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Sonbhadra: सात वर्ष पूर्व नाबालिग का कराया था गर्भपात, अस्पताल संचालिका सहित दो दोषी, मिली 10-10 वर्ष की कैद
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Sonbhadra: सात वर्ष पूर्व 15 वर्षीय नाबालिग लड़की का गर्भपात बगैर उसकी सहमति से कराए जाने के मामले में अस्पताल संचालिका सहित दो दोषियों को दस-दस वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो निहारिका चैहान की अदालत ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। अधिवक्ताओं की दलीलों और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दोषसिद्ध पाकर दोषियों सुरेश कुमार यादव और ममता मौर्या को 10-10 वर्ष की कैद तथा क्रमशः 20 हजार व 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड अदा न करने पर 6-6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। अर्थदंड की आधी धनराशि पीड़िता को प्रदान की जाएगी।
अभियोजन कथानक के मुताबिक कोन थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने 16 जून 2015 को दुद्धी थाने में तहरीर दी। आरोप लगाया कि उसकी 15 वर्षीय नाबालिग लड़की को कोन थाना क्षेत्र के कचनरवा गांव निवासी सुरेश कुमार यादव पुत्र शिव प्रसाद यादव और उसका एक साथी झूठ बोलकर 15 जून 2015 की रात आठ बजे दया हॉस्पिटल में दवा-इलाज कराने की बात कहकर ले गया।
वहां पर बगैर लड़की की सहमति के, मिलीभगत करके ममता मौर्या पत्नी दया शंकर मौर्य ने अपने पति के साथ सात माह के बच्चे का गर्भपात करा दिया। सूचना पर जब वह दया हॉस्पिटल पहुंचा तो वहां पर बेटी बेहोशी हाल में खून से लथपथ पड़ी थी और मृत बच्चा भी बगल में पड़ा था। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की। पता चला कि घटना कोन थाना क्षेत्र की है। इस पर कोन थाने की तरफ से मामले की विवेचना शुरू की गई।
विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने की बात कहते हुए न्यायालय में सुरेश कुमार यादव और ममता मौर्या के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल किया। वहां अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना। गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन किया। इसके आधार पर दोषसिद्ध पाकर दोषी सुरेश कुमार यादव और ममता मौर्या को 10-10 वर्ष की कैद तथा क्रमशः 20 हजार व 30 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड अदा न करने पर छह.छह माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित रहेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह एडवोकेट ने पैरवी की।