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Sonbhadra: सोनभद्र में 20 साल बाद दिखा दुर्लभ पक्षी, वन विभाग ने जंगल में ले जाकर छोड़ा
Sonbhadra: रेणुकूट वन प्रभाग क्षेत्र के कटौली गांव में बुधवार की शाम 20 साल बाद दुर्लभ प्रजाति का पक्षी दिखने के बाद कौतूहल की स्थिति उत्पन्न हो गई।
Sonbhadra: रेणुकूट वन प्रभाग क्षेत्र (Renukoot Forest Division Area) के कटौली गांव (दुद्धी क्षेत्र) एरिया में बुधवार की शाम 20 साल बाद दुर्लभ प्रजाति का पक्षी दिखने के बाद कौतूहल की स्थिति उत्पन्न हो गई। जानकारी पाकर पहुंची वन विभाग की टीम ने दुर्लभ प्रजाति का 'गिद्ध' पक्षी होने की पुष्टि की। सुरंगों को ऐसे पक्षियों का बसेरा बताया जाता है। फिलहाल, पक्षी को वन विभाग की तरफ से जंगल में ले जाकर छोड़ दिया गया है।
दुर्लभ प्रजाति का पक्षी देखकर ग्रामीण रह गए दंग
बताते हैं कि कटौली गांव में बुधवार की शाम कुछ ग्रामीणों की नजर बारिश के दौरान गांव के बाहर स्थित पेड़ की तरफ गई तो वहां दुर्लभ प्रजाति का पक्षी देख लोग दंग रह गए। कुछ ही देर में यह खबर पूरे इलाके में फैल गई और धीरे-धीरे लोगों की भीड़ मौके पर बढ़नी शुरू हो गई। इसी बीच किसी ने इसकी जानकारी डीएफओ मनमोहन मिश्रा को दी। उनके निर्देश पर रेंजर संजय श्रीवास्तव (Ranger Sanjay Srivastava) ने वन कर्मियों को भेजकर मिल रही सूचना की सच्चाई जंचवाई। इसके बाद उसे दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध पक्षी होने की पुष्टि की।
कहा कि यह प्रजाति क्षेत्र में विलुप्त हो चुकी है। लगभग 20 साल बाद रेणुकूट वन प्रभाग (Renukoot Forest Division Area) में गिद्ध की यह प्रजाति देखने को मिली है। उन्होंने संभावना जताई कि भटकने के कारण, यह पक्षी दुद्धी क्षेत्र में पहुंच गया। बताया कि वनकर्मी के जरिए उसे वहां से सुरक्षित ले जाकर, हाथीनाला के जंगल में छोड़ दिया गया है। वहीं ग्रामीणों का कहना था कि जब से यह पक्षी दिखा है तभी से इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का दावा था कि कि पानी में भीगने के वजह से वह उड़ने में असमर्थ हो गया था, इसलिए पेड़ के नीचे बैठा हुआ था।
कभी-कभी दिखते हैं इस तरह के पक्षी: डीएफओ
डीएफओ रेणुकूट मनमोहन मिश्र (DFO Renukoot Manmohan Mishra) भी सोनभद्र से इस प्रजाति के पक्षी को विलुप्त प्राय होने की बात स्वीकार करते हैं। बताते हैं कि यह पक्षी जंगलों में भी कभी-कभी ही देखने को मिलता है। उनकी मानें तो चंदौली के देवदरी इलाके में अभी यह प्रजाति मौजूद है। वहां के जंगलों में एक सुरंग है, जहां यह प्रजाति अक्सर देखने को मिल जाती है।