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Sonbhadra News: सोनभद्र के बेसिक विद्यालयों में मान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही इंट्री, बीएसए के आदेश का हवाला
Sonbhadra News: किसे विद्यालय हित में काम करने वाला माना जाएगा और किसे विरोधी, इसका निस्तारण में कोई जिक्र नहीं किया गया है
Sonbhadra News: पिछले दिनों बीएसए हरिवंश कुमार की तरफ से सभी खंड शिक्षाधिकारियों को प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अनधिकृत व्यक्तियों को प्रवेश न दिए जाने के मामले को लेकर जारी पत्र के मामले में, एक नया पत्र सामने आया है। बीएसए वाले पत्र के मसले पर की गई आनलाइन शिकायत के निस्तारण में कहा गया है कि विद्यालय परिसर में वहीं प्रवेश कर सकते हैं, जो या तो मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं या वह विद्यालय हित में काम करने वाले व्यक्ति हैं। किसे विद्यालय हित में काम करने वाला माना जाएगा और किसे विरोधी, इसका निस्तारण में कोई जिक्र नहीं किया गया है।
यह है पूरा मामला, बीएसए का यह था दावा
बताते चलें कि पखवाड़े भर पूर्व बीएसए की तरफ से प्राथमिक शिक्षक संघ की तरफ से दिए गए एक प्रार्थना पत्र का जिक्र करते हुए, सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया था कि किसी भी परिषदीय विद्यालय में कोई अनधिकृत व्यक्ति प्रवेश न करने पाए, इसे वह सुनिश्चित करें। यह पत्र जब वायरल हुआ तो इसको लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जाने लगे। उस समय सेलफोन पर बीएसए हरिवंश कुमार ने कहा था कि किसी भी मीडिया कर्मी, अभिभावक को नहीं रोका गया है। सिर्फ नशे की हालत को लेकर जहां-तहां विद्यालय में घुसने वालों पर रोक के लिए पत्र जारी किया गया है।
मामले को लेकर हुई शिकायत तो सामने आई नई जानकारी
बताते हैं कि इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ती सावित्री देवी ने डीएम से आनलाइन शिकायत की तो प्रकरण को मामले के निस्तारण के लिए बीएसए को और बीएसए के यहां से बीएसए विभाग में आईजीआरएस के नोडल की जिम्मेदारी संभाल रहे बीईओ राबर्टसगंज धनंजय कुमार सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई। सावित्री देवी की शिकायत थी कि अनधिकृत व्यक्तियों के बहाने पत्रकारों, समाजसेवियों की विद्यालय परिसर में आवाजाही पर रोक लगाई गई है। इसके जवाब में बतौर नोडल अधिकारी धनंजय कुमार सिंह ने शिकायत का निस्तारण करते हुए कहा कि बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा उच्च प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रत्यावेदन पर अनधिकृत व्यक्तियों के विद्यालय प्रवेश पर रोक लगाई गई है।
मान्यता प्राप्त पत्रकारों एवं विद्यालय हित में कार्य करने वाले किसी भी व्यक्ति को इस पत्र के माध्यम से नहीं रोका गया है। सवाल उठता है कि मान्यता सिर्फ जिले के पत्रकार को दी जाती है। क्षेत्रीय संवाददाता या मीडिया दफ्तर में बतौर रिपोर्टर काम करने वाले पत्रकारों को मान्यता नहीं मिलती। मंगलवार को जब यह पत्र वायरल हुआ तो एक बार फिर से तरह-तरह के सवाल उठने लगे। कई लोगों ने इसे भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश बताया तो किसी ने संबंधितों को उनकी मंशा को लेकर आड़े हाथों लिया।इस बारे में नोडल अधिकारी धनंजय कुमार से सेलफोन पर जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि उनके निस्तारण का आशय सिर्फ मान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही प्रवेश देने से नहीं है तो फिर इसका क्या मतलब निकाला जाए, इस पर उनका कहना था कि वह अपनी आख्या देखने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।