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Sonbhara News: रेलवे को करोड़ों की चपत, आरपीएफ और इंजीनियरों के गठजोड़ ने लगाया चूना

Sonbhara News: रेलवे इंजीनियरों और आरपीएफ कर्मियों की मिलीभगत से इंडियन रेलवे में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। जांच करने आईजी सोनभद्र पहुंचे हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 23 March 2022 4:17 PM IST (Updated on: 23 March 2022 4:43 PM IST)
Sonbhara News: Railways lost crores, RPF and engineers swindled by alliance
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सोनभद्र: रेलवे को करोड़ों की चपत

Sonbhara News: दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा भारतीय रेल (Indian Rail) में उन्हीं के 'इंजीनियर' और रेल संपत्ति के रक्षक (guard of railway property) 'रेलवे पुलिस फोर्स' (RPF) के लोग, चूना लगाने में लगे हैं। ताजा मामला सोनभद्र से जुड़े पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद डिवीजन का है। यहां कुछ समय में ही रेलवे इंजीनियरों और आरपीएफ कर्मियों की मिलीभगत से करोड़ों का माल पार कर दिया। पखवाड़े भर पूर्व सोनभद्र से उड़ाए गए माल के पकड़े जाने और उसके बाद स्थानीय स्तर पर हुई जांच में सामने आए खुलासे ने रेलवे प्रशासन में हड़कंप की स्थिति पैदा कर दी है।

इसकी उच्चस्तरीय जांच शुरू हो गई है। इसी कड़ी में आरपीएफ (RPF) के आईजी एवं पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त मंयक श्रीवास्तव बुधवार को दोपहर बाद सोनभद्र पहुंचे तो रेलवे के लोगों में हड़कंप मच गया। उन्होंने विंढमगंज स्थित रेलवे गोदाम का जायजा लेने के साथ ही रेलवे-आरपीएफ के लोगों और घटनास्थल के इर्द-गिर्द, चाय-पान की दुकान करने वालों से पूछताछ कर जरूरी जानकारी जुटाई। जांच के दौरान क्या सामने आया? यह विवेचना का विषय बताते हुए किसी टिप्पणी से इंकार कर दिया।


ऐसे सामने आया मामला, .. और खुलते चले गए गठजोड़ के तार

गत चार मार्च को आरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट अरुण कुमार को सूचना मिली कि कुछ विभागीय लोगों की मिलीभगत से विंढमगंज स्थित गोदाम से दो ट्रक स्क्रैप (लगभग 60 टन) माल गायब कर दिया गया है। मिली सूचना के आधार पर माल लेकर जा रहे ट्रकों का लोकेशन तलाशा गया और धनबाद डिवीजन (Dhanbad Division) की आरपीएफ (RPF) और लखनऊ के आरपीएफ टीम के संयुक्त प्रयास से दोनों ट्रक पकड़ लिए गए। ट्रक चालकों से पूछताछ में गोदाम इंचार्ज एवं वरीय अनुभाग अभियंता रेलपथ अशोक कुमार सिन्हा का नाम सामने आया तो उनसे और उनके मातहतों से की गई पूछताछ में, शिफ्टिंग के नाम पर रेलवे संपत्ति को ठिकाना लगाने वाले रेलवे इंजीनियर और आरपीएफ कर्मियों के गठजोड़ की कड़ियां सामने आती चली गईं।

आरपीएफ सब इंस्पेक्टर और इंजीनियर मिलकर करते थे हेराफेरी, फिक्स था दोनों का रेट

पूछताछ के दौरान रेलवे पुलिस को आरोपी गोदाम इंचार्ज की तरफ से दिए गए कथित हस्तलिखित बयान और वायरल हो रही कॉपी-वीडियो पर यकीन करें तो रेलवे गोदामों से शिफ्टिंग के नाम पर जो भी माल गायब होता था उसमें रेलवे इंजीनियर और आरपीएफ सब इंस्पेक्टर दोनों की हिस्सेदारी तय रहती थी। इंजीनियर अशोक कुमार सिन्हा को प्रति किलो सात रुपये और सब इंस्पेक्टर कुमार नयन को प्रति किलो छह रुपए मिलने की बात अंकित है।


खरीदारों का समूह करता था प्लानिंग, जिम्मेदारों की हरी झंडी मिलने के बाद उड़ाते थे माल

इंजीनियर सिन्हा द्वारा रेलवे पुलिस को पूछताछ में दी गई जानकारी में देवेंद्र जैना, फैयाज और शकील को माल का खरीदार (परचेजर) बताया गया है। तीनों मिलकर माल खपाने की प्लानिंग करते थे और रेलवे इंजीनियरिंग विभाग और आरपीएफ के जिम्मेदारों की हरी झंडी मिलते ही माल को गोदाम से उठाकर मार्केट में खपा दिया जाता था। रेलवे के लोगों की आपसी मिलीभगत होने के कारण, गायब होने वाले माल को शिफ्टिंग के रिकॉर्ड में डालकर, संबंधित गोदाम से खारिज कर दिया जाता था।

विंढमगंज (windhamganj) में बनाई थी फूलप्रूफ योजना, लेकिन एक बड़े अफसर की नजर ने खोल दी पोलः बताते हैं कि माल खपाने वालों, रेलवे तथा आरपीएफ से जुड़े लोगों ने विंढमगंज स्थित एक होटल में बैठकर इसकी फूलप्रूफ प्लानिंग बनाई थी। परचेजरों, सब इंस्पेक्टर कुमार नयन और गोदाम इंचार्ज अशोक कुमार सिन्हा के बीच फोन और व्हाट्सएप के जरिए कई चक्र वार्ता भी हुई थी। मौके पर तैनात कर्मियों को शिफ्टिंग में माल जाने की बात बता कर दो ट्रक माल बाहर कराने में सफलता मिल गई थी।

विभागीय रिकर्ड में एक कांट्रैक्टर के ट्रक का नंबर नोट कर, उसके जरिए 2000 पेंड्रोल क्लिप और 25 सेट फिश प्लेट के शिफ्टिंग की बात दर्ज कर ली गई। इसी बीच रेलवे का माल शिफ्टिंग के बहाने गायब करने की जानकारी सीनियर डिविजनल इंजीनियर के पास पहुंची तो महकमे में हड़कंप मच गया और शिफ्टिंग के नाम पर निकले माल को लेकर पूछताछ-सुरागसी शुरू हो गई।

पूछताछ में माल निकासी के दरम्यान आरपीएफ के चोपन पोस्ट प्रभारी कुमार नयन के साथ ही सीआईबी (Crime Intelligence Branch) के बरकाकाना थाने में तैनात आरके सिंह के भी विंढमगंज पहुंचने की बात सामने आने के बाद, सीआईबी कर्मियों की भी भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे हैं हालांकि आरके सिंह की क्या भूमिका थी? यह अभी जांच के दायरे में है।


फंसने लगी गर्दन तो आरोपी बताया जा रहा सब इंस्पेक्टर ही पहुंच गया गोदाम इंचार्ज को गिरफ्त में लेने

मामला तूल पकड़ने लगा तो अपनी गर्दन फंसने से बचाने के लिए आरपीएफ सब इंस्पेक्टर चोपन कुमार नयन ही रेलवे इंजीनियर गोदाम इंचार्ज सिन्हा को हिरासत में लेने पहुंच गए। उनके साथ गोदाम कर्मी पंकज कुमार सिन्हा को भी चोपन स्थित आरपीएफ पोस्ट ले आया गया, जहां तीन दिन तक अलग-अलग अधिकारियों की तरफ से चली पूछताछ में सच सामने आता गया। वहीं, आरोपियों और उनको संरक्षण देने वालों के खिलाफ किस तरह का विभागीय एक्शन लिया जाता है? इस को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

शीर्ष स्तर से था वरदहस्त, लगातार मिल रही थी अहम जिम्मेदारी

रेलवे की संपत्ति को चूना लगाने में जुटे आरोपियों को न केवल उच्च स्तर से वरदहस्त था बल्कि उन्हें लगातार अहम जिम्मेदारियां मिल रही थी। इंजीनियर अशोक के पास धनबाद डिवीजन के दो बड़े गोदाम विंढमगंज और मेराल ग्राम का चार्ज था। वहीं, सब इंस्पेक्टर कुमार नयन को लेकर चर्चा है कि उनकी तैनाती आरपीएफ के कोडरमा थाने में थी लेकिन अपनी पहुंच के बूते लगभग दो साल गढ़वा और एक साल से चोपन में बने हुए थे।

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Shashi kant gautam

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