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सोनभद्र : 10 हज़ार मेगावाट बिजली का उत्पादन, फिर भी विकास से दूर
सुनील तिवारी
सोनभद्र : भौगोलिक दुरूहता इस जिले के विकास में सबसे बड़ी बाधा यदि है तो उसे दूर करने की इच्छा शक्ति भी कभी किसी दल या नेता में नही रही । यही कारण है कि कभी कोई लगातार नही रहा। मुद्दा विशेष पर कोई वादा या वादा खिलाफी नही रही जिस पर वोट मिले या नही मिले। हर बार विकास और रोजगार जैसे सामान्य मुद्दे बने रहते है ।
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पिछड़ेपन के लिए लोग जहां राजनेताओं को ही जिम्मेदार मानते है तो राजनेता दलगत आरोप प्रत्यारोप में ही अपने आप को बचाते नजऱ आते है । इससे इनकार नही की मिर्जापुर से 1989 में अलग होने के बाद बना सोनभद्र का वजूद यदि राजनीतिक इच्छा शक्ति होती तो देश के नक्शे पर नक्सलवाद के नाम से नही एनर्जी हब के नाम से जाना जाता ।
क्योंकि देश ही नही एशिया में शायद सोनभद्र ऐसा जि़ला है जहां लगभग 10 हज़ार मेगावाट बिजली का उंत्पादन होता है और यही के लोगो को बिजली नसीब नही होती । यहां के रेत और पत्थर के खनन से ही पूरा पूर्वांचल विकास के कार्यो पर आश्रित है । लेकिन सरकारों की नीतियों ने आम आदमी से ही दूर कर दिया है।
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सोनभद्र जिले के कुछ खास आंकड़े
- आबादी 1862559
- लिंगानुपात 918
- साक्षरता 64 प्रतिशत
- जन्म मृत्यु दर 12.5
चिकित्सा सेवा बदहाल
- 200 के मुकाबले सिर्फ 100 डॉक्टर, कोई महिला डॉक्टर स्पेसलिस्ट नही ।
- 1 जिला अस्पताल, 6 chc, 2 phc
- 100 बेड का जिला अस्पताल, 100 बेड का महिलाओ के लिए नया बना है जिसे एक निजी अस्पताल को देने की तैयारी है।
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सांसद- छोटे लाल खरवार
विधायक सदर रॉबटर्सगंज भूपेश चौबे
घोरावल अनिल नौर्य
ओबरा संजय गोड़
दुद्धी हरिराम चेरो (अपना दल)