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Sonbhadra: गुड्डी की मौत का सामने आया सच, उपचार के दौरान हुई लापरवाही, CMO ने DM को सौंपी रिपोर्ट

Sonbhadra: सीएमओ डा. राजेश सिंह ठाकुर ने डीएम चंद्र विजय सिंह को जांच के निष्कर्ष से अवगत कराया। सौंपी गई रिपोर्ट में ऑपरेशन के बाद उसकी देखरेख, ब्लड चढ़ाते समय व लापरवाही बरते जाने की बात कही है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 6 Jun 2022 7:19 PM IST
Sonbhadra News In Hindi
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पंचशील मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल। (Social Media)

Sonbhadra: राबर्ट्सगंज स्थित पंचशील मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल (Panchsheel Multispecialty Hospital) में उपचार के लिए लाई गई गुड्डी की हालत अचानक बिगड़ने और वाराणसी जाते समय हुई मौत के मामले में, आखिरकार उससे जुड़ा सच सामने गया है। करीब एक सप्ताह से चर्चा में रहे इस मौत के पीछे, एसीएमओ और डिप्टी सीएमओ की मौजूदगी वाली टीम की जांच में अस्पताल की तरफ से मरीज के देखरेख में लापरवाही का मामला सामने आया है। टीम की तरफ से जहां सीएमओ को इसकी रिपोर्ट सौंपी गई है।

डीएम को जांच के निष्कर्ष से कराया अवगत

वहीं सीएमओ डा. राजेश सिंह ठाकुर (CMO Dr. Rajesh Singh Thakur) की तरफ से डीएम चंद्र विजय सिंह (DM Chandra Vijay Singh) को जांच के निष्कर्ष से अवगत कराया गया है। सौंपी गई रिपोर्ट में ऑपरेशन के बाद उसकी देखरेख, ब्लड चढ़ाते समय तथा उसके बाद लापरवाही बरते जाने की बात कही गई है। वहीं अस्पताल प्रबंधन की तरफ से ब्लड रिएक्शन-मिसमैच की, कही जा रही बात को खारिज कर दिया गया है। उधर, डीएम की तरफ से गठित तीन सदस्यीय टीम की तरफ से अभी डीएम को रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है। एक-दो दिन में उस रिपोर्ट को भी सौंपे जाने की बात बताई जा रही है।


25 मई को हुआ था ऑपरेशन

बताते हैं कि करमा थाना क्षेत्र के लोहरतलिया गांव निवासी गुड्डी देवी को गत 24 मई की शाम सवा चार बजे पंचशील हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। वहां 25 मई की दोपहर डेढ़ बजे उसकी बच्चेदानी का ऑपरेशन किया गया। एसीएमओ डॉ. गुलाब शंकर (ACMO Dr. Gulab Shankar) और डिप्टी सीएमओ डा. रामकुंवर (Deputy CMO Dr. Ramkunwar) की तरफ से सौंपी गई जांच रिपोर्ट के मुताबिक ऑपरेशन के बाद शाम सात बजे से रात नौ बजे के बीच उसे एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। 26 मई की दोपहर दो बजे तक मरीज की हालत स्थिर थी। इसके बाद अचानक से उसका ब्लडप्रेशर घटने लगा और पेशाब की मात्रा कम होने लगी। सांस लेने में भी दिक्कत आने लगी। तब उस दिन शाम सात बजे प्राइवेट एंबुलेंस के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट देकर अस्पताल के स्टाफ के साथ उसे वाराणसी भेजा गया।

टीम का कहना है कि मरीज को रेफर करने के बाद का कोई कामजात-अभिलेख उन्हें उपलब्ध नहीं हो पाया, इसलिए मृत्यु के कारण और दाह-संस्कार पर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। मृतक के बेटे मनीष यादव और पत्रकार विजय विनीत की शिकायत पर बैठाई गई जांच के निष्कर्ष में जिक्र किया गया है कि अस्पताल का संचालन-पंजीकरण मानक के अनुरूप पाया गया है। ऑपरेशन भी अर्हता रखने वाले चिकित्सक ने किया है लेकिन ऑपरेशन के पहले मरीज का हीमोग्लोबिन 9.1 था। टीएएच सर्जरी एक मेजर सर्जरी होती है। इसलिए मरीज का हीमोग्लोबिन सही करने के बाद ऑपरेशन किया जाना चाहिए था।

ब्लड मिसमैच होने से मरीज को हुई दिक्कत

हॉस्पिटल की तरफ से डॉ. अनुपमा का आरोप है कि ब्लड बैंक द्वारा दिया गया ब्लड मिसमैच होने से मरीज को दिक्कत हुई लेकिन जांच टीम ने इसे खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीज का ब्लडग्रुप बी पॉजिटिव था। जो ब्लड ग्रुप, ब्लड बैंक द्वारा दिया गया, वह भी बी पॉजिटिव था। एक्सपायरी 16 जून थी। यदि ब्लड के क्रास मैचिंग एवं ब्लड चढ़ाने से मरीज को दिक्कत थी तो ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक को तत्काल ब्लड चढ़ाना रोककर ब्लड, ब्लड बैंक को भेजकर पुनः क्रास मैच कराना चाहिए था। इसको लेकर ब्लड ट्रांसफ्यूज मानिटरिंग फार्म या इसे चढ़ाने से पहले, चढ़ाते समय और चढ़ाने के बाद माॅनीटर विटाल्स भरना चाहिए था। चढ़ाते समय अगर कोई एलर्जी रिएक्शन होता है तो उसका भी उल्लेख होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

मरीज के ऑपरेशन के बाद हॉस्पिटल की ओर से बरती गई लापरवाही

रिपोर्ट में कहा गया है कि उपर्युक्त आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि मरीज के ऑपरेशन के बाद उसकी देखरेख तथा ब्लड चढ़ाने के समय व उसके बाद हॉस्पिटल द्वारा लापरवाही बरती गई। बता दें कि इस मामले में डीएम की तरफ से सीएमओ, एसडीएम और सीओ की मौजूदगी वाली त्रिस्तरीय टीम गठित है। अब लोगों की निगाहें, डीएम को सौंपी जाने वाली दूसरी रिपोर्ट पर टिकी हुई है।



Deepak Kumar

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