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Sonbhadra News: ऑपरेशन की जुगाड़ व्यवस्था ने ली एक और प्रसूता की जान, सरकारी प्रसव व्यवस्था पर उठे सवाल

Sonbhadra News: सोनभद्र में कथित दलाली के सिंडिकेट के जरिए प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को निजी अस्पताल में पहुंचाने के बाद जुगाड़ व्यवस्था के जरिए किए जाने वाले ऑपरेशन ने एक और प्रसूता की जान ले ली।

Kaushlendra Pandey
Published on: 11 Oct 2022 4:14 PM GMT
Sonbhadra Hospital News
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Sonbhadra Hospital News (news network)

Sonbhadra News: जिले में संस्थागत यानी सरकारी प्रसव व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए, संचालित 100 बेड के अस्पताल से जुड़े कथित दलाली के सिंडिकेट और इसके जरिए प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को निजी अस्पताल में पहुंचाने के बाद जुगाड़ व्यवस्था के जरिए किए जाने वाले ऑपरेशन ने एक और प्रसूता की जान ले ली। परिवार के लोगों ने इसको लेकर खासा हंगामा भी किया।

प्रसूता को एक आशा के जरिए लोढ़ी स्थित सौ बेड के अस्पताल से प्राइवेट एंबुलेंस के जरिए, रेलवे फाटक के पास स्थित निजी हॉस्पिटल कृधा में लाए जाने की जानकारी भी दी लेकिन इस मामले में कार्रवाई की बजाय समाचार दिए जाने तक सुलह-समझौते की कोशिश जारी रही। बताते हैं कि मरीज के साथ आए लोगों से पीएम न कराए जाने का एक लिखित नोट भी लिखवा लिया गया। उधर इस मामले में स्वास्थ्य महकमे की तरफ से अस्पताल का ओटी सील कर दिया गया है और संचालक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के कम्हारडीह गांव निवासी सुमन पत्नी अजीत को प्रसव पीड़ा होने पर गत आठ अक्टूबर को लोढ़ी स्थित 100 बेड के जच्चा-बच्चा अस्पताल ले आया गया। वहां खून की कमी बता कर हाथ खड़े कर लिए गए। इसके बाद एक कथित पुष्पा नामक नर्स बेहतर और कम खर्च में प्रसव का झांसा देकर सुमन को रेलवे फाटक राबर्ट्सगंज स्थित तृधा हॉस्पिटल ले आई। पारिवारिक जनों के मुताबिक वहां मौजूद डॉक्टर ने काफी ब्लड की कमी बता कर दो यूनिट ब्लड चढ़ाया।

इसके बाद कथित जुगाड़ व्यवस्था के जरिए तीन डॉक्टर वहां हाजिर हो गए। एक को बच्चे का डॉक्टर बताया गया। एक को बेहोशी का विशेषज्ञ बताया गया। जबकि तीसरे ने ऑपरेशन का जिम्मा संभाला। नौ अक्टूबर की देर शाम सिजेरियन के जरिए बच्चा पैदा कर लिया गया लेकिन प्रसूता की पीड़ा बढ़नी शुरू हो गई। शरीर में लगातार दर्द और ऐंठन की शिकायत बनी रही। खून की कमी के चलते दिक्कत होने की बात कहते हुए, 10 अक्टूबर यानी सोमवार को एक यूनिट और ब्लड चढ़ाया गया।

बावजूद हालत बिगड़ने का क्रम बना रहा तो एक के बाद एक लगातार सात बोतल पानी चढ़ा दिया गया। इससे पेट काफी फूल गया। तब आईसीयू की जरूरत बताते हुए रात 11 बजे मरीज को वाराणसी स्थित धनवंतरी अस्पताल ले जाया गया, जहां रात दो बजे के करीब भर्ती कर उपचार शुरू किया गया। परिवारी जनों का कहना था कि वहां मौजूद डॉक्टर ने ऑपरेशन में बरती गई गड़बड़ी को हालत बिगड़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया और भर्ती करते समय ही कह दिया

अंततः मंगलवार की भोर में उसकी मौत हो गई। दोपहर बाद राबर्ट्सगंज पहुंचे परिजनों ने शव के साथ कथित तृधा हॉस्पिटल पहुंचकर जमकर हंगामा किया। उनका आरोप था ऑपरेशन में लापरवाही बरती गई है। कम योग्य डॉक्टरों से ऑपरेशन कराए जाने का आरोप भी लगाया। बताते हैं कि मामले को गंभीर होता देख कुछ लोगों ने सुलह समझौते की कोशिश शुरू कर दी। परिजन पीएम न कराने की बात भी मान गए लेकिन उन्होंने पूरा घटनाक्रम लिखते हुए, पीएम न कराने का कथित सहमति पत्र सौंपा।

समाचार दिए जाने तक मामले को जहां मैनेज करने की कोशिश जारी थी। उधर, प्राइवेट चिकित्सालयों के नोडल डॉ. गुरु प्रसाद के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक हंगामा के सूचना मिलने के बाद मौके पर जाकर उन्होंने मामले की जांच की लेकिन वहां न तो कोई डॉक्टर, न ही पैरामेडिकल स्टाफ मिला। ऑपरेशन किसी डॉ. पीयूष श्रीवास्तव द्वारा किए जाने की जानकारी मिली। मृतक के परिजनों ने पीएम कराने से इंकार किया।।

फिलहाल ओटी पर ताला लगाकर, विभागीय स्तर पर आगे की कार्रवाई जारी है। दिलचस्प मसला यह था कि जब जांच के लिए स्वास्थ विभाग की टीम पहुंची तो ओटी कक्ष के पास अंधेरा और गंदगी का साम्राज्य पसरा मिला। टॉर्च की रोशनी में विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ी। उधर, घटना को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। बताते चलें कि डीएम की सख्ती के बाद लगातार मानक की अनदेखी कर संचालित होने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई जारी है। बावजूद कई ऐसे प्राइवेट अस्पताल हैं, जहां दुर्व्यवस्था, मरीजों का शोषण तथा उनकी जान से खिलवाड़ की शिकायतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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