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Sonbhadra: कृष्णशिला रेलवे साइडिंग 2018 से बनी है कोल तस्करी का अड्डा, NCL के CMD ने किया निरीक्षण
Sonbhadra:आज कृष्णशिला रेलवे साइडिंग का एनसीएल के सीएमडी भोला सिंह ने निरीक्षण किया।
कृष्णशिला रेलवे साइडिंग का एनसीएल के सीएमडी भोला सिंह ने किया निरीक्षण
Sonbhadra Illegal Coal Storage: कृष्णशिला रेलवे साइडिंग (Krishnashila Railway Siding) पर अनुमानित 10 मिलियन टन कोयले के अवैध भंडारण को लेकर नए खुलासे सामने आने का क्रम जारी है। बताया जा रहा है कि कृष्णशिला रेलवे साइडिंग (Krishnashila Railway Siding) वर्ष 2018 से ही कोल तस्करी का अड्डा बनी हुई है। यहां से कोयले की तस्करी तो की ही जा रही है, परियोजनों को भेजे जाने वाले कोयले में रिजेक्टेड कोयले चारकोल के मिलावट का भी बड़ा खेला जा रहा है। स्थिति यह है कि रिजेक्टेड कोयले से भरी रेल तीन दिन से कृष्णशीला स्टेशन पर खड़ी है लेकिन अनलोडिंग के लिए कोई भी सामने नहीं आ सका है।
एनसीएल के सीएमडी भोला सिंह ने किया निरीक्षण
रैक सिंगरौली के गोदावरी नामक कंपनी के जरिए बुक कराए जाने की बात चर्चा में है। अवैध भंडारण और रिजेक्टेड कोयले की मिलावट कर परियोजनाओं की आपूर्ति की मिलती शिकायत के क्रम में बुधवार को दोपहर एनसीएल के सीएमडी भोला सिंह (NCL CMD Bhola Singh) ने बीना-ककरी जीएम और इंटक के ओपी मालवीय और एचएमएस के अशोक पांडेय के साथ रेलवे साइडिंग, वहां हुए अवैध भंडारण और रिजेक्टेड कोयला लेकर खड़ी रैक का निरीक्षण किया।
तस्करी और अवैध भंडारण को लेकर आईं थीं कई शिकायतें
उनके सामने भी तस्करी और अवैध भंडारण को लेकर कई शिकायतें आईं। उस पर रोक के लिए, एनसीएल की तरफ से उठाए जाने वाले कदम को लेकर, जहां मातहतों को कई निर्देश दिए। वहीं बीना परियोजना में मसले को लेकर अधिकारियों और यूनियन प्रतिनिधियों के साथ मंत्रणा भी की। तय हुआ कि अवैध भंडारण को लेकर, कंपनी की तरफ से क्या कार्रवाई होनी है, इसके लिए जिला प्रशासन की रिपोर्ट का इंतजार किया जाएगा। वहीं कोयले के भंडार में जो आग लगी या लगाई गई है, उस पर जल्द से जल्द काबू के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। एचएमएस नेता अशोक पांडेय ने बताया कि सीएमडी का दौरा प्रभावी साबित हुआ है। कंपनी कमांड एरिया में किसी तरह का कोल भंडारण या तस्करी न होने पाए, इसके लिए कड़े कदम उठाने के निर्णय लिए गए हैं।
चार महीने पहले ही सामने आ गया था कोल भंडारण
सामने आई जानकारियों पर यकीन करे तो 34 बीघे की एरिया में जो कोल भंडारण पाया गया है, उसको लेकर मार्च से ही आवाज उठनी शुरू हो गई थी। बांसी प्रधान ने इलाके के संबंधितों को पत्र देकर कथित ट्रांसपोर्ट कंपनी गोदावरी, महाकाल, श्री महाकाल, महावीर, एसबीसी, आरके ट्रेडर्स, बालाजी की तरफ से खेल के मैदान के रूप में प्रयुक्त होने, डीह बाबा के पूजन स्थल की पहचान रखने वाली जगह पर कोल भंडारण यानी कोल यार्ड बनाए जाने की शिकायत की थी। कामगार यूनियन के प्रतिनिधियों ने भी कुछ अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश की थी लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। कहा जा रहा है कि संजीदगी दिखाई गई होती तो यह खेल तीन-चार माह पहले ही सामने आ गया होता।
चार साल से चल रहा रिजेक्टेड कोल की मिलावट का तस्करी का खेल
रिजेक्टेड कोयले को लाकर, शुद्ध कोयले में मिलावट कर तस्करी तथा परियोजनाओं को आपूर्ति किए जाने का मामला 2018 से ही सामने आने के बाद, रेलवे में भी इसको लेकर उच्च स्तर पर हड़कंप की स्थिति बन गई है। बताया जा रहा है कि कथित गोदावरी कंपनी के नाम पर 2018 से ही रिजेक्टेड कोयले की रैक कृष्णशीला पहुंच रही है। लोगों के दावे पर यकीं करें तो रिजेक्टेड कोल की मिलावट और तस्करी से देश की अर्थव्यवस्था को भी करोड़ों का चूना लगाया जा चुका है। बता दें कि रिजेक्टेड कोयले की मिलावट से जहां कोयले की खपत बढ़ जाती है। वहीं बारिश के समय कोयले में गीलापन की स्थिति बिद्युत उत्पादन बढ़ने, कोल हैंडलिंग प्लांट का कन्वेयर बेल्ड जाम होने की स्थिति बनने लगती है। इसका सीधा असर बिजली लागत पर पड़ता है। इस मामले पर डीटीएम दीपक कुमार की भी राय जानने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कन्नी काट ली।
अभी तक सामने नहीं आया कोई दावेदारः डीएम
डीएम चंद्रविजय सिंह(DM Chandravijay Singh) का कहना है कि अभी कोई दावेदार सामने नहीं आया है। निर्धारित समय में दावेदारी सामने नहीं आती है तो एनसीएल से संपर्क कर निलामी की प्रक्रिया कराई जाएगी। बताते चलें कि पब्लिक नोटिस में सात दिन का समय दिया गया है, जिसमें चार दिन का वक्त गुजर चुका है।