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Sonbhadra: आयातित कोयले से सरकार निकालेगी बिजली संकट का हल, AIPEF ने उठाए सवाल

Sonbhadra: बिजली घरों को कोयला संकट से निकालने के लिए राज्य सरकार अब कोयले को आयात पर विचार करने लगी है। इसको लेकर केंद्रीय विद्युत मंत्रालय की तरफ से द्वारा राज्य सरकार को एक पत्र भी जारी किया गया है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Deepak Kumar
Published on: 4 May 2022 10:41 PM IST
aipef body of power engineers says center should bear additional cost of importing coal
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Power Crisis (Image Credit : Social Media)

Sonbhadra: बिजली घरों को कोयला संकट (Coal Crisis) से निकालने के लिए राज्य सरकार अब कोयले को आयात पर विचार करने लगी है। इसको लेकर केंद्रीय विद्युत मंत्रालय (Union Ministry of Power) की तरफ से द्वारा राज्य सरकार को एक पत्र भी जारी किया गया है, जिसमें बिजली उत्पादन घरों और निजी क्षेत्र के बिजली घरों को कोयला संकट से निजात दिलाने के लिए कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कहा गया है और इसके लिए कोयला आयातित करने के निर्देश जारी किए किया गए हैं।

उधर, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (All India Power Engineers Federation) ने इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि यदि कोयला आयात करना समस्या का समाधान है तो आयातित कोयले से चलने वाले निजी घरानों के बड़े बिजलीघर, इस बिजली संकट के दौर में बंद क्यों पड़े हुए हैं? फेडरेशन की तरफ से इस को लेकर एक बयान भी जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि जब तक डोमेस्टिक कोयला बिजली घरों तक पहुंचाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हो जाते। तब तक आयातित कोयला बंदरगाहों से ताप बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगा। यह बिजली मंत्रालय की तरफ से स्पष्ट किया जाना चाहिए। इसको लेकर एक पत्र भी फेडरेशन की तरफ से केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को भेजा गया है।

ताप बिजली घरों में इतना कोयला होगा आयात

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (All India Power Engineers Federation) के चेयरमैन शैलेद्र दुबे (Chairman Shailendra Dubey) का कहना है कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय (Union Ministry of Power) की तरफ से 28 अप्रैल को जारी पत्र में राज्य के ताप बिजली घरों से 22.049 मिलियन टन और निजी क्षेत्र के बिजली घरों से 15.936 मिलियन टन कोयला आयात करने को कहा गया है। वहीं, दूसरी ओर आयातित कोयले से चलने वाले गुजरात में मूंदड़ा स्थित अदानी के 4600 मेगावाट के ताप बिजली घर, टाटा के 4000 मेगावाट के ताप बिजलीघर तथा कर्नाटक में उदीपी स्थित अदानी के 1200 मेगावॉट के ताप बिजलीघर को इस संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है।

इन बिजली घरों का नाम भी विद्युत मंत्रालय के पत्र में नहीं है, जबकि उक्त बिजलीघर समुद्र के तट पर हैं और आयातित कोयला लेना उनके लिए सबसे आसान है। कहा कि आयातित कोयले की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ने के बाद से ही उक्त बिजलीघर बंद पड़े हैं। बताया कि अदानी का हरियाणा के साथ 1424 मेगावॉट बिजली, 25 साल तक देने का करार है लेकिन पिछले वर्ष अगस्त से ही हरियाणा को बिजली देना बंद कर दिया गया है।

सवाल उठाया गया है कि एक ओर कोल इंडिया कह रहा है कि उसने पिछले वर्ष की तुलना में 15.6% अधिक उत्पादन किया है और यह उत्पादित कोयला रेलवे रैक की कमी के कारण ताप बिजली घरों तक नहीं पहुंच पा रहा है। देश भर में यात्री ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है फिर भी कोयला नहीं पहुंच पा रहा है।ऐसे में यदि कोयला आयात कर भी लिया गया तो वह बंदरगाहों से रेलवे रेक के अभाव में कोयला ताप बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगा? यह एक बड़ा सवाल है।

31 मई तक आयातित कोयले के खरीद के जारी कर देने हैं निर्देश

केंद्रीय विद्युत मंत्रालय (Union Ministry of Power) की तरफ से जारी निर्देश में ताप बिजली घरों को 31 मई 2022 तक आयातित कोयले के खरीद के आदेश जारी कर देने हैं। 50% की डिलीवरी 30 जून 2022 तक, 40% की डिलीवरी 31 अगस्त 2022 तक, शेष 10% की डिलीवरी 31 अक्टूबर 2022 तक सुनिश्चित करनी है। फेडरेशन का कहना है कि इससे ऐसा प्रतीत है, कोयला संकट (Coal Crisis) बहुत गंभीर है और अभी इसे कई महीनों तक चलना है। दिलचस्प मामला यह है कि कोयला खदान के मुहाने परीक्षित राज्य सेक्टर के अनपरा ताप बिजली घर को 8,53,000 टन, और ओबरा,हरदुआगंज व पारीछा ताप बिजली घरों को 12,86,000 टन कोयला आयात करने का लक्ष्य दिया गया है।

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Deepak Kumar

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