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Sonbhadra News: कार्डिएक आरेस्ट बना बड़ा खतरा, कोरोना काल के बाद आई तेजी, सीपीआर बचाव का बड़ा हथियार

Sonbhadra News:आपात स्थिति में सीपीआर का किस तरह से प्रयोग करें और लोगों को कैसे जागरूक करें, इसके बारे में राजकीय चिकित्साधिकारी वाराणसी डा. शिवशक्ति द्विवेदी ने जानकारी दी।

Kaushlendra Pandey
Published on: 30 Nov 2022 9:33 AM IST
Sonbhadra Police
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यूपी पुलिस (फोटो: सोशल मीडिया )

Sonbhadra News: कोराना काल के बाद मानव जीवन के लिए कार्डिएक आरेस्ट का खतरा एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। इसके खतरे में तेजी से सामने आई वृद्धि और इससे तत्काल बचाव की लोगों को जानकारी न होने के कारण, असमय जा रही जानें चिंता का बड़ा कारण बन गई है। इसको मद्देनजर रखते हुए कलेक्ट्रेट स्थित सभागार के साथ ही पुलिस लाइन स्थित सभागार में प्रशासनिक और पुलिस कर्मियों को टिक से बचाव के लिए सीपीआर की जानकारी दी गई। आपात स्थिति में सीपीआर का किस तरह से प्रयोग करें और लोगों को कैसे जागरूक करें, इसके बारे में राजकीय चिकित्साधिकारी वाराणसी डा. शिवशक्ति द्विवेदी की तरफ से कार्यशाला का आयोजन कर जानकारी दी गई।

पुलिस कर्मियों को टिक से बचाव के लिए सीपीआर की जानकारी (photo: social media )

डा. द्विवेदी ने डेमो के जरिए सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रेससिटेशन) के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह आमतौर पर आपातकालीन स्थिति में प्रयोग किया जाता है। जब किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रूक जाती है तब सीपीआर का प्रयोग किया जाता है। इसमें बेहोश व्यक्ति को सांसे दी जाती हैं जिससे फेफड़ों को आक्सीजन मिलती है। सांस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है। इससे आक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है। डा. द्विवेदी का कहना था कि सीपीआर एक जीवनदायी तकनीक है जो कई आपात स्थितियों मे उपयोगी है। दिल का दौरा या पानी में डूबने से किसी की सांस या दिल की धड़कन रूकने पर, यह जीवनदायी साबित होता है।

sonbhadra (photo:social media )

कार्डियक अरेस्ट पीड़ित को बचाने के लिए होता है महज 8 से 10 मिनट का समय

कार्डिएक आरेस्ट से ग्रसित हुए व्यक्ति को बचाने के लिए महज आठ से 10 मिनट का ही समय मिल पाता है। उसमें भी तीन मिनट का समय गोल्डेन पीरिएड होता है, जिसमें सीपीआर मिलने से जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। डा. द्विवेदी के मुताबिक जब दिल काम करना बंद कर देता है तो आक्सीजन की कमी से कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की क्षति होनी शुरू हो जाती है। इस अवधि में सीपीआर दिया जाए तो कई जान बचाई जा सकती है।

sonbhadra (photo: social media )

संतुलित खानपान के साथ सात्विक आहार जरूरी

डा. द्विवेदी ने तनाव और खराब जीवनशैली का इसका बड़ा कारण तो माना ही, कोराना काल के दुष्प्रभाव को भी इसका एक बड़ा कारण बताया। कहा कि कई लोेग ऐसे थे जो कोराना ग्रसित हुए थे लेकिन लक्षण सामने नहीं आए थे। उनके भी हर्ट ओर लंग्स की क्षमता प्रभावित हुई है। इससे कार्डिएक आरेस्ट या हार्ट हटैक का जरा सा झटका जीवन समाप्त कर दे रहा है। उन्होंने संतुलित खानपान के साथ ही, सात्विक भोजन को तरजीह देने की सलाह दी। कहा कि कोराना काल में शायद ही ऐसा कोई वयक्ति था जो किसी न किसी रूप में उसके प्रभाव में न आया है। इसलिए सभी को जहां सीपीआर की जानकारी रखने की जरूरत है, वहीं हर्ट और लंग्स के भी देखभाल को लेकर सजगता बनी रहनी चाहिए। कलेक्ट्रेट में एडीएम सहदेव कुमार मिश्र, डीडीओ शेषनाथ चौहान और पुलिस लाइन में एएसपी आपरेशन विजयशंकर मिश्र ने डा. शिवशक्ति द्विवेदी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। एडीएम ने कहा कि सीपीआर पर आधारित जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में जो जानकारी मिली है, उसे सभी को आत्मसात करने और दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करने की जरूरत है। कलेक्ट्रेट में एसडीएम सदर रमेश कुमार, जिला अल्पसंख्यक अधिकारी राजेश कुमार खैरवार, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी सुशील सिंह, रामलाल प्रशासनिक अधिकारी, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी अनिल कुमार गुप्ता, अपर जिला सूचना अधिकारी विनय कुमार सिंह, अमूल वर्मा नाजिर और पुलिस लाइन में क्षेत्राधिकारी पुलिस लाइन, प्रतिसार निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह सहित अन्य की उपस्थिति बनी रही।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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