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Sonbhadra News: पड़वनिया मामले में NHRC से मुख्य सचिव को नोटिस, अंतरिम राहत पर मांगा जवाब, सिर मुड़ा, कालिख पोत और चप्पल की माला पहना महिला को घुमाने का मामला
Sonbhadra News: विधवा महिला को भूत-प्रेत के शक में सिर मुड़वाने, चेहरे पर कालिख पोतकर तथा चप्पल की माला पहनाकर गांव में घुमाने के मामले में NHRC ने सूबे के मुख्य सचिव और जिले के DM को नोटिस जारी किया है।
Sonbhadra News: घोरावल थाना क्षेत्र के पड़वनिया गांव में मई 2022 में एक विधवा महिला को भूत-प्रेत के शक में सिर मुड़वाने, चेहरे पर कालिख पोतकर तथा चप्पल की माला पहनाकर गांव में घुमाने के मामले में नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ने सूबे के मुख्य सचिव और जिले के डीएम को नोटिस जारी किया है। इसके जरिए मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के मामले में की गई कार्रवाई के साथ ही, तत्काल इस मामले में पीड़िता को अंतरिम राहत क्यों नहीं दी गई, इसको लेकर जहां छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। वहीं यह भी पूछा है कि मामले में क्यों ने पीड़िता को मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत एक लाख का मुआवजा दिया जाए।
बताते चलें कि गत मई माह में घोरावल कोतवाली क्षेत्र के पड़वनिया गांव में एक महिला को भूत-प्रेत के शक में सिर मुड़ाकर, चेहरे पर कालिख पोतकर और चप्पलों की माला पहनाकर घुमाया गया था। लगभग दो माह बाद इसका वीडियो वायरल हुआ तो आनन-फानन में पीड़िता की तहरीर पर घोरावल कोतवाली में आठ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई।
प्रकरण में आयोग ने डीएम और एसपी से रिपोर्ट तलब की
उधर, इस मामले में मानवाधिकार सीडब्ल्यूए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने एक शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी और दोषियो पर कठोर कार्रवाई तथा पीड़िता को उचित मुवावजा दिलाने की मांग की। प्रकरण में आयोग ने 29 नवंबर 2022 को डीएम और एसपी से रिपोर्ट तलब की। भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया कि मामले में आठ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ ही आरोपी मकौड़ी को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी पत्नी मकौड़ी और ओझा उदय राज के खिलाफ भी कार्रवाई की गई।
गत सोमवार को आयोग ने मामले की सुनवाई की
जांच के दौरान सावित्री, कविता और हूबलाल की भी गिरफ्तारी की गई। इसके बाद दो अक्टूबर 2022 को कुल 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय को भेज दी गई। इसके क्रम में गत सोमवार को आयोग ने मामले की सुनवाई की। पाया कि मामले में तात्कालिक तौर पर अंतरिम राहत नहीं दी गई। इस पर चीफ सेक्रेटरी और डीएम नोटिस जारी करते हुए पूछा गया है कि पीड़िता को तत्काल अंतरिम राहत क्यों नही दी गई।
क्या मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 18 (3) के तहत 1 लाख रुपये की पीड़िता को अनुशंसित नही किया जाना चाहिए क्योंकि उसके मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन किया गया है। छह सप्ताह के भीतर जहां इसको लेकर जवाब मांगा गया है। वहीं निर्देश में आयोग ने कहा है कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी अप्रिय घटनाओं को रोके।