Sonbhadra: न डाॅक्टर, न प्रशिक्षित कर्मी, बड़े चिकित्सकों का लगा था बोर्ड, अस्पताल सील

मामले की गंभीरता को देखते हुए, अस्पताल को सील करने के साथ ही अस्पताल के कथित मैनेजर एमके से तीन दिन के भीतर अस्पताल पंजीयन और इसके संचालन के बाबत कागजात उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 13 July 2022 12:29 PM GMT
Hospital sealed in sonbhadra
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Hospital sealed in sonbhadra (Image: Newstrack)

Sonbhadra: जिला मुख्यालय स्थित राबटर्सगंज शहर से सटे गांव में बड़े डाॅक्टरों का बोर्ड लगाकर, अप्रशिक्षित तथा गैर योग्यताधारी व्यक्तियों द्वारा नित्या हास्पीटल एंड सर्जिकल सेंटर के नाम से अस्पताल संचालित किए जाने का मामला बुधवार की शाम सामने आने के बाद स्वास्थ्य महकमे में खलबली मच गई।

मामले की गंभीरता को देखते हुए, अस्पताल को सील करने के साथ ही अस्पताल के कथित मैनेजर एमके से तीन दिन के भीतर अस्पताल पंजीयन और इसके संचालन के बाबत कागजात उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। बाल कल्याण समिति की तरफ से मौके से एक व्यक्ति को हिरासत में लेकर पुलिस को सौंप दिया गया है। साथ ही, यहां से नवजात बच्चों के कथित तस्करी की मिली शिकायत को लेकर भी जांच शुरू कर दी गई है।


बुधवार को यह मामला तब सामने आया जब नवजात शिशु तस्करी के शक में हुई शिकायत पर बाल कल्याण विभाग के शेषमणि दुबे, साधना मिश्रा और चिकित्सा विभाग के डॉ डीके चतुर्वेदी की अगुवाई वाली टीम दोपहर दो बजे के करीब छापेमारी करने पहुंची। पुलिस की भी मौजूदगी बनी रही। करीब ढाई घंटे तक चली छापेमारी में न केवल, गैर प्रशिक्षित, गैर योग्यता धारी व्यक्तियों द्वारा अस्पताल संचालन की बात सामने आई बल्कि विभिन्न पैरा मेडिकल कोर्स में दाखिला लेने का दावा करने वाले युवक-युवतियों यहां मरीजों के उपचार के साथ ही, उन्हें ड्रिप तक चढ़ाते मिले।

बगैर स्त्री रोग तथा बाल रोग विशेषज्ञ के साथ ही यहां जच्चा-बच्चा हास्पीटल संचालित किए जोन की बात तो सामने आई ही, उससे जुड़े उपकरण भी यहां पड़े मिले। आपरेशन, आईसीयू, एनआईसीयू जैसे कक्षों को देख, छापेमारी करने टीम भी एकबारगी भौंचक रह गई। यहां स्थित किचेन रूम में ओटी वेस्ट डिस्पोजल ड्रम पड़ा मिला। यहां आने वालों के लिए एक आराम कक्ष और बगैर मां-बाप वाले नवजात देखने के लिए एक कक्ष और उसमें बच्चों से जुड़ी व्यवस्था भी टीम को अवाक करने वाली रहीं।


सबसे चौंकाने वाली बात यह रही है कि यह बगैर मां-बाप के एक नवजात बच्चा मिला, जिसे कब दाखिल कराया गया? किसका बच्चा है, उसकी कब-कहां डिलीवरी हुई? इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। बच्चा भी प्री मेच्योर मिला। कोई उसे दस दिन तो कोई बीस दिन, कोई कुछ दिन यहां भर्ती कराने फिर ले जाने, बीमार होने पर दोबारा भर्ती कराने की बात कहता रहा।

प्री मेच्योर बेबी होने के बावजूद, महज दूध के बाॅटल के सहारे उसकी होती देखभाल टीम को असहज करने वाली रही। मौके पर अस्पताल का कथित मैनेजमेंट संचालित करते मिले विनोद नामक युवक से जब टीम ने योग्यता जानने की कोशिश की तो पता चला कि अभी वह एक पैरामेडिकल कोर्स में दाखिल लिया हुआ है और यहां वह मरीजों का पर्चा बनाने के साथ दवा देने का काम करता है। वहीं दो युवतियां कथित नर्स का काम करती मिली।

उनका कहना था कि उन्होंने नर्सिंग कोर्स में दाखिला लिया है और यहां वह बतौर प्रैक्टिकल नर्स और आने वाले नवजात बच्चों के देखभाल का काम करती हैं। इसके बदले उन्हें कुछ हजार रूपये प्रतिमाह मिल जाते हैं। बगैर किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ, बगैर किसी प्रशिक्षित कर्मी, बगैर किसी बाल रोग विशेषज्ञ के सीजेरियन आपरेशन से पैदा हुए बच्चे और प्रसूता का इलाज होता मिला। इसी तरह एक और मरीज नवजात बच्चे के साथ मिली जो टीम द्वारा पूछताछ के बाद रहस्यमय परिस्थितियों में अस्पताल से गायब हो गईं। वहीं अस्पताल पंजीयन, यहां उपचार के लिए मौजूद रहने वाले चिकित्सक, उनके नंबर, पता आदि के बारे में भी टीम को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकी।


डीके सर लाते हैं बच्चा, कथित नर्सें करती हैं देखभालः

यहां लावारिश हाल में आने वाले बच्चे किसके द्वारा लाए जाते हैं, इस सवाल पर अस्पताल में मौजूद हर शख्स के द्वारा डीके सर का नाम लिया जाता रहा। यह डीके सर कौन है, उनकी योग्यता क्या है, इस अस्पताल से उनका जुड़ाव क्या है, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं बनी रही। वहीं टीम के लोग भी कथित डीके सर का कथित अस्पताल से आधिकारिक जुड़ाव को लेकर जानकारियां जुटाई जाती रहीं।


फिलहाल लावारिश हाल में मिले नवजात सहित अन्य नवजातों और मरीजों को बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उधर, स्वास्थ्य टीम की अगुवाई कर रहे केकराही पीएचसी के प्रभारी डा. डीके चतुर्वेदी ने बताया कि यहां जांच के दौरान अस्पताल के पंजीयन, मरीजों के उपचार संबंधी कोई कागजात उपलब्ध नहीं कराए जा सके।

बगैर डाॅक्टर और बगैर प्रशिक्षित कर्मियों के ही मरीजों का उपचार होता मिला। एक प्रसूजा का सीजेरियन आपरेशन भी पाया गया। निरीक्षण के दौरान एक लावारिश प्री मेच्योर बेबी भी मिला। स्थिति को देखते हुए, प्री मेच्चोर बेबी सहित अन्य मरीजों को बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है। वहीं अस्तपाल को सील करने के साथ ही, संचालन से जुड़े कागजात और मौके पर मिली स्थितियों के बाबत अस्पताल प्रबंधक के साथ तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

संतोषजनक जवाब न मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि जिले में इन दिनों में नवजात बच्चों के तस्करी का एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। कहीं इस कथित अस्पताल से भी तो उसका जुड़ाव नहीं, इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

Rakesh Mishra

Rakesh Mishra

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