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Sonbhadra News: बड़ा खुलासाः रीवां में पकड़े गए साखू लदे 12 वाहन, सामने आया ट्रांजिट फर्जीवाड़ा

Sonbhadra News: ओबरा से मध्यप्रदेश के विभिन्न जनपदों तक फैले लकड़ी तस्करी के रैकेट और परमिट फर्जीवाड़ा को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 21 Jan 2024 5:40 PM IST
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रीवां में पकड़े गए साखू लदे 12 वाहन (न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: ओबरा से मध्यप्रदेश के विभिन्न जनपदों तक फैले लकड़ी तस्करी के रैकेट और परमिट फर्जीवाड़ा को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। बताया जा रहा है कि यह खेल पिछले वर्ष सिंतंबर माह में ही जिम्मेदारों के संज्ञान में आ गया था। लेकिन जहां वन विभाग की तरफ से दी गई तहरीर का पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया, वहीं वन विभाग के लोगों ने भी तहरीर के बाद चुप्पी साध ली और लकड़ी तस्करी का खेल, सिंगरौली, सीधी से होते हुए रीवां तक पहुंच गया। मामले ने तूल तब पकड़ा, जब रीवां के चाकघाट वनमंडल (यूपी के प्रयागराज से सटी एमपी की एरिया) में एक नहीं, 12 वाहन साखू का परिवहन करते पकड़े गए।

उच्चाधिकार के संज्ञान में पहुंचा मामला तब तेज हुआ एक्शन

जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि सभी 12 वाहनों के लिए ओबरा वन प्रभाग से जारी दिख रहे ट्रांजिट परमिट फर्जी है। इतनी बड़ी बरामदगी के बाद मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में पहुंचा, तो जहां हड़कंप की स्थिति बन गई। वहीं, आनन-फानन में एक टीम मामले से जुड़ी जानकारियां के लिए एमपी रवाना करते हुए, सर्च वारंट जारी कर, गिरोह के मास्टरमाइंड आकिब खान के घर रेड डाली गई लेकिन तब तक उसके परिवार वाले काफी कुछ साक्ष्य जलाकर नष्ट कर चुके थे।

19 सितंबर को ही सामने आ गए थे तस्करी से जुड़े नाम

मिल रही जानकारियों पर यकीन करें तो पिछले वर्ष 19 सितंबर को ही तस्करी के इस रैकेट से जुड़े प्रमुख आरोपियों के सामने आ गए थे। इस बात को स्वयं, मामले में तहरीर देने वाले कोन वन क्षेत्र के वनरक्षक इरफान खान ने स्वीकार किया है। पुलिस को दूसरी बार दी गई तहरीर में भी इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि इस तरह का एक अन्य प्रकरण सितंबर 2023 में भी सामने आया था। प्रकरण को लेकर 19 सितंबर को ओबरा पुलिस को तहरीर भी सौंपी गई थी लेकिन उस तहरीर पर अब तक न तो कोई प्राथमिकी दर्ज की गई, न ही किसी तरह से उसका संज्ञान लिया गया। तहरीर में यह भी बताया गया है कि सितंबर में ही लकड़ी तस्करी से जुड़े कान्हा इंटरप्राइजेज ओबरा और पटेल ट्रांसपोर्ट एजेंसी ओबरा का नाम सामने आ चुका था। दी गई तहरीर में भी इस बात का जिक्र किया गया था।

दिखाई गई होती गंभीरता तो पहले ही पकड़ में आ गया होता तस्करी का रैकेट

दिलचस्प मसला यह है कि एक तरफ पुलिस को लकड़ी तस्करी से जुड़ी दूसरी तहरीर में प्रमुख आरोपियों का नाम पहले ही पता चल जाने का दावा किया गया है। वहीं, दूसरी तरफ, महज एक तहरीर देकर वन विभाग के लोगों ने चुप्पी साध ली। सर्च वारंट तब जारी किया गया जब दूसरी बाद लकड़ियां मध्यप्रदेश में पकड़ी गईं। वह भी एक-दो नहीं, पूरे 12 वाहनों पर लदी लकड़ियां पकड़ में आई। अगर यहीं सर्च वारंट वाला रास्ता पहले अपना लिया गया होता जो जहां तस्करी से जुड़ा पूरा रैकेट सामने होता है, वहीं किसी साक्ष्य को जलाकर नष्ट करने का मौका किसी को नहीं मिल पाता।

सामने आएगा सच या मैनेज हो जाएगा मामला?

अब लकड़ी तस्करी के इस मामले में गत 19 जनवरी को दी गई तहरीर पर पुलिस ने गिरोह के सरगना साहिल उर्फ आकिब खान, गौरव श्रीवास्तव, रूद्रा इंटरप्राइजेज, कान्हा इंटरप्राइजेज और पटेल ट्रांसपोर्ट एजेंसी के खिलाफ मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। कई अन्य को भी इस खेल में शामिल होने का दावा किया गया है। ऐसे में जिस तरह से सितंबर माह में पूरे मामले को कथित रूप से मैनेज कर लिया गया, उसको देखते हुए कई जिलों तक फैले इस रैकेट का पूरा सच इस बार सामने आ पाएगा या फिर आगे चलकर मामला ठंडा पड़़ जाएगा, इसकी चर्चाएं बनी हुई हैं। इस बारे में आगे की कार्रवाई के बारे में जानकारी के लिए डीएफओ ओबरा से संपर्क साधा गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।



Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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