुलिस से मदद की गुहार लगाई।
-लेकिन पुलिस ने भी इस बहन की कोई मदद नही की।
मां कामना के मुताबिक उसने चार दिन पहले अपने बेटी को भईया दूज पर उसके भाई से मिलवाने की गुहार लगाई थी जिसके बाद एसपी ने सिंधौली पुलिस से कहा था कि भईया दूज के दिन सिंधौली पुलिस इस बच्ची को भाई से मिलाने उसके घर जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और एक बहन को मायूस होकर भाई से बगैर मिले ही घर जाना पड़ा।
बहन नैन्सी दुबे के मुताबिक वह अपने भाई से बहुत प्यार करती है। वह रक्षाबंधन के दिन भी अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने उसक घर गई थी। लेकिन उसके पिता दादा दादी और उसकी सौतेली मां ने मिलने नही दिया था। रक्षाबंधन के दिन भी वह अपने भाई की कलाई पर राखी नही बांध पाई थी। इसलिए उसे लग रहा था कि भईया दूज के दिन भी उसको भाई से मिलने नही दिया जाएगा। इसलिए उसने पहले ही एसपी सहाब से भईया दूज के दिन मिलने के लिए एप्लीकेशन दी थी। उसे उम्मीद थी कि भइया दूज के दिन पुलिस कुछ देर के लिए भाई से मिलवा देगी लेकिन ये भी नहीं हो पाया।