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सोनभद्र में 34 बीघे में मिला 10 लाख टन कोयले का अवैध भंडारण, पैदा हो सकती है 6.25 लाख मेगावाट बिजली
Sonbhadra News: रेलवे साइडिंग पर 34 बीघे में जमीन पर करीब 10 मिलियन टन कोयले का अवैध भंडारण मिला है। प्रशासन की छापेमारी में इसका खुलासा हुआ। आगे की कार्रवाई जारी है।
Sonbhadra Coal News : एक तरफ केंद्रीय विद्युत मंत्रालय (Union Ministry of Power) सात गुना अधिक दर पर कोयला आयात करने को बिजलीघरों (Power Stations) पर दबाव डाल रहा है। वहीं दूसरी तरफ, सोनभद्र जिले में कृष्णशिला रेलवे साइडिंग (Krishnashila Railway Siding) के पास एनसीएल (Northern Coalfields) के 34 बीघे जमीन पर 10 मिलियन टन कोयले का अवैध भंडारण पाया गया है। इस अवैध भंडारण का पता चलते ही कोल इंडिया (Coal India) से लेकर कोल मंत्रालय तक हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
बता दें कि, दो दिन तक चली जांच और छापेमारी के दौरान सोनभद्र जिले में अब तक पकड़ में आया जहां यह सबसे बड़ा अवैध कोल भंडारण है। वहीं, प्रशासन की तरफ से पहली बार इस तरह की बड़ी कार्रवाई ने कोल माफियाओं (Coal Mafia) से लेकर उर्जांचल से कोलकाता तक फैले कोल स्कैम सिंडीकेट (Coal Scam Syndicate) की नींद उड़ा दी है।
कई सुलगते सवाल खड़े हो रहे
दिलचस्प मसला ये है कि कृष्णशिला रेलवे साइडिंग से NCL की एक नहीं बल्कि यूपी से जुड़ी पांच परियोजनाओं से कोयले की रैक डिस्पैच की जाती है। वहीं, आठ राज्यों की बिजली परियोजनाओं के लिए यहां से कोयले की रैक निकलती है। बावजूद लगभग दो करोड़ टन कोयले का भंडारण, इसके एक हिस्से में कई दिन से आग सुलगने के बावजूद, किसी की नजर न पड़ पाने ने ढेरों सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे सामने आया 'खेल'?
हफ्ते भर पूर्व एक व्यक्ति ने एडीएम सहदेव मिश्रा (ADM Sahdev Mishra) को अवैध भंडारण की जानकारी दी। यह भी बताया कि एक हिस्से में आग लगी है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इस पर उन्होंने जिला प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टीएन सिंह, खान अधिकारी, वन विभाग और क्षेत्रीय पुलिस की मौजूदगी वाली टीम गठित कर जांच का निर्देश दिया। तीन दिन पूर्व टीम मौके पर पहुंची, लेकिन कोई दावेदार नहीं मिला और न ही भंडारण के बारे में जानकारी दी। तब शनिवार को एडीएम टीम के साथ खुद मौके पर पहुंचे। एनसीएल की ककरी और बीना परियोजना के जीएम को वहां बुलाया। वहां के प्रधान को भी तलब किया। मगर, सभी ने कोयले के भंडारण पर अनभिज्ञता जाहिर की। इस पर कोयले को सीज कर पुलिस की सुपुर्दगी में देने के साथ ही, इसको लेकर जांच शुरू कर दी गई।
दावेदार सामने न आने पर होगी नीलामी
फिलहाल, पब्लिक नोटिस (Public Notice) के जरिए, विहित प्रपत्र के साथ कोयले के स्वामित्व की जानकारी मांगी गई है। एक सप्ताह में कोयले का कोई दावेदार सामने न आने पर, उसके मूल्य का आंकलन कराकर उसके नीलामी की कार्रवाई कराई जाएगी। एनसीएल के लोगों से इस बारे में स्पष्ट जानकारी मांगी गई है। वहीं, अवैध भंडारण के पीछे कौन-कौन शामिल हैं? किनकी-किनकी संलिप्तता है? इसके लिए भी जांच के निर्देश दिए गए हैं।
कोयला इतना कि 31 दिन तक होगा बिजली उत्पादन
बिजली से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो एक मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 16 टन कोयले की जरूरत है। अवैध भंडारण में लगभग 10 मिलियन टन कोयले के अनुमानित आंकलन को सच मानें तो इस कोयले से छह लाख 25 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है यानी यूपी के सोनभद्र और एमपी के सिंगरौली में स्थापित लगभग 20 हजार मेगावाट वाली बिजली परियोजनाओं से 31 दिन तक विद्युत उत्पादन किया जा सकता है।
6000 करोड़ है भंडारित कोयले की बाजार कीमत
उर्जांचल से कोलकाता तक कोयले का कितना बड़ा स्कैम हो रहा है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अनुमानित आंकलन 10 मिलियन टन बताया जा रहा है। जिसकी बाजार कीमत करीब 6000 करोड़ रुपए होता है। वहीं, परियोजनाओं को दिए जाने वाले रेट पर यह 3000 करोड़ रुपए के लगभग आएगा। चर्चाओं पर गौर करें तो पूरा मामला यूपी-एमपी से कोलकाता तक फैले कोल माफियाओं के सिंडीकेट से जुड़ा है। कृष्णशिला और सलईबनवा रेलवे साइडिंग पर कोयले में चारकोल मिश्रित कर परियोजनाओं को भेजने, एमपी के खंडवा को जाने वाला कोयला चंधासी मंडी पहुंचने की भी बात प्रकाश में आ चुका है। पिछले दिनों एसटीएफ की तरफ से नरायनपुर में की गई छापेमारी का तार भी इस रैकेट से जुड़ा बताया जा रहा है।
एआईपीईएफ- केंद्र सरकार ले जिम्मेदारी, आयात पर लगाए रोक
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (All India Power Engineers Federation) के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे का कहना है कि केंद्र सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कोयले के आयात पर रोक लगानी चाहिए। एनसीएल के अलावा अन्य किन कोल कंपनियों में इस तरह के भंडारण बने हुए हैं, इसकी जानकारी जुटाकर, उसे बिजली घरों तक पहुंचाने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा, कि एक तरफ जहां घरेलू कोयला तीन हजार प्रति टन में बिजलीघरों के लिए उपलब्ध है। वहीं, लगभग सात गुना, 20 हजार टन कीमत वाले कोयले के आयात का दबाव दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्रीय कोल मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय में समन्वय ठीक नहीं है। एक तरफ जहां पूरे देश के बिजलीघर कोयला संकट से जूझ रहे हैं, वहां महज एक रेलवे साइडिंग पर 10 मिलियन टन यानी एक करोड़ टन कोयले का अवैध भंडारण मिलना अचंभित कर देने वाला है।
ट्रकों से ढुलाई पर उठे सवाल
एक तरफ, जहां एनसीएल के अधिकारियों ने भंडारण की जानकारी से ही पल्ला झाड़ लिया है। वहीं तीन दिन पूर्व जब टीम जांच के लिए पहुंची तो रेलवे साइडिंग के पास पड़े कोयले को रेलवे रैक से भेजने की बजाय, ट्रकों से ढुलाई की जाती देख, जांच टीम के लोग भी अवाक रह गए। खुद क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी ने भी इसको स्वीकार किया। उन्होंने कहा, कि कोयला कहां से आया, किसने भंडारण किया, इसका स्वामी कौन है, अगर अवैध भंडारण है तो किसी की नजर क्यों नहीं पड़ी? इस तरह के कई सवाल हैं। लेकिन, इसमें से ज्यादातर बिंदु कोल मंत्रालय (Ministry of Coal) से जुड़े हुए हैं। यह एरिया प्रदूषण के लिहाज से बेहद संवेदनशील है, इसको लेकर वह जांच कर रहे हैं।
पर्यावरण क्षतिपूर्ति का भी किया जाएगा निर्धारण
एडीएम सहदेव मिश्रा का कहना था कि प्रथम दृष्टया अवैध भंडारण पाए जाने पर पूरे कोयले को सीज कर दिया गया है। कोयले को लेकर किसी को दावा करना हो तो, उसके लिए एक पब्लिक नोटिस जारी की जा रही है। एक सप्ताह में कोई दावा न आने पर उसके मूल्यांकन और नीलामी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। कोयले में लगी आग और अवैध भंडारण पर ध्यान न देने के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति निर्धारण की प्रक्रिया कराई जाएगी। बता दें कि रेलवे साइडिंग के पास कोयले को भंडारित नहीं किया जा सकता बल्कि उसे रेलवे रैक के जरिए आपूर्ति कर देनी होेती है, इसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।