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Sonbhadra News: NGT का जांच कराने का फैसला, कोयले के अवैध भंडारण, परिवहन और जलने से पर्यावरण को क्षति

Sonbhadra: पूर्व मध्य रेलवे के कृष्णशिला रेलवे साइडिंग के पास गत जुलाई माह में पाए गए लगभग 10 मिलियन टन कोयले के अवैध भंडारण का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक जा पहुंचा है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 18 Nov 2022 3:28 PM IST
Sonbhadra News In Hindi
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कोयले के अवैध भंडारण

Sonbhadra News: देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सोनभद्र के बांसी स्थित पूर्व मध्य रेलवे के कृष्णशिला रेलवे साइडिंग (Krishnashila Railway Siding) के पास गत जुलाई माह में पाए गए लगभग 10 मिलियन टन कोयले के अवैध भंडारण का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) तक जा पहुंचा है। दाखिल की गई याचिका में बड़े स्तर पर पर्यावरणीय क्षति के साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाने की बात उल्लिखित की गई है।

तीन सदस्यीय कमेटी का किया गठित

मामले की गंभीरता को देखते हुए, एनजीटी की प्रधान बेंच ने याचिका में उल्लिखित तथ्यों, मौके की स्थिति और पर्यावरण को पहुंचे नुकसान की सही स्थिति जानने के लिए सूबे के चीफ कंजरवेटर आफ फारेस्ट, जिलाधिकारी सोनभद्र और सदस्य सचिव उत्तर प्रदेश प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड की मौजूदगी वाली तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने के साथ ही, दो सप्ताह के भीतर कमेटी की मीटिंग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। साथ ही दो माह के भीतर मौके के निरीक्षण, तथ्यों के परीक्षण साथ ही, इसको लेकर लिए जाने वाले एक्शन की जानकारी दो माह के भीतर उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया है।


सामने आया था बड़े सिंडीकेट का खेल, पर नहीं हो सकी कार्रवाई

बताते चलें कि एनसीएल के कोल प्रोजेक्ट क्षेत्र में स्थित कृष्णशिला रेलवे साइडिंग के किनारे एनसीएल की 32 बीघे जमीन पर गत जुलाई माह में, सोनभद्र के इतिहास में अब तक का सबसे बडा अवैध कोयला भंडारण पाए जाने पर सनसनी फैल गई थी। मामले के तार जहां पश्चिम बंगाल तक जुड़े होने की चर्चा सामने आई थी, वहीं रेलवे रैक से आने वाले कथित चारकोल और उसकी मिलावट कर, विभिन्न कोल परियोजनाओं को आपूर्ति कर मोटा मुनाफा कमाने वाले सिंडीकेट को लेकर कई तरह की कथित बातें सामने आने के बाद हड़कंप मच गया था। इस मामले में रेलवे के लोगों पर सीधे-सीधे तो सवाल तो उठाए ही गए थे, एनसीएल के कोल प्रोजेक्ट क्षेत्र में इतने बड़े अवैध भंडारण पर, कोल कंपनी के अफसरों की भी नजर न पड़ने को लेकर तरह-तरह की बातें कई दिनों तक चर्चा में बनी रही थीं।

मामले में 11 ट्रांसपोर्ट कंपनियों/फर्मों को लेकर की गई थी शिकायत

दिलचस्प मसला यह है कि इस मामले को लेकर संबंधित प्रधान की तरफ से एक शिकायत भी जिला प्रशासन के पास पहुंची थी, जिसमें गोदावरी कंपनी सहित 11 कोल ट्रांसपोर्ट कंपनियों के नाम उजागर किए गए थे। बावजूद किसी भी कंपनी के खिलाफ न तो रेलवे, न तो एनसीएल ना ही अन्य किसी विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई सामने आई। लंबे समय तक दावा लेने और उसके सत्यापन की प्रक्रिया अपनाई जाती रही। ट्रांजिट शुल्क का मसला फंसने के बाद, कोयले को लकर दावेदारी कर रहे कथित लोगों, फर्मों ने भी चुप्पी साध ली। मजबूरन जिला प्रशासन को कोयले की नीलामी की प्रक्रिया अपनाने का निर्देश देना पडा। संबंधित एरिया के प्रधान की शिकायत में कोल भंडारण करने वाले ट्रांसपोर्टरों का नाम स्पष्ट रूप से उजागर किए जाने के बावजूद, बगैर अनुमति, लाखों टन कोयले का अवैध भंडारण, इसके अवैध परिवहन और भंडारण स्थल पर लंबे समय से लगी आग के चलते पर्यावरण को पहुंची क्षति के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए, यह सवाल अब तक अनुत्तरित है।


ऐसे पहुंचा एनजीटी के पास मामला

ला की पढ़ाई कर रही वाराणसी निवासी संदल परवीन ने एनजीटी की प्रधान बेंच में याचिका दाखिल की। कहा कि देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र होने के बावजूद, लगभग 10 मिलियन टन कोयले के अवैध भंडारण और इसके चलते पर्यावरण को पहुंचे नुकसान को लेकर अब तक, इसके जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई सामने नहीं आ सकी है। पीठ के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायिक सदस्य प्रो. ए सेंथिल वेल और एक्सपर्ट मेंबर की मौजूदगी वाली बेंच ने गत 16 नवंबर को इसकी सुनवाई की। याचिका के तथ्यों और दी गई दलीलों को दृष्टिगत रखते हुए, प्रकरण के तथ्यों और स्थिति की जांच के लिए तीन सदस्यीय हाईपावर कमेटी गठित की गई।

देश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला

याचिकाकर्ता के साथ ही, मामले को लेकर तथ्य अन्वेषण में जुटी अधिवक्ताओं की टीम का दावा है कि अगर मामले की जांच में सही तथ्य सामने आए तो कोयले के अवैध भंडारण के बडे खेल के साथ ही, देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आएगा। मुख्यालय स्थित एक होटल में प्रेस कांफ्रेंस के जरिए यह दावा किया गया है कि इस पूरे खेल में परदे के पीछे अडानी ग्रुप और इससे जुड़े लोगों का भी हाथ है।

बालू खनन की भी स्थिति जांचेगी उच्चस्तरीय समिति

सोन नदी में हो रहे बालू खनन ओर इससे पर्यावरण को हो रहे कथित नुकसान को लेकर भी संदल परवीन की तरफ से एनजीटी में याचिका दाखिल की गई है। मामले की सुनवाई करते हुए प्रधान बेंच ने फैक्ट फाइडिंग कमेटी गठित करते हुए चीफ कंजरवेटर आफ फारेस्ट, जिलाधिकारी सोनभद्र और सदस्य सचिव उत्तर प्रदेश प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड को निर्देशित किया है कि, वह मामले में, सुनवाई की अगली तिथि के एक माह पहले, अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दें। दोनों मामलों में नोडल और समन्वय की जिम्मेदारी सदस्य सचिव यूपीपीसीबी को सौंपी गई है।



Deepak Kumar

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