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Sonbhadra: डीजल तस्करी के सिंडीकेट केस में दस के खिलाफ मामला दर्ज, STF के खुलासे के बाद प्रशासन सख्त
Sonbhadra News Today: इंडियन आयल के अलीनगर डिपो से एनसीएल के लिए लाए जाने वाले डीजल को बीच रास्ते से उड़ाने वाले सिंडीकेट पर प्रशासन की तरफ से बड़ी कार्रवाई सामने आई है।
Sonbhadra News: इंडियन आयल के अलीनगर (मुगलसराय) डिपो से एनसीएल के लिए लाए जाने वाले डीजल को बीच रास्ते से उड़ाने वाले सिंडीकेट पर प्रशासन की तरफ से बड़ी कार्रवाई सामने आई है।Sonbhadra News: इंडियन आयल के अलीनगर (मुगलसराय) डिपो से एनसीएल के लिए लाए जाने वाले डीजल को बीच रास्ते से उड़ाने वाले सिंडीकेट पर प्रशासन की तरफ से बड़ी कार्रवाई सामने आई है। डीएम के निर्देश पर पूर्ति महकमे की तरफ से शक्तिनगर थाने में 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया गया है। इसके चलते, कथित सिंडीकेट से जुड़े लोगों में जहां हड़कंप मच गया है। वहीं कोयला, डीजल पर प्रशासन की सख्ती के बाद अब कबाड़ तस्करी से जुड़े लोगों को बड़ी कार्रवाई का डर सताने लगा है।
एसटीएफ ने पिछले माह किया खुलासा
पिछले माह एसटीएफ वाराणसी ने चंदौली से लेकर सोनभद्र के ऊर्जांचल और मध्यप्रदेश के सिंगरौली में जड़ जमाए डीजल तस्करी के कथित सिंडीकेट का खुलासा कर सनसनी फैला दी थी। इसमें जहां एसटीएफ की प्राथमिक छानबीन में 22 लोगों का नाम सामने आया था। वहीं 22 के खिलाफ मामला दर्ज कराते हुए, दस को गिरफ्तार कर लिया गया था। अब इस मामले में जिला प्रशासन की तरफ से बड़ी कार्रवाई सामने आई है। मामले की जानकारी के बाद, डीएम के निर्देश पर पूर्ति विभाग की तरफ से की गई जांच पड़ताल और इस दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर, गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों के खिलाफ शक्तिनगर थाने में 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया गया है। हालांकि इस मामले को पुलिस ने एसटीएफ में दर्ज मामले के साथ शामिल करा लिया है और दोनों मामलों की विवेचना एक साथ की जाएगी।
पूर्ति निरीक्षक म्योरपुर निर्मल सिंह ने सेलफोन पर बताया कि डीएम से मिले निर्देश और जांच में मिले तथ्यों के आधार पर डीएम से मिली अनुमति के क्रम में, पुलिस द्वारा डीजल तस्करी के मामले में पूर्व में गिरफ्तार किए गए सभी 10 आरोपियों के खिलाफ शक्तिनगर पुलिस को तहरीर देकर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज करा दिया गया है। वहीं पिपरी क्षेत्राधिकारी प्रदीप सिंह चंदेल ने फोन पर कहा कि पूर्ति विभाग से मिली तहरीर के क्रम में, सभी 10 आरोपियों के खिलाफ धारा 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पूर्ति विभाग की तहरीर को भी एसटीएफ की तरफ से दर्ज कराए गए मुकदमे में शामिल किया गया है और आगे दोनों मामलों की विवेचना एक साथ की जाएगी।
इन के खिलाफ प्रशासन ने दर्ज कराया केस
ब्ताते चलें कि इस मामले में एसटीएफ और शक्तिनगर पुलिस की टीम ने कथित गैंग सरगना पुष्पराज यादव पुत्र वीरेंद्र कुमार निवासी गधियॉंव, थाना करछना, जिला प्रयागराज, सीकेडी सिंडीकेट में पिछले कई सालों से शक्तिनगर में डीजल कारोबार के कथित बादशाह का दर्जा रखने वाले मुर्तजा खान पुत्र मो. उमर निवासी परगासपुर, थाना कंधई हनुमानगंज, जिला प्रतापगढ, राजेश कुमार पुत्र दानबहादुर यादव निवासी घाटमपुर कटहरा, थाना हंडिया, जिला प्रयागराज, मो. मकमूल खान पुत्र मो. अयूब निवासी कंधई मधुपुर, थाना कंधई हनुमानगंज, जिला प्रतापगढ़, सलीम अहमद पुत्र मो. इस्तेखार निवासी वार्ड नं. 39 बैढन, सिंगरौली, मध्य प्रदेश, अशोक कुमार यादव पुत्र रामदास यादव निवासी पिपरानाजी, थाना सलेमपुर, जिला देवरिया, एनसीएल में टोटल फ्यूल मैनेजमेंट का टेंडर लेने वाले रमाशंकर यादव उर्फ पप्पू टंडन निवासी परासी, थाना अनपरा, अनुराग यादव पुत्र धनराज यादव, निवासी झीरीहरी, थाना हंडिया, प्रयागराज, अजीत कुमार पुत्र तीर्थराज यादव, निवासी पहाड़पुर, जगतपुर, प्रयागराज, मनीष सिंह पुत्र गोवर्धन सिंह निवासी डेढ़गावां, थाना सकलडीहा, जिला चंदौली को गिरफ्तार किया था। इन सभी के खिलाफ पूर्ति विभाग की तरफ से भी मामला दर्ज कराया गया है।
इस तरह से घटना को देतें रहे अंजाम
बगैर ई-सील तोड़े कैसे निकला डीजल, बन गया है बड़ा सवाल, आईओसीएल में भी बड़ी सेंधमारी का शकः बताते हैं कि आयल डिपो से पंप के लिए चलने वाले टैंकर में हाई सिक्योरिटी ई-लाॅक होता है जो उसे अनलोडिंग प्वाइंट पर ही खुलने की व्यवस्था होती है। इसके लिए डिपो पर टैंकर में ऑटोमेटिक फ्यूल मशीनों से डीजल या पेट्रोल भरकर, टैंकर को ई-लाॅक कर दिया जाता है। अनलोडिंग एरिया के 100 मीटर की सीमा में टैंकर पहुंचने पर, आईओसीएल के फील्ड आफिसर के अधिकृत मोबाइल पर लाॅक खोलने के लिए ओटीपी आती है। इसी ओटीपी के जरिए उसे अनलोड किया जाता है। यदि किसी कारणवश टैंकर का ई-लाॅक खुलता है तो फ्यूल भरने वाले डिपो/टर्मिनल पर ईमेल के जरिए आॅटोमेटिक सूचना चली जाती है लेकिन एसटीएफ की तरफ से जो खुलासा किया गया, उसमें ऐसी बात सामने नहीं आई।
ऐसे में बगैर ई-लाक खोले, किस तरह बीच में डीजल निकाला गया और उसके बाद एनसीएल के पंप पर ले जाकर अनलोडिंग प्रक्रिया पूरी की गई, यह एक बड़ा सवाल बन गया है। वहीं सभी वाहनों की जीपीएस निगरानी की भी व्यवस्था है, बावजूद रूट से हटकर डीजल टैंकर जाने और आईओएसीएल के इंडस्ट्रियल आफिसर सहित अन्य अफसरों की नजर न पड़ने जैसे सवालों ने, आईओसीएल की निगरानी प्रणाली पर जहां बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। वहीं तस्करी में आईओसीएल के भी एक निगरानी तंत्र की संलिप्तता का शक जताया जाने लगा है। इस बारे में आईओसीएल के फील्ड आफिसर से संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पाए।