TRENDING TAGS :
Sonbhadra News: आशा हत्याकांड में 9 साल बाद आया फैसला, पति को उम्रकैद, दहेज में बाइक के लिए हुई थी हत्या
आशा हत्याकांड में दोष सिद्ध पति आनंद कुमार दुबे उर्फ पंडित को उम्रकैद और 25 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में 3 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।
Sonbhadra News : दहेज में बाइक की मांग पूरी न होने पर पत्नी की हत्या मामले में 9 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने दोषी पति को उम्र कैद की सजा सुनाई। सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार यादव (Sessions Judge Ashok Kumar Yadav) की अदालत ने शनिवार को सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। आशा हत्याकांड (Asha Murder Case) में दोष सिद्ध पति आनंद कुमार दुबे उर्फ पंडित को उम्रकैद और 25 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में 3 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। वहीं, साक्ष्य के अभाव में ससुर सहित दो आरोपियों को बरी कर दिया दिया।
क्या था मामला?
सोनभद्र के कोन थाना क्षेत्र के केवाल गांव निवासी श्याम बिहारी तिवारी ने राबर्ट्सगंज कोतवाली में तहरीर दी। जिसमें उसने बताया कि, उसकी बेटी आशा की शादी रायपुर थाना क्षेत्र के गोटीबांध गांव निवासी आनंद कुमार दुबे उर्फ पंडित के साथ हुई थी। ससुराल वाले उससे दहेज में बाइक की मांग करते थे। मांग पूरी नहीं होने पर उनकी बेटी आशा को लगातार प्रताड़ित किया जाने लगा। इसकी जानकारी 27 जुलाई 2013 को बेटी ने फोन कर दी। जिसके बाद, उन्होंने दामाद को समझाया। मगर, कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसी बीच 31 जुलाई 2013 को आशा के मौत की सूचना मिली। यह भी जानकारी मिली कि बेटी की हत्या कर उसकी लाश को ससुराल वाले छुपाना चाहते हैं। इससे साफ जाहिर है कि बेटी आशा की हत्या करके साक्ष्य छिपाने का काम किया गया।
पुलिस ने की मामले की जांच
इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए विवेचक ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना। गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन किया। इसके आधार पर दोष सिद्ध पाकर दोषी पति आनंद दुबे को उम्रकैद और 25 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं, आशा के ससुर सम्पूर्णानंद दुबे और सुरेश चौबे को सबूत के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया। अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ज्ञानेंद्र शरण रॉय ने की।