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Sonbhadra News: कहां से आया 10 मिलियन टन कोयला, नहीं है किसी के पास जवाब
Sonbhadra News Today: पूर्व मध्य रेलवे के कृष्णशिला रेल साइडिंग पर मिले कथित 10 मिलियन टन कोयले के अवैध भंडारण को लेकर जहां जिले से लेकर देश के राजधानी तक हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
Sonbhadra News Today: पूर्व मध्य रेलवे (East Central Railway) के कृष्णशिला रेल साइडिंग (Krishnashila Rail Siding) पर मिले कथित 10 मिलियन टन कोयले के अवैध भंडारण को लेकर जहां जिले से लेकर देश के राजधानी तक हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। वहीं आखिर इतनी बड़ी मात्रा में कोयला आया कहां से? इसका जवाब भंडारण पकड़े जाने के तीसरे दिन भी सामने नहीं आ सका है। नार्दन कोलफील्ड्स लिमिटेड (Northern Coalfields Limited) का स्पष्ट कहना है कि उस कोयले से उसका कोई लेना-देना नहीं है। रेलवे भी इसको लेकर किसी जानकारी से इंकार कर रहा है। रेलवे रैक से अगर कोई कोयला लाया भी जा रहा है तो उसकी अधिकतम मात्रा किसी भी दशा में 8000 टन से अधिक नहीं हो सकती।
दबी जुबान कुछ ट्रांसपोर्टर कोयले को खरीद कर भंडारण करने की बात कहते हुए, मामले को लेकर सेटिंग बिठाने के प्रयास में जुटे हुए हैं लेकिन कोयले की इतनी बड़ी खेप आई कहां से? इसकी खरीदारी कब, कहां की गई, कितने लोगों ने मिलकर खरीदारी की, भंडारण के लिए कब, किससे परमिशन ली गई, इसे कहां ले जाया जाना था? इसका जवाब अभी तक पूरी तरह अनुत्तरित बना हुआ है। अवैध भंडारण पकड़े जाने के तीसरे दिन यानी रविवार की देर शाम तक इसको लेकर कोई दावा भी जिला प्रशासन के सामने नहीं आ सका है।
इस जांच के अहम किरदार प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा सिर्फ प्रदूषण के मसले पर ध्यान देने की बात कही जा रही है। शेष मसला कोयला मंत्रालय से जुड़े होने का दावा किया जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या पर्यावरण क्षति की पेनाल्टी जमा करा कर, सामने आए मसले और उठ रहे सवालों का जवाब जाने या लिए बिना ही, किसी को कोयला उठाने की इजाजत दे दी जाएगी? इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। हालांकि इस पर एडीएम सहदेव मिश्रा का स्पष्ट कहना है कि कोयले को लेकर दावा करने वाले को इससे जुड़े सभी प्रपत्र प्रस्तुत करने होंगे। निर्धारित समय के भीतर दावा नहीं मिलता है तो अवैध भंडारित कोयले के नीलामी की प्रक्रिया शुरू करा दी जाएगी।
तीन दिन पूर्व लाए गए चारकोल की नहीं मिल पा रही जानकारी
कोयला भंडारण पकड़े जाने के एक-दो पूर्व यहां रेलवे रैक के जरिए लगभग 3000 टन चारकोल लाए जाने की बात पिछले चार दिन से चर्चा में है। रेलवे के लोगों से पूछताछ में चारकोल की बजाय बरकाकाना से एक रैक कोयला आने की बात कही जा रही है। मौके पर जो भंडारण पाया गया है उसे प्रथम दृष्टया मिलियन टन में अनुमानित किया गया है। आखिर रेलवे रैक से आया कोयला या चारकोल कहां गया? यह भी एक बड़ा सवाल बन गया है।
मौके पर कहीं चारकोल के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली: ADM
एडीएम सहदेव मिश्रा (ADM Sahdev Mishra) कहते हैं कि मौके पर कहीं चारकोल के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। रेलवे के डिविजनल ट्रैफिक मैनेजर दीपक कुमार (Railway Divisional Traffic Manager Deepak Kumar) का कहना है कि कृष्णशीला साइडिंग पर पाए गए कोयले से रेलवे का न कोई मतलब है ना ही वह कोयला कहां से आया? किसने भंडारित किया, इसके बारे में रेलवे को कोई जानकारी है। सेलफोन पर बताते हैं कि ई-आक्शन का कोयला कहीं से कहीं ले जाया जा सकता है लेकिन एक बार में रेलवे किसी भी हालत में 8000 टन से अधिक कोयले की ढुलाई नहीं कर सकता। ऐसे में 10 मिलियन या 10 लाख टन कोयला कहां से आया? इसका जवाब ढूंढ़ पाना प्रशासन के लिए बड़ी पहेली बन गया है।
कृष्णशीला साइडिंग पर भंडारित कोयले के बारे में एनसीएल को कोई जानकारी नहीं: पीआरओ
उधर, सेलफोन पर एनसीएल के पीआरओ रणविजय सिंह (NCL PRO Ranvijay Singh) ने कहा कि कृष्णशीला साइडिंग पर भंडारित कोयले के बारे में एनसीएल को कोई जानकारी नहीं है, न ही एनसीएल का उससे कोई लेना-देना है। एनसीएल की जमीन पर बगैर किसी परमिशन के भंडारण के सवाल पर कहा कि एक संस्था इसकी जांच कर रही है। इसलिए उसका निष्कर्ष आने तक, कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।