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अखिलेश के चहेते अफसरों की सुस्ती थाम सकती है साइकिल की रफ्तार

Newstrack
Published on: 7 Feb 2016 8:10 AM GMT
अखिलेश के चहेते अफसरों की सुस्ती थाम सकती है साइकिल की रफ्तार
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लखनऊ: विधानसभा चुनाव 2017 नजदीक है और सपा सरकार अपने कामों को लेकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। ऐसे में मौजूदा वित्त वर्ष के विकास कार्यों में विभागीय खर्च के जो आंकड़े सामने आए हैं, उनका असर आगामी चुनाव में साइकिल की रफ्तार पर पड़ना तय माना जा रहा है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और सीएम अखिलेश यादव यूं ही सार्वजनिक मंचों से अफसरों को सुधरने की नसीहत नहीं देते।

चुनावी साल में लगभग हर विभाग के बजट की राशि के हुए खर्च खासा निराश करने वाले हैं। विभागों के अब तक खर्च किए गए आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो हैरानी होती है। परिवहन विभाग की बात करें तो विभागीय मुखिया ने साल के अंत तक सिर्फ 13.8 फीसदी बजट के खर्च को ही अनुमति दी है। परिवहन विभाग का हाल बुरा है।बसें खस्ताहाल हैं। यहां तक कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट राजधानी लखनऊ में पूरी तरह फेल है। कई रूट ऐसे हैं, जहां बसें नहीं चलतीं। यदि चलती भी हैं तो रात आठ बजे के बाद यात्रियों को घंटों इंतजार करना होता है।

सरकार के करीबी अफसरों में गिने जाते हैं अरविंद सिंह देव

विभाग में वरिष्ठ आईएएस अफसर अरविंद सिंह देव प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत हैं। यह सपा परिवार के करीबी लोगों में से गिने जाते हैं। हाल के महीनों में इनका परिवहन विभाग से तबादला भी हुआ, लेकिन उन्होंने अपना चार्ज नहीं छोड़ा और पुन: स्थानान्तरण आदेश में संशोधन करते हुए उन्हें प्रमुख सचिव परिवहन की जिम्मेदारी दे दी गई।

संजय अग्रवाल नहीं कर पाए कुछ खास

सीएम अखिलेश यादव ने ​अक्टूबर 2016 से ग्रामीण इलाकों में कम से कम 16 घंटे और शहरी क्षेत्रों को 22 से 24 घंटे बिजली आपूर्ति का वादा किया है और इसे पूरा करने के लिए उन्होंने वरिष्ठ आईएएस अफसर संजय अग्रवाल को ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी दी, लेकिन वह अब तक कोई करिश्मा नहीं दिखा सके हैं। इस विभाग में कुल बजट राशि का 45 प्रतिशत से कुछ ज्यादा ही खर्च हो पाया है। सरकार का वादा कैसे पूरा होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है ।

विरोध के बाद भी अनीता सिंह के विरोधी ही हुए परास्त

सूबे की सबसे अधिक ताकतवर अफसरों में से गिनी जाने वाली प्रमुख सचिव (मुख्यमंत्री) अनीता सिंह की कामों पर कई बार विधायकों से लेकर मंत्रियों तक ने सवाल खड़े किए। सूत्रों की मानें तो श्रीमती सिंह के खिलाफ पंचमतल पर तैनात अफसरों ने भी जिलों में डीएम से लेकर कई नीतिगत मामलों में विरोध किया पर इसका उन पर कोई असर नहीं हुआ, उल्टे उनके विरोधी ही परास्त हुए।

सिंचाई विभाग में वर्षों से जमे हैं दीपक सिंघल

बात करें सिंचाई विभाग की तो, चाहे परियोजनाओं के समय से पूरा होने का मामला हो या फिर बुंदेलखंड में सूखे से जूझ रहे किसानों के लिए पानी की समस्या। इसके लिए विभागीय अफसरों की कार्यप्रणाली जिम्मेदार है। हैरान करने वाला तथ्य यह है कि बुंदेलखंड में वर्षों से नहर और बांध परियोजनाएं लंबित हैं। कई परियोजनाएं तो ऐसी हैं जो दशक भर से भी अधिक समय से चल रही हैं फिर भी अभी तक लंबित हैं। मौजूदा आंकड़े भी इसी तरफ इशारा करते हैं। इसके बावजूद सिंघल विभाग में वर्षों से जमे हुए हैं। उनकी गिनती राज्य के बडे आईएएस अफसरों में होती है और वह मुख्य सचिव बनने की हसरत पाले हुए हैं ।

धूमिल छवि के महेश गुप्ता के हाथ में औद्योगिक विकास की कमान

सपा सरकार बनने के बाद प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औदयोगिक विकास के पद पर करीब एक साल तक अनिल कुमार गुप्ता तैनात रहे। जब सरकार उनसे निराश हुई तो फिर कई वर्षों बाद प्रशासनिक सेवा में लौटे सूर्य प्रताप सिंह पर दांव आजमाया पर वह भी विभाग को पटरी पर लाने में असफल रहें। उधर, बीच में अनिल कुमार गुप्ता को सरकार ने एक बार फिर प्रमुख सचिव गृह जैसे अहम पद पर तैनात किया लेकिन यहां भी गुप्ता ने मुजफ्फरनगर के राहत शिविरों में ठंड से मौतों पर संवेदनहीन बयान दिया, जिससे उनकी कुर्सी चली गई।

-फिलहाल मौजूदा समय में अब औद्योगिक विकास की कमान वरिष्ठ आईएएस अफसर महेश गुप्ता के हाथो में है।

-ये बसपा सरकार के करीबी अफसरों में गिने जाते हैं

-इन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे हैं।

एसपी सिंह के प्रभाव से आजिज होकर कई ने कराया तबादला

पहले पीसीएस से प्रोन्नत होकर आईएएस बने और अब रिटायर होने के बाद भी नगर विकास विभाग में सचिव के पद पर तैनात हैं। यही एसपी सिंह की पहचान है। इनको विभागीय मंत्री आजम खां के खासमखास अफसरों में गिना जाता है। कहा जाता है कि कई वरिष्ठ अधिकारियों ने नगर विकास से सिर्फ इसलिए तबादला करा लिया, क्योंकि उनके जूनियर अफसर एसपी सिंह उनसे अधिक प्रभावशाली साबित हो रहे थे।

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