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Sonbhadra News: महिला मित्र ने साथ रहने से किया मना तो तीर से किया था वार, दोषी को 10 वर्ष का कारावास

Sonbhadra News: सोनभद्र में महिला मित्र को साथ रहने से मना करने पर गंभीर चोट पहुंचाने के दोषी को 10 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 25 Jun 2024 1:55 PM GMT
10 years imprisonment to the accused of causing serious injury to his female friend, attacked with an arrow when she refused to live with him
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महिला मित्र को गंभीर चोट पहुंचाने के दोषी को 10 वर्ष का कारावास, साथ रहने से मना करने पर तीर से किया था वार: Photo- Newstrack

Sonbhadra News: महिला मित्र को साथ रहने से मना करने पर गंभीर चोट पहुंचाने के दोषी को 10 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। जुगैल थाना क्षेत्र से जुड़े इस मामले की मंगलवार को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जितेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने सुनवाई की और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों तथा अधिवक्ताओं की ओर से दी गई दलीलों के आधार पर दोषसिद्ध पाते हुए, दोषी रामसुभग को 10 वर्ष की कठोर कैद के साथ 15 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में 4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समाहित किए जाने का भी आदेश पारित किया गया।

यह था प्रकरण, जिसको लेकर सुनाई गई सजा

अभियोजन कथानक के मुताबिक गत 23 अगस्त 2018 को जुगैल थानपे पहुंचकर बिहारी खरवार पुत्र स्व. बबलू खरवार निवासी बहेराडाड़ थाना जुगैल ने एक तहरीर दी। इसके जरिए पुलिस को अवगत कराया कि उसकी बहन फुलझरिया करीब 10 साल से पति के छोड़ने पर उसी के साथ रह रही है। लगभग दो साल से वह रामसुभग पुत्र रामसागर खरवार निवासी जुगैल टोला जोरवा, थाना जुगैल के साथ रह रही थी। एक माह पूर्व विवाद होने पर, वह फिर से उसके यहां रहने चली आई। आरोप लगाया गया कि इसको लेकर रामसुभग उसके घर आकर उसकी बहन से विवाद करने लगा। 22 अगस्त 2018 की रात इसी मसले को लेकर उसने तीर जैसे नुकीले हथियार से वार कर उसकी बहन की आंख के नीचे गंभीर चोट पहुंचाई। उपचार के लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

इन-इन धाराओं में केस दर्ज कर दाखिल की गई चार्जशीट

दी गई तहरीर के क्रम में धारा 308, 324, 326 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर जुगैल पुलिस ने विवेचना की और पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी। सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत ने रामसुभग को दोषी पाया और उसे इस अपराध के लिए धारा 326 आईपीसी के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास और 10 हजार अर्थदंड तथा धारा 308 आईपीसी के तहत पांच वर्ष का कारावास और पांच हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी, विशेष लोक अभियोजक विनोद कुमार पाठक एडवोकेट की तरफ से की गई।

Shashi kant gautam

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