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Jhansi News: बुकिंग के बहाने सवारी में चल रही हैं प्राइवेट बसें, जमकर हो रही अवैध सामान की तस्करी

Jhansi News: बुकिंग के नाम पर प्राइवेट स्लीपर बसें झाँसी से खुलेआम फर्राटा भर रही है। इन बसों में सवारियां तो भरी ही जा रही हैं माल ढुलाई में भी धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है।

B.K Kushwaha
Published on: 18 Aug 2022 9:34 PM IST
Private buses are running on the pretext of booking in Jhansi, illegal smuggling of goods is happening fiercely
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बुकिंग के बहाने सवारी में चल रही हैं प्राइवेट बसें: Photo- Social Media

Jhansi News: बुकिंग के नाम पर प्राइवेट स्लीपर बसें (private sleeper buses) झाँसी से खुलेआम फर्राटा भर रही है। इन बसों में सवारियां तो भरी ही जा रही हैं, माल ढुलाई में भी इनका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, आरटीओ (RTO) के जिम्मेदार हैं कि एक्शन लेना तो दूर, उन्हें इन बसों की चेकिंग करने तक की फुर्सत नहीं है। इसी उदासीनता का नतीजा है कि झाँसी में अचानक स्लीपर बसों की संख्या बढ़ गई है।

आरटीओ से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन बसों का यूज बुकिंग में किया जाता हैं लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। इन बसों का स्टेटस आप गूगल पर भी देख सकते हैं। संचालकों ने गूगल पर झाँसी से कोटा, अहमदाबाद, झाँसी से दिल्ली के लिए टिकटों का रेट भी फिक्स कर रखा है। सूत्रों का ये भी कहना है कि बुकिंग के नाम पर पैसेंजर्स ढो रही इन बसों से दो नंबर का माल भी ढोया जा रहा है। प्राइवेट की वजह से इन लग्जरी स्लीपर बसों की रास्ते में चेकिंग नहीं होती जिसके चलते दो नंबर का माल ढोने वालों के लिए ये बसें सबसे मुफीद जरिया बनी हुई हैं।

हाइवे, बस स्टैंड व अशोक तिराहा पर है डेरा

नई नवेली स्लीपर बसों को अगर आपको देखना हो तो बस स्टैंड, हाइवे व अशोक तिराहा के इर्द गिर्द देख सकते हैं। यहां सुबह-शाम इनका डेरा लगा रहता है। सूत्रों के अनुसार इनमें से एक-एक कर बसें इन स्थानों पर आती हैं। यहां से पैसेंजर्स बैठाकर दिल्ली, इंदौर, कोटा की सड़क पर फर्राटा भरती हैं। आरटीओ और अन्य चेकिंग टीम की कभी इन बसों पर नजर नहीं पड़ती है।

स्लीपर बसों से मोबाइल पार्ट्स और होजरी की तस्करी

झाँसी से दिल्ली की बीच दौड़ रही स्लीपर एसी बसों के संचालक न सिर्फ आरटीओ (RTO) के लिए चुनौती हैं, बल्कि वाणिज्य कर विभाग (Department of Commerce) को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। स्लीपर बसों में सिर्फ सवारियां ही नहीं ढोई जा रही हैं, इनके जरिए बड़ी मात्रा में बिना बिल-बाउचर के चीन में बने मोबाइल पाट्र्स, होजरी से लेकर गल्ले तक की तस्करी (smuggling) भी हो रही है। बताते हैं कि एक से सवा करोड़ रुपये में तैयार होने वाली स्लीपर बसों की सीट काफी ऊंची होती है। एेसे में इसके बेस में सामान रखने की पर्याप्त जगह होती है। कहने को इसमें यात्रियों का लगेज रखा जाता है, लेकिन इसमें दूसरा ही खेल हो रहा है।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग क्यों

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि तस्कर हमेशा तस्करी के लिए तरीके बदलते रहते हैं। ट्रक या कार से तस्करी करने में पकड़े जाने की संभावना ज्यादा रहती है और पकड़े जाने के लिए बाद मुकदमों में फंसने की संभावना भी शत-प्रतिशत रहती है, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहनों में तस्करी करने से बचने की संभावना ज्यादा रहती है। आम तौर पर पुलिस या दूसरे विभाग सवारी बसों की जांच कम करते हैं, या करते हैं तो माल भले ही पकड़ा जाए, लेकिन तस्कर पकड़ में नहीं आते। अब तो तस्कर रोडवेज बसों व रेलों का भी उपयोग करने लगे हैं।

सवारियों को उठानी पड़ती है परेशानी

मादक पदार्थों की तस्करी (drug trafficking) हो या टैकेस चोरी का माल, जब भी पुलिस, प्रशासन या वाणिज्य विभाग के अधिकारी कार्रवाई करते हैं तो बस को जब्त करना पड़ता है या माल की जांच के लिए काफी देर तक बस को रोकना पड़ता है, एसे में बस में सवार यात्रियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जबकि तस्करी में उनका कोई दोष नहीं होता। विशेष बात यह है कि यात्रा के बदले यात्री किराया भी अच्छा-खास चुकाते हैं।

हाइवे पर पांच घंटे चली चेकिंग में कुछ नहीं मिला

डीआईजी जोगेन्द्र कुमार ने झाँसी, जालौन एवं ललितपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षकों को अपराध एवं अपराधियों पर प्रभावी नियंत्रण व संदिग्ध व्यक्तियों, वस्तुओं की चेकिंग करने के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों के तहत तीनों जिलों में अपर पुलिस अधीक्षक व सीओ के नेतृत्व में थाना प्रभारी/चौकी प्रभारियों ने आतंरिक सीमाओं में संवेदनशील स्थानों, राजमार्गों एवं संदिग्ध अपराधियों के आवागमन के मार्गों पर दो पहिया, चार पहिया वाहनों व व्यक्तियों व अवैध वस्तुओं की शाम 23 से तड़के 4 बजे तक पांच घंटे चेकिंग की गई।

चेकिंग के दौरान झाँसी में 813 वाहनों, 1247 व्यक्तियों, 90 डेरों, जालौन में 597 वाहनों, 1008 व्यक्तियों, 15 डेरों एवं ललितपुर में 277 वाहनों, 401 व्यक्तियों एवं आठ डेरों को चैक किया गया। चेकिंग के दौरान अवैध रुप से वाहन पाए जाने पर कई वाहनों को सीज किया गया। साथ ही ई-चालान (e-Challan) द्वारा शमन शुल्क वसूला गया। डीआईजी जोगेन्द्र कुमार ने कहा कि इस तरह की चेकिंग समय-समय पर जरुर की जाएगी, ताकि कानून- व्यवस्था की स्थिति सुदृढ़ बनी रहे।



Shashi kant gautam

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