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Sonbhadra News: ट्रकों की रिलीजिंग में बड़ा खुलासा, बगैर रिकॉर्ड वाले वाहनों का हुआ सत्यापन करा दी FIR, सामने आए कई मामले
Sonbhadra News: ओवरलोड में सीज कर विभिन्न थानों पर खड़े लगभग 386 ट्रकों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाए जाने का कथित मामला परिवहन निदेशालय तक पहुंचा। जिसके बाद विभाग में हलचल तेज हो गई।
Sonbhadra News : यूपी के सोनभद्र जिले में फर्जी रिलीज आर्डर (Fake Release Order) पर छुड़ाए गए ट्रकों और डीएम की सख्ती के बाद कराई जा रही एफआईआर में नया खुलासा सामने आया है। कहा जा रहा है कि ऐसे ही कुछ वाहनों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करा दी गई, जिनके रजिस्ट्रेशन का कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं है।
दिलचस्प ये है कि इसे लेकर जहां कथित नंबर वाले वाहनों को सीज किया गया। इसके बाद विभागीय जांच-पड़ताल में रिलीजिंग की जांच की गई। फर्जी रिलीज आर्डर पर वाहन छुड़ाने के आरोप में एफआईआर भी दर्ज करा दी गई है। लेकिन, जिन वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छोड़ा गया, उसमें प्रदर्शित सभी वाहन नंबर पंजीकृत हैं या फिर कोई नंबर प्लेट फर्जी भी है, इसे जांचने की जरूरत ही नहीं समझी गई। अब तक 50 वाहनों को लेकर एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है। वहीं, हाथीनाला थाने से भी शुक्रवार की शाम 6 वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाए जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।
क्या है मामला?
बता दें कि, ओवरलोड में सीज कर विभिन्न थानों पर खड़े लगभग 386 ट्रकों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाए जाने का कथित मामला परिवहन निदेशालय तक पहुंचा। जिसके बाद विभाग में हलचल तेज हो गई। सूत्रों के मुताबिक, ट्रांसपोर्ट आयुक्त (Transport Commissioner) की तरफ से जहां इसको लेकर, प्राथमिक जांच रिपोर्ट तलब की जा चुकी है। वहीं, इस रिपोर्ट को लेकर विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू होने की अंदरखाने चर्चा बनी हुई है।
केस मैनेज करने की लगातार शिकायतें
दूसरी तरफ,विभागीय स्तर पर अब तक 56 वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाए जाने की बात पुष्ट हो चुकी है। जबकि, पहले छोड़े गए कई वाहनों का जुर्माना, अब जमा कराकर मामले को मैनेज करने की कोशिश की भी लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं। वहीं, चोपन में 29 वाहनों के खिलाफ दर्ज कराए गए मामलों में यूपी- 67 और यूपी- 63 नंबर वाले दो वाहन ऐसे बताए जा रहे हैं, जिसका रिकॉर्ड फर्जी है।
विभागीय कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल
शनिवार को बताए जा रहे फर्जी नंबर के संबंध में जिलों से जानकारी जुटाने की कोशिश की गई, तो वहां भी कथित नंबर का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। आनलाइन साइट भी संबंधित नंबर से जुड़ा कोई रिकर्ड न होने का मैसेज डिस्प्ले करती रहीं। सवाल उठता है कि जहां संबंधित नंबर के वाहन ओवरलोड में सीज किए गए। वहीं, फर्जी रिलिजिंग आर्डर के बाबत विभागीय स्तर पर सत्यापन की प्रक्रिया अपनाई गई, बावजूद बगैर रिकॉर्ड वाले नंबर पर किसी की नजर न पड़ना, एफआईआर में भी इसका जिक्र न होना, ऐसे सवाल हैं, जिसने विभागीय कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं।
मांगने पर भी नहीं उपलब्ध कराई ओनर डिटेल
इस मसले को लेकर, आरटीओ प्रशासन (RTO Administration) पीएस राय से उनके दफ्तर में संपर्क का प्रयास किया गया तो वहां फील्ड में होने की जानकारी दी गई। उनके सेल फोन पर संपर्क का प्रयास किया गया, तो व्यस्त बताता रहा। विंढमगंज थानाध्यक्ष सूर्यभान ने बताया कि, 'उनके यहां फर्जी ऑर्डर पर छुड़ाए गए एक वाहन के मामले में एफआईआर दर्ज कर छानबीन की जा रही है।' वहीं, हाथीनाला थानाध्यक्ष रवींद्र प्रसाद ने फोन पर बताया कि, 'शुक्रवार की शाम एआरटीओ विभाग के लोग फर्जी रिलीज आर्डर पर छुड़ाए गए वाहनों की जानकारी लेकर गए हैं। लेकिन अभी उस मामले में एफआईआर के लिए कोई तहरीर उनके यहां उपलब्ध नहीं कराई गई है। उधर, एडीएम सहदेव मिश्रा का कहना था कि फर्जी रिलीजिंग ऑर्डर वाले वाहनों के ऑनर की डिटेल मांगी गई थी, जो अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। प्रकरण की रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है।
एजीवीएस रैकेट से जुड़ा बताया जा रहा रिलीजिंग का तार
आरटीओ दफ्तर (RTO Office) वैसे ही दलालों की पैठ को लेकर बदनाम हैं। अब सोनभद्र में फर्जी रिलीजिंग आर्डर और जिले में वाहनों के फिटनेस को लेकर भी एक बड़ा रैकेट सक्रिय होने की बात बताई जा रही है। निजी व्यक्तियों द्वारा बीना में सप्ताह में एक दिन लगाए जाने वाले अस्थायी कैंप को लेकर एक वीडियो भी कई दिन से वायरल होने की बात सामने आई है। आरटीओ दफ्तर से जुड़े कार्यों को लेकर फैले प्राइवेट व्यक्तियों के रैकेट को लेकर दो ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशनों की तरफ से जिले से लेकर परिवहन आयुक्त तक शिकायत की जा चुकी है। बावजूद पिछले एक साल से वाहनों के गलत फिटनेस का मामला फाइलों में उलझा हुआ है।
ए, जी, वी और एस अक्षर नाम वाले व्यक्तियों है जुड़ा है मामला
बताया जा रहा है कि फर्जी रिलीजिंग से जुड़ा मामला ए, जी, वी और एस अक्षर वाले व्यक्तियों से जुड़ा हुआ है। इसमें कुछ व्यक्तियों को चंद माह पूर्व तक, आरटीओ दफ्तर में एक कर्मी की तरह कुर्सियां संभालते देखे जाने और एक विभागीय अफसर के अति करीब रहने का भी दावा किया जा रहा है। बताया जा रहा कि जिस दिन से एफआईआर हुई है, उस दिन से ए, जी और वी अक्षर वाले व्यक्ति गायब हो गए हैं। सच्चाई क्या है, इसका खुलासा तो पुलिस करेगी।