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UP Madrasa News: यूपी में 13 हजार अवैध मदरसे होंगे बंद, SIT ने योगी सरकार को रिपोर्ट सौंपी
UP Madrasa News: एसआईटी टीम ने अपनी रिपोर्ट में करीब 13 अवैध मदरसों को बंद करने की सिफारिश की है। जांच में जिन मदरसों को अवैध पाया गया है, उनमें से अधिकतर नेपाल बार्डर पर स्थित हैं।
UP Madrasa News: उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अवैध मदरसों की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) टीम ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में करीब 13 हजार अवैध मदरसों को बंद करने की सिफारिश की है। जांच में जिन मदरसों को अवैध पाया गया है, उनमें से अधिकतर नेपाल बार्डर पर स्थित हैं। वहीं, अब माना जा रहा है कि रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही मदरसा बोर्ड इन अवैध मदरसों पर कार्रवाई करेगा।
SIT ने किए चौंकाने वाले खुलासे
मीडिया रिपोर्ट के मुातबिक एसआई ने जो रिपोर्ट यूपी शासन को सौंपी है, उसमें एसआईटी ने कई बड़े खुलासे किए हैं। जिन तेरह हजार अवैध मदरसों को बंद करने की सिफारिश की गई है, उसमें अधिकतर मदरसे यूपी के महराजगंज, श्रावस्ती और बहराइच समेत सात जिलों के शामिल हैं। प्रत्येक जिलो में ऐसे अवैध मदरसों की संख्या 500-500 से अधिक है। एसआईटी ने इन मदरसों से उनकी आय की जानकारी मांगी थी, लेकिन मदरसा प्रशासन जानकारी नहीं दे सके। अधिकतर मदरसों ने अपने जवाब में चंदे की रकम से निर्माण कराने का दावा किया है, हालांकि वह चंदा देने वालों का नाम नहीं बता पाए हैं।
बता दें कि एसआईटी टीम लंबे समय से उत्तर प्रदेश में अवैध मदरसों की जांच कर रही थी, जो जांच अब पूरी हो गई है, जांच पूरी होने के बाद एसआईटी रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंप दी है। जांच में कुल 23 हजार मदरसों मेें से 5 हजार के करीब अस्थायी मान्यता का पता चला है, जिनमें से कई मदरसे बीते 25 सालों में मान्यता के मानक पूरे नहीं कर सके हैंं। जांच में यह भी सामने आया है कि अधिकतर मदरसों में बच्चों का अवैध शोषण भी हो रहा है। पूर्व में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, सबसे खास बात ये है कि इन मदरसों की मान्यता न होने के कारण यहां से पढ़ने वाले बच्चों को नौकरी भी नहीं मिल पाती है।
विदेशी फंडिग होने की हुई थी पुष्टि
नेपाल बार्डर पर चल रहे 80 मदरसों को विदेश से करीब 100 करोड़ की फंडिंग होने की पुष्टि बीते दिनों हुई थी। राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए सारे मदरसों की गहनता से जांच करने का एसआईटी को आदेश दिया था। इसके बाद से ही एसआईटी की टीम जांच कर रही थी।