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Sonbhadra News: टाइफाइड पीड़ित मैकेनिकल फीटर की मौत से भड़के कर्मी, उपचार में लापरवाही का आरोप
Sonbhadra News: दोपहर बाद इस मसले पर प्रबंधन के साथ ही, वार्ता में कार्रवाई पर सहमति बनी, तब जाकर परियोजना कर्मी शांत हुए
Sonbhadra News: एनसीएल की कृष्णशिला कोल परियोजना में कार्यरत एक मैकेनिकल फीटर की टाइफाइड के चलते मौत होने से खफा परियोजनाकर्मियों ने उपचार में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। बीना परियोजना की तरफ से संचालित किए जाने वाले अटल हास्पीटल पर छह घंटे से अधिक समय तक जहां धरना-प्रदशन कर संबंधित डाॅक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। वहीं कार्रवाई न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी। दोपहर बाद इस मसले पर प्रबंधन के साथ ही, वार्ता में कार्रवाई पर सहमति बनी, तब जाकर परियोजना कर्मी शांत हुए।
यह था मामला, कर्मियों में इस बात को लेकर थी नाराजगी
बताते हैं कि कृष्णशिला परियोजना में तैनात तकनीशियन हेमराज दिहाड़ी को पिछले सप्ताह से बुखार आ रहा था। उनका उपचार अटल अस्पताल बीना में कराया जा रहा था जहां डाॅक्टरों ने उन्हें टाइफाइड पीड़ित बताया था। बताते हैं कि गत 24 अगस्त को हालत गंभीर बताते हुए वाराणसी के हेरिटेज अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां बुधवार की रात मौत हो गई। बृहस्पतिवार को जैसे ही इसकी परियोजना परियोजनाकर्मियों और उनसे जुड़े संगठन के लोग मिले, नाराजगी के स्वर उठने लगे। कर्मियों का कहना था कि इलाज में लापरवाही बरती गई, इसी कारण हालत गंभीर हो गई। जब मामला ज्यादा बिगड़ गया, तब रेफर किया गया, जिसके चलते हेमराज को वाराणसी में उपचार के बाद भी नहीं बचाया जा सका।
कृष्णशिला में कोयला खनन कार्य भी ठप कर जताई गई नाराजगी
बताते हैं कि इस मामले को लेकर परियेाजनाकर्मी इतने नाराज थे कि सुबह नौ बजे से ही इसको लेकर आक्रोश जताने लगे। अधिकांश कर्मियों ने कृष्णशिला परियोजना का कार्य ठप कर हड़कंप मचा दिया। एचएमएस सचिव सुशील पटेल, बीएमएस के शशिकांत वैश्य, आरसीएसएस के रामसिंह, सीएमएस के नृपेंद्र चैबे, सीटू के केके उपाध्याय, सीटिया के केंद्रीय महामंत्री बीके पटेल, संयुक्त सचिव प्रशांत सिंह आदि ने इसको लेकर नाराजगी जताते हुए, उपचार में लापरवाही बरतने वाले डाॅक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग शुरू कर दी। दर्जनों परियोजनाकर्मी अटल अस्पताल पर भी धमक पड़े और अस्पताल का घेराव करने के साथ ही, धरना-प्रदर्शन कर नारेबाजी और कार्रवाई को लेकर आवाज उठाने लगे।
उनका कहना था कि एनसीएल की तरफ से अस्पताल में व्यवस्था के नाम पर करोड़ों खर्च किए गए हैं लेकिन जब उपचार की बारी आती है तो एक सामान्य क्लिनिक वाली स्थिति नजर आने लगती है। व्यवस्था में सुधार की भी मांग उठाई गई। उधर, परियोजना प्रबंधन को इसकी जानकारी मिली तो हड़कंप मच गया। लगभग छह घंटे तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद, परियोजना प्रबंधन के लोगों ने 24 घंटे के भीतर दोषी डाक्टर-चिकित्साकर्मी के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिया तब जाकर कर्मी शांत हुए।