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Sonbhadra News: तपती दीवारों, खौलते पानी के बीच बकाएदार को रखा था बंद, मौत के बाद डीएम ने दिया निर्देश

Sonbhadra News: डीएम की तरफ से कराई गई मजिस्ट्रेटी जांच में दोनों अधिकारियों को दोषी पाया गया था। इसके बाद शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी। जहां से मिले निर्देश के क्रम में रविवार को यह कार्रवाई सामने आई।

Kaushlendra Pandey
Published on: 29 Jan 2023 5:05 PM IST
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Sonbhadra News (Newstrack)

Sonbhadra News: राजस्व बकाए को लेकर इलेक्ट्रानिक्स के दुकानदार सुधाकर दुबे को एक सप्ताह तक तपती दीवारों और पीने के लिए उपलब्ध खौलते पानी के बीच रखने, इसके चलते हालत बिगड़ने, अस्पताल ले जाते समय मौत होने और बगैर पीएम कराए शव का दाह संस्कार कराने के मामले में जिले के दो अधिकारियों पर बड़ी गाज गिरी है। डीएम चंद्र विजय सिंह के निर्देश पर सदर तहसीलदार सुनील कुमार ने सदर तहसील के तत्कालीन एसडीएम राजेश कुमार सिंह और तत्कालीन तहसीलदार बृजेश कुमार वर्मा के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। डीएम की तरफ से कराई गई मजिस्ट्रेटी जांच में दोनों अधिकारियों को दोषी पाया गया था। इसके बाद शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी जहां से मिले निर्देश के क्रम में रविवार को यह कार्रवाई सामने आई।

ये थी घटना

बताते चलें कि राबर्ट्सगंज नगर के धर्मशाला चौराहे पर संचालित दुकान मेसर्स दूबे इलेक्ट्रॉनिक के प्रोपराइटर सुधाकर दुबे ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से लोन लिया था। बैंक की तरफ से लगभग 10 लाख बकाए को लेकर आरसी जारी की गई थी। इसके एवज में तत्कालीन तहसीलदार बृजेश कुमार वर्मा ने सुधाकर दुबे को गत 12 मई 2022 को गिरफ्तार कर सदर तहसील परिसर स्थित राजस्व बंदी गृह में निरुद्ध किया था। गत 19 मई 2022 किस शाम 4:00 बजे अचानक से उनकी हालत काफी बिगड़ गई तब उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया वहां से वाराणसी रेफर कर दिया गया बीएचयू जाते समय रास्ते में मौत हो गई। मामला तूल न पकड़े इसके लिए बगैर पीएम कराए ही आनन-फानन में शव का दाह संस्कार करवा दिया गया। मृतक के पुत्र नीरज दुबे ने जब इसको अधिवक्ता विकास शाक्य के जरिए डीएम से शिकायत की तो उन्होंने मामले की मजिस्ट्रेटी जांच कराई। तत्कालीन एडीएम न्यायिक भानु प्रताप यादव ने 12 अक्टूबर 2022 को डीएम को सौंपी रिपोर्ट में पीएम न कराने और उत्तर दायित्व का निर्वहन न करने के लिए तत्कालीन एसडीएम राजेश कुमार सिंह और तत्कालीन तहसीलदार राजेश कुमार वर्मा दोनों को उत्तरदायी पाया। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि मृतक को तपती दीवारों के बीच, चुभती गर्मी से राहत की बगैर कोई व्यवस्था किए बंद रखा गया था। पेयजल के नाम पर टंकी का खौलता पानी उपलब्ध था। शिकायतकर्ता नीरज का आरोप था कि उन्होंने घर का खाना और शुद्ध पानी मृतक को उपलब्ध कराने की कोशिश की थी लेकिन तहसील के अधिकारियों ने मना कर दिया था। उत्पीड़न का भी आरोप लगाया गया। मामले को लेकर शासन को रिपोर्ट भेजने के साथ ही डीएम ने तत्कालीन एसडीएम राजेश कुमार सिंह के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी शासन को भेजी थी। वहां से मिली कार्रवाई की अनुमति के बाद रविवार को इस मामले में दोनों अधिकारियों के खिलाफ राबर्ट्सगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा दी गई।

हाईकोर्ट के आदेश पर भी चल रही उच्च स्तरीय जांच

मामले में मृतक के पुत्र नीरज दुबे की याचिका पर हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश के क्रम में उच्च स्तरीय जांच की जा रही है। शासन की तरफ से मंडलायुक्त मिर्जापुर की अगुवाई में तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है, जिसमें डीएम और एसपी को बतौर सदस्य नामित किया गया है। मामले में 30 जनवरी तक साक्ष्य संकलन की कार्रवाई होनी है। इसके बाद आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। माना जा रहा है कि इस मामले में जल्द ही विभागीय स्तर पर भी बड़ी कार्रवाई सामने आ सकती है।



Durgesh Sharma

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