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Sonbhadra Air Pollution: प्रदूषण को लेकर हालात चिंताजनक, 281 पर एयर क्वालिटी इंडेक्स

Sonbhadra Air Pollution: दिल्ली में जहां 400 AQI पहुंचने पर हाय-तौबा मच जाती है। वहीं, सोनभद्र में NGT ने वायु गुणवत्ता सूचकांक 800 तक पहुंचने की बात स्वीकार कर चुकी है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 4 Nov 2022 1:58 PM GMT
sonbhadra air pollution situation worrying air quality index at 281
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सोनभद्र में वायु प्रदूषण का नजारा 

Sonbhadra Air Pollution News: दिल्ली की तरह, भारत के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सोनभद्र-सिंगरौली में भी प्रदूषण को लेकर हालात तेजी से चिंताजनक बनने लगे हैं। शुक्रवार को केंद्रीय वायु प्रदूषण बोर्ड की तरफ से जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 281 दर्ज किया गया। वहीं एमपी प्रदूषण बोर्ड की तरफ से जारी इनवायरमेंट एलर्ट में सोनभद्र-सिंगरौली सीमा पर वाणु गुणवत्ता सूचकांक 350 के करीब पहुंचने का दावा किया जाता रहा।

जुलाई से सितंबर तक नियंत्रित नजर आने वाले वायु प्रदूषण में अचानक से आए उछाल ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से वायु गुणवत्ता सूचकांक में शुरू हुई बढ़ोत्तरी चार नवंबर आते-आते 281 पर पहुंच गई है। वहीं एक अन्य वेबसाइट के जरिए दावा किया जा रहा है कि सोनभद्र में प्रदूषण की स्थिति इससे भी कहीं ज्यादा खराब है लेकिन वायु गुणवत्ता मापन के लिए अधिकृत यंत्र सिर्फ यूपी-एमपी सीमा पर होने के कारण, सोनभद्र के अन्य हिस्सों, खासकर क्रशर बेल्ट, जहां 24 घंटे पत्थर की छाए रहने वाली धूल लोगों के फेफड़े छलनी करने में लगी हुई है, वहां की वास्तविक तस्वीर सामने नहीं आ पा रही है।

पहली नवंबर से कुछ यूं हैं प्रदूषण के हालात

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि पहली नवंबर को जहां सोनभद्र-सिंगरौली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 254 दर्ज किया गया। वहीं दो नवंबर को यह 248 पाया गया। तीन नवंबर को एक बार फिर से सूचकांक बढ़कर 252 हो गया और चार नवंबर को यह 281 दर्ज किया गया। वहीं एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुड़े इनवायरमेंट एप से मिलने वाली जानकारी को देखें तो सोनभद्र-सिंगरौली सीमा पर हवा की सेहत तेजी से खराब होती जा रही है। दावा किया जा रहा है कि यूपी-एमपी सीमा पर शाम को एक्यूआई 350 के करीब पहुंच जा रहा है।


सेहत के लिए काफी खतरनाक बताई जा रही स्थिति

चिकित्सकों का कहना है कि यह स्थिति सेहत के लिए खराब है। सर्दी का मौसम होने के कारण लोगों के लिए यह स्थिति श्वसन संबंधी बीमारी के साथ ही, फेफड़े की बीमारी बढ़ाने वाली साबित हो सकती है। उधर, इस मामले को लेकर पर्यावरणविद सीमा जावेद का कहना है कि सोनभद्र में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। जब तक अफसर कागजी कार्रवाई के साथ, फील्ड में प्रदूषण नियंत्रण पर ध्यान नहीं देंगे, तब तक हालात पर काबू की स्थिति नहीं बन सकती।

सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी से जुडे लोगों ने भी हालात पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि प्रदूषण विभाग से जुड़े अधिकारियों को हालात को लेकर लगातार अवगत कराया जा रहा है लेकिन क्रशर बेल्ट में उडती धूल, तिरपाल से सही तरह से ढंके बगैर कोयले का परिवहन, अनपरा-शक्तिनगर क्षेत्र में 24 घंटे छाए रहने वाली कोयले की धूल और राख परिवहन की स्थिति पर ध्यान न दिए जाने से स्थिति लगातार बिगडती जा रही है।

क्रशर बेल्ट में अत्यधिक प्रदूषण से मापन यंत्र बेकार

बताते चलें कि जहां सिंगरौली के साथ सोनभद्र के आधे से अधिक हिस्से को देश के सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा दिया जा चुका है। वहीं सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की वर्ष 2012 में सोनभद्र के रग-रग में पारा पैबस्त होने का खुलासा कर चुकी है। 2015 में एनजीटी की कोर कमेटी भी सोनभद्र के हालात को लेकर खासी चिंता चुकी है। इसके बाद भी विभिन्न पर्यावरण वैज्ञानिकों, संस्था की रिपोटों में सोनभद्र को लेकर चिंता जताए जाने का क्रम जारी है।

दिलचस्प पहलू यह है कि एनजीटी की सख्ती के बाद अनपरा-शक्तिनगर क्षेत्र में परियोजनावार सड़कों की सफाई और पानी छिडकाव की भी योजना बनाई गई थी लेकिन 2018 के बाद इसे भी भुला दिया गया। डाला के बाड़ी और ओबरा के बिल्ली-मारकुंडी क्रशर बेल्ट में दिन-रात छाए रहने वाली पत्थर की धूल के नियंत्रण को लेकर भी संबंधित महकमा नोटिस पर नोटिस का खेल खेलकर कोरमपूर्ति में लगा है। यहां की हालत यह है कि क्रशर बेल्ट की स्थिति जांचने के लिए मुंबई की एक संस्था की तरफ से प्रदूषण मापन संयंत्र लगाए गए थे लेकिन यंत्र की अधिकतम क्षमता से भी अधिक प्रदूषण होने के कारण संयंत्र ही बेकार हो गया।

NGT 800 AQI तक प्रदूषण पहुंचने की बात कर चुकी है स्वीकार

दिल्ली में जहां 400 AQI पहुंचने पर हाय-तौबा मच जाती है। वहीं, सोनभद्र में NGT ने वायु गुणवत्ता सूचकांक 800 तक पहुंचने की बात स्वीकार कर चुकी है।, जिसको लेकर गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है। बावजूद जहां राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संबंधित अफसरों की चुप्पी कई तरह के सवाल खड़े किए हुए हैं, वहीं इस बारे में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टीएन सिंह से संपर्क साधने की कोशिश की गई तो लगातार व्यस्त का उत्तर मिलता रहा।

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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