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Sonbhadra: कोविड वैक्सीनेशन फर्जीवाड़े में कोल प्रोजेक्ट के जीएम सहित तीन फंसे, एफआईआर का आदेश
Sonbhadra: कोविड वैक्सीनेशन फर्जीवाड़े में कोल प्रोजेक्ट के जीएम सहित तीन लोगों के खिलाफ समुचित धाराओं में एफआईआर दर्ज करते हुए विधिअनुरूप विवेचना के लिए आदेशित किया है।
Sonbhadra: मिनी रत्न कंपनी नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (Mini Ratna Company Northern Coalfields Limited) की बीना कोल परियोजना (Bina coal project) में कोयला खनन के लिए ओवरवर्डेन हटाने का काम कर रही। आउटसोर्सिंग कंपनी बीजीआर डेको कंपनी के संविदाकर्मी की मौत के बाद कोरोना वैक्सीनेशन में किए गए कथित फर्जीवाड़े के मामले में एफआईआर के आदेश दिए गए हैं।
संविदाकर्मी की तरफ से सीजेएम की अदालत से लगाई गई गुहार
संविदाकर्मी की तरफ से सीजेएम की अदालत से गुहार लगाई गई थी। इसकी सुनवाई के दौरान न्यायालय के सामने आए साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सूरज मिश्रा की अदालत ने इसे प्रथमदृष्ट्या गंभीर प्रकृति का संज्ञेय अपराध माना है और मामले में शक्तिनगर थानाध्यक्ष को बीना कोल प्रोजेक्ट के जीएम रहे एलपी गोडसे, बीजीआर कंपनी के मैनेजर अरूण सिंह कार्तिक कुमार और एचआर हेड धीरज उपाध्याय के खिलाफ समुचित धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करते हुए विधिअनुरूप विवेचना के लिए आदेशित किया है।
ये है मामला
शक्तिनगर थाना क्षेत्र के बांसी गांव निवासी रामप्रसाद यादव आउटसोर्सिंग कंपनी बीजीआर में संविदाकर्मी के रूप में कार्यरत थे। बीना परियोजना प्रबंधन के निर्देश पर कंपनी के कैंप कार्यालय पर गत चार अगस्त 2021 को कोविड वैक्सीन की पहली खुराक लगाई गई थी। इसके बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी। इसको देखते हुए उन्होंने बीजीआर कंपनी और कोयला परियोजना के अधिकारियों से इलाज और आराम के लिए छुट्टी मांगी लेकिन नहीं दी गई और तबियत बिगड़ी होने की दशा में भी लगातार 20 दिन काम कराया गया। हालत ज्यादा खराब होने पर उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से छह सितंबर 2021 को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया, जहां आठ सितंबर को मौत हो गई। पत्नी मीना देवी के मुताबिक उसने कंपनी और परियोजना प्रबंधन से वैक्सीन खुराक का प्रमाणपत्र मांगा तो देने से इंकार कर दिया गया। बाद में पता चला कि 15 सितंबर 2021 को एमपी के सिंगरौली स्थित दुद्धीचुआ में रामप्रसाद को कोविड वैक्सीन की पहली खुराक लगने का विवरण दर्ज है।
मौत के बाद दिखाए गए वैक्सीनेशन ने खड़े कर दिए कई सवाल
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि रामप्रसाद की मौत आठ सितंबर को ही हो गई थी। सीएमओ से मंगाई गई आख्या के मुताबिक इससे पहले चार अगस्त 2021 को उसे वैक्सीन भी लगाई गई थी लेकिन मौत के बाद 15 सितंबर 2021 को वैक्सीनेशन का पंजीकरण यूएनसीसी दुद्धीचुआ में कराए जाने के मामले ने प्रकरण को संदेहास्पद बना दिया है। कोर्ट का मानना है कि वैक्सीनेशन पंजीकरण के संबंध में सही तथ्य प्रकट नहीं किए गए और गलत तथा कूटरचित तथ्यों पर उसका पंजीकरण कराया गया जिससे गंभीर प्रकृति का संज्ञेय अपराध किया जाना प्रथमदृष्ट्या प्रकट हो रहा है।
बगैर विवेचना यह स्पष्ट नहीं हो सकता है कि उक्त विसंगति सामान्य प्रक्रिया के तहत हुई है या जानबूझकर कूटरचित पंजीकरण कराया गया। जब चार अगस्त 2021 को बीजीआर के कैंप कार्यालय पर रामप्रसाद को वैक्सीन की प्रथम डोज लगा दी गई थी तो उसका पंजीकरण, उसकी मृत्यु के उपरांत 15 सितंबर 2021 को मध्यप्रदेश के सिंगरौली क्षेत्र में किस आधार पर हो गया? इसकी सही जानकारी पुलिस विवेचना से ही संभव है। इसको दृष्टिगत रखते हुए शक्तिनगर थानाध्यक्ष को जीएम सहित तीनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए गए हैं।