TRENDING TAGS :
मीट की दुकान चलाने से रोकने पर एक्जीक्यूटिव ऑफिसर तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लखीमपुर खीरी की नगर पालिका परिषद के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर को 30 जनवरी को तलब किया है। कोर्ट ने उनसे स्पष्ट करने को कहा है कि 8 अक्टूबर 2018 केा आदेश पारित कर याचियों को किस अधिकार से चिकन व मीट बेचने से रोक दिया है।
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लखीमपुर खीरी की नगर पालिका परिषद के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर को 30 जनवरी को तलब किया है। कोर्ट ने उनसे स्पष्ट करने को कहा है कि 8 अक्टूबर 2018 केा आदेश पारित कर याचियों को किस अधिकार से चिकन व मीट बेचने से रोक दिया है। कोर्ट ने खाद्य सुरक्षा अधिकारी को भी उस दिन हाजिर रहने का आदेश दिया है।
ये भी देखें : लोकतंत्र को बचाने के लिए सपा-बसपा गठबंधन ही विकल्प : अखिलेश
यह आदेश जस्टिस शबीहुल हस्नेन व जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने अब्दुल कलाम व नसरूल्ला की ओर से अलग अलग दाखिल दो रिट याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। याचियों की ओर से कहा गया था कि नगर पालिका परिषद के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर को उक्त आदेश पारित करने का अधिकार ही नहीं था अपितु फूड सेफटी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के तहत यह अधिकार डेजिगनेटेड ऑफिसर को है।
यह भी तर्क दिया गया कि याचियों ने मीट बेचने के लिए आवेदन किया था किन्तु उसे यह कहकर खारिज कर दिया गया कि आवेदन पत्र में उस स्लाटर हाउस का जिक्र नहीं था जहां से मरा जानवर खरीदा जाएगा। इस पर याचियों की ओर से कहा गया कि एक तो सरकार स्लाटर हाउस नहीं खोल रही है जबकि यूपी म्यूनिसिपालिटीज एक्ट के अतंर्गत ऐसा करना उसका दायित्व है और दूसरी ओर वह स्लाटर हाउस का नाम न लिखने के आधार पर लाइसेंस के लिए आवेदन पत्रों को खारिज कर रही है।
ये भी देखें : पीएम मोदी और CM योगी के फोटो पर फेका कीचड़, पुलिस ने शुरू की जांच
याचियों की ओर से तर्क दिया गया कि ऐसा करना जायज नहीं है अपितु यह संविधान के तहत प्रदत्त मनफामिक व्यवसाय करने के अधिकार का हनन करने वाला है।
याचिकायों पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया एक्ज्यूटिव ऑफिसर का आदेश गलत है और स्टे करने येाग्य है। किन्तु कोर्ट ने स्टे आदेश पारित करने से पहले एक्जीक्यूटिव ऑफिसर को तलब कर लिया है।