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सोनभद्र में सोना ही नहीं और भी है बहुत कुछ, जानकर उड़ जायेंगे होश

जगत नारायण उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के म्योरपुर विकास खंड में रहते हैं। यह वही सोनभद्र है जो आजकल सोने की खदान को लेकर चर्चा में है। मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो सोनभद्र के सोन पहाड़ी और हरदी इलाकों में सोने के भंडार हैं।

Aditya Mishra
Published on: 23 Feb 2020 4:08 PM GMT
सोनभद्र में सोना ही नहीं और भी है बहुत कुछ, जानकर उड़ जायेंगे होश
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सोनभद्र: "मेरी हड्डियां गल रही हैं। अब मैं बैसाखी के सहारे ही चल पाता हूं। डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि मेरे पानी में फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है जिस कारण मुझे फ्लोरोसिस नामक बीमारी हो गई। यहां हमारे जैसे सैकड़ों लोग आपको मिलेंगे, जो जवानी में बूढ़े हो रहे हैं।" जगत नारायण विश्वकर्मा कहते हैं।

जगत नारायण उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के म्योरपुर विकास खंड में रहते हैं। यह वही सोनभद्र है जो आजकल सोने की खदान को लेकर चर्चा में है। मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो सोनभद्र के सोन पहाड़ी और हरदी इलाकों में सोने के भंडार हैं।

चोपन विकास खंड के पडरच गांव पंचायत की नई बस्ती के रामधनी शर्मा (55), विंध्याचल शर्मा (58), सलिल पटेल (18), गुड्डू (15), शीला (20), चिल्का डाड गांव के सुनील गुप्ता (35), ऊषा (16) तो सिर्फ बानगी हैं।

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फ्लोराइड युक्त पानी पीने से दस हजार व्यक्ति अपंग

इसके अलावा कचनवा, पिरहवा, मनबसा, कठौली, मझौली, झारो, म्योरपुर, गोविंदपुर, कुशमाहा, रास, पहरी, चेतवा, जरहा जैसे इस जिले के 269 ऐसे गांव हैं, जहां खराब गुणवत्ता की वायु और फ्लोराइड युक्त पानी पीने से करीब दस हजार व्यक्ति अपंग हो गए हैं या अपंग होने की कगार पर हैं. (20), चिल्का डाड गांव के सुनील गुप्ता (35), ऊषा (16) तो सिर्फ बानगी हैं।

इसके अलावा कचनवा, पिरहवा, मनबसा, कठौली, मझौली, झारो, म्योरपुर, गोविंदपुर, कुशमाहा, रास, पहरी, चेतवा, जरहा जैसे इस जिले के 269 ऐसे गांव हैं, जहां खराब गुणवत्ता की वायु और फ्लोराइड युक्त पानी पीने से करीब दस हजार व्यक्ति अपंग हो गए हैं या अपंग होने की कगार पर हैं।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'वनवासी सेवा आश्रम' से जुड़े पर्यावरण कार्यकर्ता जगत नारायण विश्वकर्मा बताते हैं, "सेंटर फॉर साइंस नई दिल्ली की एक टीम ने 2012 में यहां आकर लोगों के खून, नाखून और बालों की जांच की थी जिसमें पारा की मात्रा ज्यादा पाई थी और फ्लोरोसिस नामक बीमारी होना बताया था। "

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मूत्र जांच के दौरान फ्लोराइड मिला

विश्वकर्मा ने बताया, "साल 2018 के नवंबर माह में स्वास्थ्य महानिदेशक की पहल पर एक शिविर लगाया गया था, जिसमें यहां के व्यक्तियों के मूत्र जांच के दौरान फ्लोराइड एक मिलीग्राम प्रति लीटर के बजाय 12 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया था, जो 11 मिलीग्राम ज्यादा था। "

विश्वकर्मा ने यह भी बताया, "वायु की खराब गुणवत्ता और पानी में फ्लोराइड की शिकायत एनजीटी में याचिका दायर कर की गई थी, लेकिन प्रशासन एनजीटी के निर्देशों का भी पालन नहीं कर रहा है."

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) म्योरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. फिरोज आंबेदिन ने मीडिया से कहा, "यह क्षेत्र फ्लोराइड प्रभावित है, हम पीड़ित लोगों को कैल्शियम की गोली खाने की सलाह देते हैं। इसमें शुद्ध पानी व आंवला के सेवन से राहत मिलती है. अभी तक इसके इलाज की खोज नहीं हुई है। "

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