×

Sonbhadra: 'सरकारी' शब्द के इस्तेमाल पर पाबंदी के बावजूद हो रहा उपयोग, निर्देशों की उड़ी धज्जियां

सोनभद्र में बोर्ड पर सरकारी शब्द के इस्तेमाल पर पाबंदी के बावजूद, धड़ल्ले से इसका उपयोग किया जा रहा है। जिस बोर्ड पर दुकान और उसके लाइसेंस अवधि का अंकन किया गया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 25 May 2022 5:10 PM IST
Sonbhadra News In Hindi
X

आबकारी विभाग के निर्देशों की उड़ी धज्जियां। 

Sonbhadra: एमपी सीमा से सटे इलाकों में स्थित देशी-विदेशी शराब के दुकानदारों के लिए विभागीय निर्देश कोई खास मायने नहीं रखते। अंकित कीमत से अधिक वसूली की शिकायत तो अक्सर मिलती ही रहती है, बोर्ड पर 'सरकारी' शब्द के इस्तेमाल पर पाबंदी के बावजूद, धड़ल्ले से इसका उपयोग किया जा रहा है। जिस बोर्ड पर दुकान और उसके लाइसेंस अवधि का अंकन किया गया है, उसे भी वन विभाग के कलर में रंगने को लेकर कौतूहल की स्थिति है। बोर्ड हाइवे पर लगे हुए हैं। दुकानें भी अधिक राजस्व देने वालों में से एक हैं। यहां विभाग के लोगों का अक्सर आना-जाना बना रहता है। बावजूद कुछ महीने से नहीं, बल्कि दो साल से यह बोर्ड लगे हुए हैं। कुछ दिनों से यह तस्वीर सोशल मीडिया पर भी चटखारे लेकर वायरल हो रही है। बावजूद किसी की नजर इन पर नहीं पड़ रही।

सोनभद्र के एक बड़े हिस्से को ऊर्जाधानी की पहचान देने वाले अनपरा की एरिया में जैसे ही प्रवेश करेंगे, वैसे ही डिबुलगंज से सरकारी देशी शराब, सरकारी ठंडी बियर, सरकारी अंग्रेजी शराब की दुकान लिखे बोर्ड लगे नजर आने शुरू हो जाएंगे। दिलचस्प मसला यह है कि यहां के बोर्ड को रंगने का तरीका भी, जिले के दूसरे हिस्सों से अलग है। अगर बोर्ड पर लिखे गए शराब की दुकान पर नजर नहीं गई तो एकबारगी लगेगा कि किसी सरकारी महकमे का दफ्तर है। आधा लाल और आधा हरे कलर में रंगे बोर्ड को पहली नजर में देखकर ऐसा एहसास होता है कि जैसे यहां पहले वन विभाग (Forest department) का बोर्ड रहा हो, जिसका उपयोग अब शराब के दुकानों के बोर्ड के रूप में किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि किसी भी शराब की दुकान के बोर्ड पर 'सरकारी' शब्द लिखने पर पाबंदी लगाई जा चुका है।


आबकारी विभाग की तरफ से कड़े निर्देश जारी

आबकारी विभाग की तरफ से भी इसको लेकर कड़े निर्देश जारी किए जा चुके हैं। बावजूद 2021-22 के बाद 2022-23 के लिए भी सरकारी लिखे बोर्डों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। बताते हैं कि सामान्यतया आबकारी विभाग के बोर्ड में आधा पीला और आधा नीला रंग का उपयोग किया जा सकता है लेकिन यहां वन विभाग की तरफ से अपने बोर्ड के लिए इश्तेमाल में लाए जाने वाले रंग और तरीके को इस्तेमाल कर लिया गया है। स्थानीय लोगों ने कई बार इस पर आपत्ति जताई लेकिन दुकानदारों की तरफ से विभागीय निर्देश होने की बात कहकर चलता कर दिया जाता है। उधर, आबकारी निरीक्षक अनुपम सिंह का सेलफोन पर कहना था कि बोर्ड का एक मानक है। मानक के अनुरूप ही बोर्ड लगाने के निर्देश दिए गए हैं। मौके पर क्या स्थिति है? यह देखने के बाद ही बताया जा सकता है।


सरकारी शब्द का इस्तेमाल गलत: जिला आबकारी अधिकारी

जिला आबकारी अधिकारी शैलेंद्र सिंह (District Excise Officer Shailendra Singh) का सेलफोन पर कहना है कि सरकारी शब्द का इस्तेमाल गलत है। बोर्ड किसी रंग का हो सकता है। उसको लेकर कोई विशेष दिशा-निर्देश नहीं हैं। वहीं प्रभागीय वनाधिकारी रेणुकूट मनमोहन मिश्रा (District Excise Officer Shailendra Singh) का कहना था कि जिस जगह शराब की दुकानें हैं, वहां वन विभाग का न कोई दफ्तर है, न ही वन विभाग की तरफ से कोई बोर्ड लगाया गया है। उनके विभाग के बोर्ड के लिए इस्तेमाल होने वाले रंग को शराब की दुकानों के बोर्ड पर इश्तेमाल किए जाने का क्या माजरा है? इसकी वह जानकारी करेंगे।

अधिकतम मूल्य से अधिक कीमत पर बिक रही शराब

सोनभद्र। अनपरा एरिया में तय अधिकतम कीमत से भी अधिक दर पर शराब-बियर बेचे जाने का मामला भी प्रकाश में आया है। वहां के श्याम गुप्ता का आरोप है कि उन्होंने काशी मोड़ स्थित दुकान से बियर खरीदी। उस पर अधिकतम कीमत 110 रूपये अंकित है लेकिन दुकानदार ने उनसे 120 रूपये की दर से कीमत वसूली। इसी दर के हिसाब से प्यारेलाल बीयर शाॅप वाले अकाउंट पर उनसे आनलाइन कैश ट्रांसफर भी करवाया गया। इसको लेकर उनका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है।



Deepak Kumar

Deepak Kumar

Next Story