×

सोशल मीडिया से कटे हुए हैं कई मंत्री

raghvendra
Published on: 30 Aug 2019 1:10 PM IST
सोशल मीडिया से कटे हुए हैं कई मंत्री
X

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: केन्द्र में मोदी सरकार के गठन में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका मानी जाती है और इससे सरकार आने के बाद जनसमस्याओं का हल करने में भी मदद मिल रही है। पीएम मोदी हमेशा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं और अपने साथियों को भी सोशल मीडिया के जरिये लोगों से जुडऩे को प्रेरित करते रहते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश की योगी आादित्यनाथ की सरकार में कई मंत्री ऐसे हैं जिन्होंने फेसबुक और ट्विटर से खुद को अलग कर रखा है। इनमें हाल में शपथ लेने वाले मंत्रियों के साथ ही करीब ढाई साल पुरानी योगी सरकार के कुछ अनुभवी मंत्री भी शामिल हैं। जबकि सोशल मीडिया के इस दौर में अगर किसी को अगर परेशानी अथवा कोई अन्य बात सीधे किसी मंत्री तक पहुंचानी होती है तो वह ट्विटर तथा सोशल मीडिया के माध्यम से ही अपनी बात उन तक पहुंचाता है।

इस खबर को भी देखें: बाराबंकी: राज्यपाल के दौरे में मीडियाकर्मियों से पुलिस-प्रशासन की बदसलूकी

लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा ने सोशल मीडिया को बड़ा हथियार बनाकर हर बूथ पर इसकी टीम बनाई थी और एक बूथ पर कम से कम पांच सोशल मीडिया कर्मी रखे गए थे। चुनाव के पहले फरवरी में इसके लिए एक बड़ा अभियान भी चला था जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तथा अन्य सभी पदाधिकारी भी जुटे थे। बावजूद इसके यूपी की भाजपा सरकार के कई मंत्री इस दिशा में अब तक आगे नहीं बढ़ पाए हैं।

कई कैबिनेट मंत्री सोशल मीडिया से दूर

‘न्यूजट्रैक’ व ‘अपना भारत’ ने जब इस बारे में जांच पड़ताल की तो ऐसे मंत्रियों के बारे में पता चला। कैबिनेट मंत्रियों में जयप्रताप सिंह, चौ. लक्ष्मी नारायण, राजेन्द्र प्रताप सिंह (मोती सिंह), अनिल राजभर तथा रामनरेश अग्निहोत्री ट्विटर और फेसबुक से कोई वास्ता नहीं रखते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य और रमापति शास्त्री सिर्फ फेसबुक में सक्रिय रहते हैं। माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती गुलाबो देवी तथा उच्च शिक्षा मंत्री नीलिमा कटियार भी केवल फेसबुक पर हैं। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व्यावसायिक शिक्षा कपिल देव अग्रवाल और स्टाम्प एवं न्याय शुल्क मंत्री रविन्द्र जायसवाल भी ऐसे मंत्री हैं जो केवल फेसबुक में सक्रिय रहते हैं।

कटे हुए हैं स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री भी

राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विभाग वाले मंत्रियों में आयुष, खाद्य एवं औषधि प्रशासन धरम सिंह सैनी, पर्यटन नीलकंठ तिवारी, उद्यान, कृषि निर्यात श्रीराम चौहान ने भी फेसबुक और ट्विटर से अपने को अलग कर रखा है। इस श्रेणी के मंत्रियों में खेल एवं युवा कल्याण उपेन्द्र तिवारी, महिला एवं बाल विकास श्रीमती स्वाति सिंह, परिवहन अशोक कटारिया और बेसिक शिक्षा विभाग के सतीश द्विवेदी ऐसे मंत्री हैं, जो फेसबुक और ट्विटर पर बराबर सक्रिय रहते हैं।

22 राज्यमंत्रियों में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अतुल गर्ग, खाद्य एवं रसद रणवेेन्द्र प्रताप सिंह (धुन्नी सिंह), वित्त एवं प्राविधिक संदीप सिंह, अल्पसंख्यक कल्याण मोहसिन रजा, आवास एवं शहरी नियोजन गिरीश चन्द्र यादव, जल शक्ति बल्देव औलख तथा गन्ना विकास सुरेश पासी ही फेसबुक/ट्विटर पर एक्टिव हैं।

कई राज्यमंत्री भी नहीं हैं एक्टिव

यहीं नहीं, हाल ही में शपथ लेने वाले सभी 11 राज्यमंत्रियों में वन एवं पर्यावरण अनिल शर्मा, नगर विकास महेश गुप्ता, समाज कल्याण डा. गिरिराज सिंह, कृषि शिक्षा लाखन सिंह राजपूत, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग एवं ग्रामोद्योग चौ. उदयभान सिंह, लोक निर्माण चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय, संसदीय कार्य ग्राम्य विकास आनन्द स्वरूप शुक्ल, ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा क्षेत्र रमाशंकर सिंह पटेल, इलेक्ट्रिानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी अजीत सिंह पाल, राजस्व एवं बाढ़ नियंत्रण विजय कश्यप ऐसे मंत्री हैं,जो न तो फेसबुक पर हैं और न ही ट्विटर पर। 19 मार्च 2017 को योगी मंत्रिमंडल में शपथ लेने वाले राज्यमंत्री श्रमसेवा योजना विभाग और पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री जयप्रताप निषाद अभी तक सोशल मीडिया से दूरी बनाए हैं।

इस खबर को भी देखें: चिन्मयानन्द पर आरोप लगाने वाली लड़की और उसके साथी को Uppolice ने गिरफ्तार कर लिया है

मजेदार बात तो यह है कि यूपी भाजपा की अधिकृत वेबसाइट पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ला का कोई जिक्र ही नहीं है। जबकि भाजपा ने आईटी सेल का गठन कर रखा है जिसमें कई आईटी क्षेत्र से जुड़े लोग कार्यरत हैं।



raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story