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Sonbhadra: राख परिवहन में नियमों का उड़ाया जा रहा माखौल, एनजीटी से गठित हाईपावर कमेटी करेगी जांच
Sonbhadra: वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तीन सदस्यीय कमेटी सोनभद्र और जिले से सटे एमपी के सिंगरौली में नियमों की अनदेखी कर हो रहे राख परिवहन की स्थिति जांचेगी।
Sonbhadra News: वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय कमेटी सोनभद्र और जिले से सटे एमपी के सिंगरौली में नियमों की अनदेखी कर हो रहे राख परिवहन की स्थिति जांचेगी। कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक-एक अधिकारी मौजूद रहेंगे।
इस मसले पर समाजसेवी पंकज मिश्रा की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर जहां एनजीटी ने सख्त रवैया अपनाते हुए, टीम को तीन माह के भीतर याचिका में वर्णित तथ्यों और मौके की स्थिति की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। वहीं अति प्रदूषित क्षेत्र में पर्यावरण की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए कार्ययोजना तैयार करने के लिए भी कहा है।
बड़ा गठजोड़ बनाकर पर्यावरण को पहुंचाई जा रही क्षति
याचिकाकर्ता पंकज मिश्रा का आरोप है प्रदूषण नियंत्रण विभाग, सिंगरौली और सोनभद्र मे स्थित ताप विद्युत गृहों और राख अभिवहन से जुडे ट्रांसपोर्टरो के गठजोड़ के जरिए जहां पर्यावरण को क्षति पहुंचाने का खुला खेल खेला जा रहा है। वहीं करोडो का भ्रष्टाचार कर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा राख अभिवहन के लिए बनाई गई गाईड लाईन का माखौल उडाया जा रहा है। दावा किया कि नियमों के मुताबिक मैकेनाईज्ड व्हिकल और बल्करो से राख का परिवहन किया जाना चाहिए लेकिन इसकी जगह खुले मालवाहको पर तिरपाल बांधकर राख का परिवहन किया जा रहा है। जिसका दुष्परिणाम सिंगरौली और सोनभद्र के लाखों लोगों को जानलेवा वायु प्रदूषण के रुप मे झेलना पड रहा है।
याचिका में कहा गया है कि सिंगरौली और सोनभद्र पूर्व से ही गम्भीर प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र के रुप मे चिन्हित हैं। बावजूद राख के निस्तारण व उपयोग के नाम पर बनाई गई गाईड लाईन की आड़ में मनमाना परिवहन किया जा रहा है। दावा किया गया है कि गाईड लाईन मे कही भी यह प्राविधान नही है कि राख का अभिवहन खुले मालवाहको से किया जा सके।
प्रधान पीठ ने की मामले की सुनवाई, तीन माह में मांगी पूरी रिपोर्ट
एनजीटी की प्रधान पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अगुवाई वाली बेंच ने प्रकरण की सुनवाई की। पाया कि पहले से प्रदूषित क्षेत्र में, पर्यावरण से जुडा यह मसला काफी गंभीर है। इसको देखते हुए, वास्तविक स्थिति जांचने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संयुक्त टीम गठित कर, तीन माह के भीतर ई-मेल के जरिए रिपोर्ट प्रेषित करने का निर्देश दिया गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश के अनुपालन और समन्वय की जिम्मेदारी दी गई। साथ ही सोनभद्र और सिंगरौली के अति प्रदूषित क्षेत्र में पर्यावरण के लिहाज से एक कार्ययोजना भी तैयार करने के लिए कहा गया। मामले में अगली सुनवाई की तिथि तीन मार्च 2023 नियत की गई है।