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Sonbhadra News: 905 बीघे भूमि को लेकर बनी संघर्ष की स्थिति, जांच के लिए 10 सदस्यीय टीम गठित

Sonbhadra News: घोरावल तहसील क्षेत्र में उभ्भा की तरह, उसे सटे मरनी गांव में भी जमीन विवाद का बड़ा मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 1 Nov 2022 9:13 PM IST
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

Sonbhadra News Today: घोरावल तहसील क्षेत्र (Ghorawal Tehsil Area) में उभ्भा की तरह, उसे सटे मरनी गांव में भी जमीन विवाद का बड़ा मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। बताते हैं कि जमीन पर कब्जे और जोतकोड़ को लेकर दो वर्गों में खूनी संघर्ष की स्थिति बन गई थी। ऐन वक्त पर मिली सूचना और उसको लेकर प्रशासन-पुलिस की तरफ से दिखाई गई सूझबूझ ने जहां उभ्भा कांड जैसी घटना होने से बचा लिया।

वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन, पुलिस और वन विभाग की तरफ से जहां चैपाल लगाकर दोनों पक्षों की बातें सुनी गई। वहीं प्रकरण का निस्तारण होने तक, दोनों पक्षों को प्रश्नगत जमीन पर किसी तरह के जोत-कोड़, कब्जे से रोक दिया गया है। जमीन काश्त की है या वन विभाग की, इसकी जांच के लिए 10 सदस्यीय टीम गठित की गई है। रिपोर्ट आने के बाद मामले को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।

यहां से शुरू हुआ विवाद

बताते हैं कि मरनी गांव में एक ही नंबर की 905 बीघे जमीन स्थित है। कई ग्रामीणों का दावा है कि पूरी जमीन वन विभाग की है। पिछले लगभग 10-12 साल से इसके 129 बीघे जमीन पर भूर्तिया गांव के गुर्जर बिरादरी के लोगों का कब्जा, जोत-कोड़ बना हुआ था। शेष जमीन पर कोल बिरादरी के 12 से अधिक परिवार कब्जा जमाए हुए थे। बताते हैं कि गत अप्रैल में कोल बिरादरी के कब्जे वाली जमीन को, छुडाकर वन विभाग के लोगों ने पौधरोपण करा दिया। आरोप है कि गुर्जर बिरादरी के कब्जे वाली जमीन पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। इस बात ने अंदर ही अंदर आक्रोश की चिनगारी सुलगाना शुरू कर दिया। चर्चाओं की मानें तो संबंधित परिवार के लोग एक कथित नेता के यहां पहुंचे तो वहां से गुर्जर बिरादरी के कब्जे वाली जमीन पर मड़हा तानने की हरी झंडी मिल गई। इसके बाद रविवार की रात मड़हे ताने जाने का काम शुरू कर दिया गया। इसके बाद दोनों पक्षों के दर्जनों लोग आमने-सामने आ गए और तीखी तकरार शुरू हो गई। संयोग ही था कि किसी ने इसकी जानकारी प्रशासन, पुलिस और वन विभाग के लोगों को दे दी।

खबर मिलते ही तीनों अमलों की टीम मौके पर पहुंच गई। जमा भीड़ को वहां से हटाने के बाद ही, देर रात तक ताने गए मड़हों को हटवाने की कार्रवाई की गई। इसके बाद सोमवार को गांव में चैपाल लगाकर दोनों पक्षों की बातें सुनी गई। कोल बिरादरी के लोग वन विभाग की जमीन पर कई वर्ष से जमे कब्जे को वन विभाग द्वारा जबरिया हटाने और कार्रवाई में पक्षपात का आरोप लगाते रहे। वहीं गुर्जर समुदाय के लोग अपने कब्जे वाली जमीन को काश्त की जमीन होने का दावा करते रहे। एसडीएम श्याम प्रताप सिंह की तरफ से स्थिति को देखते हुए फिलहाल दोनों पक्षों को प्रश्नगत जमीन पर किसी तरह के कब्जे की कार्रवाई करने से रोक दिया गया। साथ ही इस मामले में जमीन की पैमाइश और राजस्व रिकर्ड की सही स्थिति जानने के लिए तहसीलदार की अगुवाई में सर्वे विभाग, पुलिस, राजस्व और वन विभाग की मौजूदगी वाली 10 सदस्यीय टीम गठित की गई है। एसडीएम श्याम प्रताप सिंह का कहना था कि जल्द ही प्रकरण का निस्तारण कर लिया जाएगा।

उभ्भा में इसी तरह के जमीनी विवाद में 11 की गई थी जान

बताते चलें कि कुछ इसी तरह के विवाद में गत 17 जुलाई 2019 को उभ्भा में गुर्जर बिरादरी और गोंड़ बिरादरी के बीच हुए खूनी संघर्ष में 11 आदिवासियों की जान चली गई थी। दुर्गम क्षेत्र का मामला होने के कारण मरनी गांव में भी विवाद और प्रशासनिक अमले की कवायद भी दो दिन तक लोगों की जानकारी में नहीं आ सकी। मंगलवार को जैसे ही लोगों को इसकी जानकारी मिली एक और उभ्भा जैसे मामले की आशंका और इसको लेकर दिखाई गई प्रशासनिक सूझबूझ को लेकर चर्चा शुरू हो गई।



Deepak Kumar

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