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Sonbhadra: आधी रात को मंडप में पहुंची बाल संरक्षण टीम, पहले की पुष्टि फिर रुकवाई नाबालिग की शादी
Sonbhadra: मामला म्योरपुर थाना क्षेत्र का है। जहां रात पौने दस बजे महिला कल्याण विभाग को सूचना मिली कि थाना क्षेत्र के एक गांव में नाबालिग की शादी रचाई जा रही है। बारात पहुंच चुकी है।
Sonbhadra: उच्चाधिकारियों के निर्देश के बावजूद जो काम कई घंटे बाद भी पुलिस नहीं कर पाई, वह काम बाल संरक्षण इकाई की टीम ने आधी रात को कर दिखाया। मामला म्योरपुर थाना क्षेत्र (myorapur) से जुड़ा बताया जा रहा है। बताते हैं कि रात पौने दस बजे महिला कल्याण विभाग को सूचना मिली कि थाना क्षेत्र के एक गांव में नाबालिग की शादी रचाई जा रही है। बारात पहुंच चुकी है।
कुछ ही घंटे में सप्तपदी और सिंदूरबंधन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। वहां से तत्काल जिला बाल संरक्षण अधिकारी पुनीत टंडन को निर्देश दिए गए। उनके निर्देश पर रात लगभग साढे़ 11 बजे टीम बताए गए स्थल पर पहुंची तो वहां बारात पहुंच चुकी थी। शादी संपन्न कराने की तैयारियां चल रही थी। टीम ने सबसे पहले लड़की से मुलाकात की।
तत्काल आवश्यक कार्रवाई के निर्देश
इसके बाद उसके माता-पिता से उम्र संबंधी साक्ष्य मांगा। नाबालिग होने की पुष्टि के बाद, तत्काल शादी रोकवाते हुए, बारात को वापस करा दिया। बावजूद किशोरी की शादी कराए जाने की स्थिति कोे देखते हुए, उसे विधिक अभिरक्षा में लेकर मुख्यालय लाया गया। यहां उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद बाल गृह बालिका में आवासित करा दिया गया।
महिला सुरक्षा एवं जनसेवा ट्रस्ट के ट्वीटर हैंडल के जरिए रविवार की रात 9.40 बजे यूपी महिला कल्याण विभाग के पास सूचना पहुंची कि म्योरपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में 14 वर्षीय लड़की की शादी रचाई जा रही है। इसका संज्ञान लेते हुए जिले की बाल संरक्षण इकाई को तत्काल आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
इसके बाद जिला बाल संरक्षण अधिकारी पुनीत टंडन ने महिला शक्ति केंद्र की जिला समन्वयक साधना मिश्रा, जिला बाल संरक्षण इकाई के संरक्षण अधिकारी गायत्री दुबे, सामाजिक कार्यकर्ता रोमी पाठक, ओआरडब्ल्यू शेषमणि दुबे की मौजूदगी वाली टीम को मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए गए।
म्योरपुर पुलिस से संपर्क स्थापित कर टीम मौके पर पहुंची तो देखा कि बारात दरवाजे पर आ गई थी और शादी करने की तैयारी चल रही थी। इस पर टीम द्वारा बालिका के माता, पिता, से बालिका के उम्र के संबंध में साक्ष्य मांगा। सामने आए साक्ष्य के आधार पर उसकी उम्र महज 16 वर्ष पाई गई। बालिका के माता, पिता एवं अन्य उपस्थित लोगों को बाल विवाह एक कानूनन अपराध है, बताते हुए शादी रोकवा दी गई। उन्हें बाल विवाह से होने वाले हानियों के बारे में भी बताया गया।
टीम के तेवर देख बारात तो मौके से वापस हो गई लेकिन बालिका के माता-पिता एवं अन्य परिजनों को दिए गए परामर्श के उपरांत भी बालिका की पुनः एक, दो दिन बाद शादी किए जाने की संभावना को देखते हुए उसे विधिक अभिरक्षा में लेते हुए मुख्यालय लाया गया। यहां आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बाल गृह बालिका में दाखिल करा दिया गया।
चर्चाओं की मानें तो इस शादी को लेकर सूचना पुलिस को रविवार की दोपहर में दे दी गई थी। अगर पुलिस सक्रिय हुई होती तो उसी समय लड़की के नाबालिग होने की जानकारी मिल गई होती और शादी भी रूक गई होती। यह तो संयोग ही था कि यूपी महिला कल्याण विभाग ने एक ट्वीट का संज्ञान ले लिया नहींं तो एक और किशोरी बालिका वधू बनकर ससुराल के लिए विदा हो गई होती।
चर्चाओं की मानें तो यह मामला बभनी थाना क्षेत्र की एक पीड़ित महिला से भी जुड़ा हुआ है। महिला की तरफ से पुलिस के अधिकारियों से गुहार लगाई गई थी शादी का झांसा देकर एक युवक ने चार साल तक उसके साथ दुष्कर्म किया। जब उसने शादी के लिए दबाव बनाया तो वह भाग खड़ा हुआ।
शिकायती पत्र में यह भी जानकारी दी गई कि रविवार की दोपहर उसे पता चला कि वह चोरी छिपे म्योरपुर थाना क्षेत्र की एक लड़की से शादी रचा रहा है। शादी रोकवाने की गुहार लगाते हुए लड़की के पिता के नाम तक की जानकारी दी गई। एडीजी, डीआईजी के साथ एसपी तक के यहां से बभनी पुलिस को जांच कर अविलंब आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए लेकिन पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई सामने नहीं हुई।
अलबत्ता यूपी महिला कल्याण विभाग के साथ जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम रात दस बजे हरकत में आई और जिला मुख्यालय से 110 किमी दूर जाकर नाबालिग की जिंदगी बर्बाद होने से बचा ली गई। इसको लेकर जहां बभनी पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठते रहे। वहीं चर्चाओं का बाजार गर्म रहा।