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Sonbhadra News: सोनभद्र में सूखे के आसारः औसत से भी 37 फीसद कम हुई बारिश, बढ़ी किसानों की मुश्किलें

Sonbhadra News: कम बारिश का आंकड़ा बढ़कर 37 फीसद पहुंच गया है। मानसून की नजर ए इनायत कब तक होगी, इसके बारे में मौसम विभाग के लोग भी अब सीधा दावा करने से कतराने लगे हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 8 July 2022 3:15 PM GMT
Rainfall situation in Sonbhadra: 37 percent less rain than average, farmers problems increased
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सोनभद्र: जहां होनी चाहिए काली घटाएं, वहां दिख रहा खाली आसमान

Sonbhadra News: जुलाई का पहला सप्ताह व्यतीत होने के बाद भी अवर्षण की स्थिति ने जहां किसानों की नींद उड़ा दी है। वहीं तमाम किसानों की नर्सरी तैयार होने के बावजूद, धान की रोपाई (Transplantation of paddy) के लिए पानी न होने से, सूखे खेतों और आसमान में उमड़ते-घुमड़ते बादलों की तरफ टकटकी लगाए रखना मजबूरी बन गई है। इसके चलते जहां किसानों को नर्सरी को सुरक्षित बचाए रखने में मुश्किलों का सामाना करना पड़ रहा है।

वहीं टमाटर-मिर्च की खेती करने वाले किसानों को रोपे गए पौधों को सुरक्षित रखने के लिए, अभी से सिंचाई का सहारा लेने की स्थिति बनने लगी है। उर्द, मूंग, अरहर की खेती करने वालों के लिए भी यह स्थिति नुकसानदेह बताई जा रही है। हालत यह है कि श्रावण माह की शुरूआत में, एक सप्ताह से भी कम समय शेष रह गया है और मजे की बारिश का अभी भी इंतजार है।

कम बारिश ने किसानों के होश उड़ा दिए हैं

आंकड़ों में भी जहां 37 फीसद कम बारिश दर्ज हुई है। वहीं पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 65 फीसद कम बारिश ने लोगों के होश उड़ा कर रख दिए हैं। ऐसे में श्रावण मास भी कहीं सूखा-सूखा ही चला जाए, इसकी आशंका ने खेती-किसानी से जुड़े लोगों की नींद उड़ा कर रख दी है। आंकड़े बताते हैं कि जून माह में औसत से 25 फीसद से भी कम बारिश दर्ज है।

वहीं जुलाई में बेहतर बारिश की बजाय, कम बारिश का आंकड़ा बढ़कर 37 फीसद पहुंच गया है। मानसून की नजर ए इनायत कब तक होगी, इसके बारे में मौसम विभाग के लोग भी अब सीधा दावा करने से कतराने लगे हैं। स्थिति यह है कि जहां अभी भी लोगों को अच्छी बारिश का इंतजार हैं। वहीं बांधों में भी पर्याप्त पानी न होने से नहरें भी सूखी पड़ी हुई हैं। ऐसे में धान की रोपाई और रोपी गई नकदी फसल की सिंचाई कैसे हो, इसको लेकर किसानों की चिंता बढ़ने लगी है।

दुद्धी तहसील में 75 फीसद से भी कम बारिश ने उड़ाए होश

जिले की दुद्धी तहसील की एरिया ऐसी है, जहां की पूरी की पूरी खेती मानसून पर निर्भर है। वहां सबसे कम बारिश दर्ज की गई है। आंकड़े बताते हैं कि जून माह में जिले की औसत बारिश 104.50 मिमी के मुकाबले दुद्धी में महज 29 मिमी बारिश हुई। राबटर्सगंज तहसील क्षेत्र में 101 मिमी और घोरावल में 105.6 मिमी दर्ज हुई। वहीं पूरे जिले में 78.5 मिमी बारिश दर्ज की गई है जो जिले के कुल औसत से 25 फीसद कम है। वहीं पिछले वर्ष जून माह में हुई 222.5 मिमी बारिश के मुकाबले यह आंकड़ा लगभग 65 फीसद कम बैठता है।

पांच सालों में सबसे खराब हालात

आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 को छोड़कर पांच सालों में सोनभद्र में बारिश के सबसे खराब स्थिति सामने आई है। वर्ष 2019 में जून माह में महज 15.4 मिमी बारिश दर्ज हुई थी लेकिन जुलाई में आकर बारिश की स्थिति संभल गई थी लेकिन इस बार जुलाई में सूर्यदेव का रौद्र रूप जहां भारी उमस की स्थिति बनाए हुए हैं। वहीं सूखे पड़े खेतों ने किसानों का चैन छिन लिया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2018 में जून माह में 81.22 मिमी बारिश दर्ज हुई थी।

वहीं 2020 में 277.3 किमी और 2021 में 222.5 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। जुलाई माह में भी बारिश का औसत बेहतर रहा था लेकिन इस बार जहां जून के आखिरी सप्ताह में हुई बारिश ने जहां, जून के आंकड़े को कुछ हद तक बेहतर बनाया। वहीं किसानों में अच्छी खेती की उम्मीद जगाई लेकिन जुलाई माह में पहले दिन से ही बादलों की बेरूखी ने खेती-किसानी करने वालों की धड़कन बढ़ा कर रख दी है। भारतीय मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि सोनभद्र में पहली से सात जुलाई के बीच बारिश का औसत 189.9 मिमी है लेकिन आंकड़ों में अभी तक बारिश 119.1 मिमी यानी औसत से भी 37 फीसद कम दर्ज हुई है।


जल्द नहीं हुई अच्छी बारिश तो रोपाई-बुआई दोनों होगी प्रभावित

कहा जा रहा है कि अगर आठ से दस दिन के भीतर अच्छी बारिश नहीं हुई तो जिले में धान की रोपाई और दलहनी फसलों की बुआई तथा उनका रक्षण दोनों प्रभावित हो सकता है। उधर, जिला कृषि अधिकारी हरिकृष्ण मिश्रा कहते हैं कि बारिश में देरी वास्तव में चिंता का विषय है। सोनभद्र के लिए राहत की बात यह है कि यहां धान की नर्सरी देर से पड़ी है। उम्मीद है कि जल्द अच्छी बारिश होगी। अगर दस दिनों में बेहतर बारिश नहीं हुई तो धान की रोपाई और उर्द, मूंग, अरहर आदि फसलों की बुवाई के साथ, जहां बुआई हो गई है, वहां उत्पादन प्रभावित होने की स्थिति बन सकती है।

औसत से 50 फीसद कम बारिश पर मानी जाएगी सूखे की स्थिति

हालात भले ही खराब दिख रहे हों लेकिन सरकारी आंकड़ें में सूखे की स्थिति तब मानी जाएगी, जब 15 अगस्त तक की बारिश का औसत 50 फीसद से कम दर्ज हुआ हो या फिर मानसूनी बरसात न होने के कारण फसलों की बुआई न हुई हो। बारिश के अभाव में खेत की नमी गायब हो।

Shashi kant gautam

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