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Sonbhadra News: अनचाही शादी से बचाने का झांसा देकर दुष्कर्म के दोषी को 10 वर्ष की कैद, 65 हजार अर्थदंड भी
Sonbhadra News: अनचाही शादी से बचाने का झांसा देकर दुष्कर्म के दोषी को 10 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। उस पर 65 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है।
Sonbhadra News: सात वर्ष पूर्व राबर्टसगंज कोतवाली क्षेत्र की एक नाबालिग को अनचाही शादी से बचाने का झांसा देकर दुष्कर्म के दोषी को 10 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। उस पर 65 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है। वर्ष 2017 से जुड़े इस मामले की शुक्रवार को अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत में फाइनल सुनवाई हुई। अधिवक्ताओं की ओर से दी गई दलीलों, पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य और गवाहों की तरफ से परीक्षित कराए गए बयानों को दृष्टिगत रखते हुए दोषसिद्ध पाया गया और दोषी पाए गए बब्बू विश्वकर्मा उर्फ लालबाबू को उपरोक्त सजा सुनाई गई। 65 हजार अर्थदंड की अदायगी न करने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया। अर्थदंड की धनराशि जमा होने के बाद उसमें से 50 हजार नियमानुसार पीड़िता को प्रदान करने के आदेश दिए गए।
रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने 16 दिसंबर 2017 को रॉबर्ट्सगंज पुलिस को एक तहरीर सौंपी थी। इसके जरिए उसने आरोप लगाया गया था कि उसकी दो बेटियों, जिसमें एक नाबालिग है, को बब्बू विश्वकर्मा उर्फ लालबाबू पुत्र रामचरन नामक व्यक्5ित बहला फुसलाकर कहीं भगा ले गया है। मामले में पुलिस ने अपहरण और पाक्सो एक्ट की धाराओं में केस दर्ज कर छानबीन शुरू की तो नाबालिग के साथ दुष्कर्म का भी मामला सामने आया। इसके आधार पर दर्ज मामले में दुष्कर्म की भी धारा जोड़ दी गई।
पीड़ितों का नाराजगी का फायदा उठा ले जाया गया था पंजाब
पुलिस जांच के दौरान सामने आया था नाबालिग के माता-पिता उसकी मर्जी के खिलाफ कहीं शादी करना चाहते थे। जबकि पीड़िता अभी शादी के पक्ष में नहीं थी। यह बात उसने अपने परिचित बब्बू विश्वकर्मा से साझा की। उसने उसे इससे बचने के लिए साथ चलने के लिए कहा। वहीं बड़ी बहन भी अपने ससुराल वालों से नाराज थी। बब्बू से हुई वार्ता के अनुसार दोनों राबटर्सगंज बस स्टैंड पहुंचे। वहां से वाराणसी और वाराणसी से पंजाब चले गए। बरामदगी के बाद, नाबालिग के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया जिसको लेकर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 363, 366, 376 आईपीसी और पाक्सो एक्ट के तहत चार्जशीट न्यायालय में दायर की।
लगभग सात साल चली सुनवाई, आठ गवाह कराए गए परीक्षित
प्रकरण को लेकर न्यायालय में लगभग सात साल तक सुनवाई चली। इस दौरान कुल आठ गवाह परीक्षित कराए गए। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने दलीलें पेश की। पेश की गई दलीलों, गवाहों की तरफ से दिए गए बयान और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दुष्कर्म का अपराध सिद्ध पाया गया और दोषी बब्बू विश्वकर्मा को 10 वर्ष के कारावास के साथ 65 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई।