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Sonbhadra: भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा करोड़ों की लागत से बना बांध, महज एक साल के भीतर पड़ी दरारें, कई कार्य अभी भी अधूरे

Sonbhadra News: आदिवासी बहुल कोदई क्लस्टर (नगवां ब्लाक) में ग्रामीणों का जीवन संवारने और खुशहाली लाने के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के जरिए करोड़ों की लागत से कराए गए कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए।

Kaushlendra Pandey
Published on: 14 Nov 2023 2:30 PM GMT
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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा करोड़ों की लागत से बना बांध (Social Media)

Sonbhadra News: आदिवासी बहुल कोदई क्लस्टर (नगवां ब्लाक) में ग्रामीणों का जीवन संवारने और खुशहाली लाने के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (Shyama Prasad Mukherji Rurban Mission) के जरिए करोड़ों की लागत से कराए गए कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। पल्हारी गांव में सिंचाई और भूजल संरक्षण के लिए 1.40 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित कराया गया बांध, कार्य पूर्ण होने के एक साल के भीतर ही, ध्वस्त होने की स्थिति में पहुंच गई है।

जगह-जगह से पड़ी दरारें और रिसाव ने जहां, कार्य की गुणवत्ता को लकर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, पक्की दीवार और पिंचिंग का कार्य अधूरा रहने के बावजूद, कार्य पूरा दिखाते हुए, किए गए भुगतान और इससे जुडे़ लोगों की कार्यप्रणाली भी सवालों को घेरे में हैं। डीएम चंद्रविजय सिंह के संज्ञान में जब यह मामला पहुंचा तो उन्होंने सीडीओ को कमेटी गठित कर जांच कराने के लिए कहा है।

1100 करोड़ की लागत से कराए गए थे कई कार्य

बता दें, वर्ष 2020-21 और वर्ष 2022-23 में कोदई कलस्टर के पांच गांवों (कोदई, पल्हारी, चिरुई, बैजनाथ और मरकुड़ी) में 1100 करोड़ रुपए की लागत से, श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के तहत कई कार्य कराए गए थे। इसके तहत सड़क, बिजली, पानी, खेल के मैदान, बंधी, अस्पताल, आंगनबाड़ी केंद्र, आदिवासी म्यूजियम जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराकर शहर जैसी सुविधाएं देनी थी। प्लान बनाकर कार्य भी कराए गए लेकिन कार्य की गुणवत्ता तथा उसकी उपयोगिता का ख्याल न रखने के कारण, महज वर्ष बाद ही, कई निर्माण निष्प्रयोज्य स्थिति में पहुंच गए हैं। इसी में एक निर्माण है पल्हारी गांव की बंधी, जिस पर 1.40 करोड़ व्यय किए जाने के बावजूद, कार्य पूर्ण होने के महज वर्ष बाद ही, कार्य की गुणवत्ता और उपयोगिता पर सवाल उठाए जाने लगे हैं।

रिटर्निंग वॉल में प्लास्टर तक नहीं

ग्रामीणों के मुताबिक बांध के आगे वाले यानी मुख्य हिस्से की जो दीवार (रिटर्निंग वाल) बनाई गई उसमें प्लास्टर नहीं किया गया। इसके चलते हर बोल्डर के ज्वाइंट से रिसाव वाली स्थिति बन गई। साइड दिवाल का कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है। पत्थर पिचिंग भी आधी-अधूरी है। ग्रामीणों को कहना है कि लगातार रिसाव से जहां रबी की फसल के लिए बंधी में पानी न बचने की स्थिति बन गई है। वहीं, वर्तमान में रिसाव के चलते धान की कटाई और रबी की बुवाई पर असर पड़ने लगा है। अगर बंधी के टूटने की स्थिति बनी है तो गांव के कई घर निशाना बन सकते हैं। इसको लेकर भी ग्रामीणों में भय की स्थिति बनी हुई है।

बांध टूटने की बनी स्थिति तो दर्जन भर परिवार होंगे प्रभावित

पल्हारी के क्षेत्र पंचायत सदस्य बिंदु अगरिया निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए बताते हैं कि बंधी में स्केप नहीं काटा गया है। बंधी की ऊंचाई भी निर्धारित से कम रखी गई है। पीचिंग का कार्य आधा-अधूरा है। लगातार रिसाव हो रहा है। जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं। इसके चलते रबी की सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था दूर, पकी फसल को काटने में परेशानी होने लगी है। बिंदु की मानें तो अंदर बंधी टूटने की स्थिति बनती है तो दर्जन भर परिवार सीधे प्रभावित होंगे।

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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