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Sonbhadra: मजदूरी घोटाला में सब कुछ ऑन रिकॉर्ड, नहीं मिल रही फाइल, लटक गई जांच
Sonbhadra: राबर्ट्सगंज और चोपन की ग्राम पंचायतों में सामने आए मजदूरी घोटाले का सच आन रिकॉर्ड होने के बावजूद अफसरों को जांच के लिए उसकी फाइल ही नहीं मिल पा रही है।
घोटाला। (Social Media)
Sonbhadra: राबर्ट्सगंज और चोपन की ग्राम पंचायतों में सामने आए मजदूरी घोटाले का सच आन रिकॉर्ड होने के बावजूद अफसरों को जांच के लिए उसकी फाइल ही नहीं मिल पा रही है। दिलचस्प मसला यह है कि इसी को आधार बनाकर जांच को भी लंबित कर दिया गया है। जांच के लिए पंचायत सचिव की तरफ से फाइल प्रस्तुत न कर पाने को आधार बनाकर आनलाइन शिकायतों का निस्तारण करवाने में भी कामयाबी पा ली गई है। यह स्थिति तब है, जब सूबे के मुखिया, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ऑनलाइन शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिए लगातार निर्देश दे रहे हैं। वहीं, प्रत्येक ग्राम पंचायत सचिव की सप्ताह में एक दिन ब्लाक पर उपस्थिति जरूरी मानी जाती है। अधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर कराए गए कार्य और उस पर भुगतान का रिकार्ड भी संबंधित के सामने अविलंब प्रस्तुत करना होता है। बावजूद अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे निर्देश के क्रम में, जांच के लिए फाइल प्रस्तुत न हो पाना, एक ऐसा सवाल है? जिसने हर किसी को चौंका कर रख दिया है।
एक व्यक्ति के खाते में 8 लाख के मजदूरी भुगतान का मामला
बताते चलें कि राबर्ट्सगंज ब्लाक (robertsganj block) के सलखन में जहां महज एक व्यक्ति के खाते में 8 लाख के मजदूरी भुगतान का मामला सामने आ चुका है। वहीं, मारकुंडी ग्राम पंचायत में प्रधान के भाई के खाते में मजदूरी एवं अन्य कार्यों के एवज में 3 लाख का भुगतान पाया जा चुका है। इसी तरह इन ग्राम पंचायत और दूसरी ग्राम पंचायतों में कई लोेगों की मजदूरी एक व्यक्ति के खाते में दिए जाने की बातें सामने आ चुकी है। इसी तरह चोपन ब्लाक के गोठानी में जहां प्रधान के खाते में ही दो लाख से अधिक का भुगतान सुर्खियों में बना हुआ है। वहीं अन्य दूसरे ग्राम पंचायतों में भी एक ही व्यक्ति के खाते में कई की मजदूरी भुगतान की शिकायतें लगातार बनी हुई है। दिलचस्प मसला है कि सारा भुगतान ऑन रिकार्डेड है। जो चीजें ग्राम पंचायत के रजिस्टर में दर्ज हैं, वहीं भुगतान विभागीय वेबसाइट पर भी ऑनलाइन प्रदर्शित होना बताया जाता है। बावजूद विभागीय अधिकारियों के सामने, निर्देश के बावजूद जांच के लिए फाइलें क्यों प्रस्तुत नहीं की जा रहीं, यह एक बड़ा सवाल है।
फाइल मिलने के बाद जांच होने की बात कहकर लटकाया जा रहा मामला
रेड़िया निवासी हरिहर गोंड़ ने गत 29 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई कि ग्राम पंचायत खरहरा (Gram Panchayat Kharhara) में राजेंद्र के घर के पास पुलिया निर्माण में मजदूरी का भुगतान एक ही व्यक्ति को कर दिया गया है। अगले दिन ही इसकी जांच के निर्देश जारी कर दिए गए। 18 मई को बीडीओ चोपन की तरफ से आख्या भेजी गई कि एडीओ पंचायत से मामले की जांच कराई गई। उन्होंने अवगत कराया है कि बगैर पत्रावली मिले शिकायत में उल्लिखित बिंदुओं की जांच संभव नहीं है। पंचायत सचिव को पत्रावली व अभिलेख उपलब्ध कराने का निर्देश दे दिया गया है। उसे उपलब्ध होने पर ही विस्तृत जांच संभव हो पाएगी।
मामले की जांच उपायुक्त मनरेगा को सौंपी गई
इसी आख्या पर प्रकरण को श्रेणीकरण पूर्व निस्तारित करा लिया गया। शिकायतकर्ता ने असंतुष्टि जताई, जिस पर मामले की जांच उपायुक्त मनरेगा को सौंपी गई है। इसी तरह 25 मई को डीपीआरओ को भी आख्या में एडीओ पंचायत ने कहा है कि रामनाथ यादव निवासी जुगैल ने गोठानी को लेकर शिकायत की थी जिसकी जांच के लिए पंचायत सचिव को पत्रावली-अभिलेख उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित कर दिया गया है। पत्रावली उपलब्ध होने पर विस्तृत जांच कर कार्रवाई की जाएगी। जबकि पंचायत सचिव को 21 मई को ही पत्रावली-अभिलेख उपलब्ध कराने और स्पष्टीकरण के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे। इसी तरह, इससे पहले कई ग्राम पंचायतों में मजदूरी भुगतान की शिकायत को राज्य वित्त से जुड़ा बताते हुए डीपीआरओ को संदर्भित कर जांच लटका दी गई थी। प्राथमिक विद्यालय कैन्हापान से जुड़े मामले को उपायुक्त मनरेगा द्वारा जांच किए जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ा जा चुका है। वहां भी मामला लंबित पड़ा हुआ है।
अनियमित भुगतान के मसले पर कोई बात नहीं करना चाहते: पंचायत सचिव
इस मामले में पंचायत सचिव पंकज मौर्या (Panchanyat Secretary Pankaj Maurya) से सेलफोन पर बात की गई तो उनका कहना था कि वह अनियमित भुगतान के मसले पर कोई बात नहीं करना चाहते। वहीं अरूण उपाध्याय के मोबाइल नंबर स्वीच्ड आफ आते रहे।