TRENDING TAGS :
Sonbhadra News: 'आपदा प्रहरी ऐप’ करेगा अलाव-कंबल वितरण की निगरानी, जीओ टैगिंग के साथ अपलोड करनी होगी तस्वीरें, निर्देश जारी
Sonbhadra News: एडीएम सहदेव मिश्र की तरफ से सभी संबंधितों को जारी निर्देश में कहा गया है कि निराश्रित/असहाय और कमजोर वर्ग के व्यक्तियों को वितरित किए जाने वाले कम्बल का विवरण मोबाईल ऐप के माध्यम से दर्ज किया जाएगा।
Sonbhadra News: शीतलहर से बचाव के लिए अब ग्राम पंचायत और नगर पंचायतों में कागजी आंकड़ेबाजी नहीं, हकीकत पर काम करना होगा। इसकी निगरानी के लिए शासन स्तर से जहां ’आपदा प्रहरी ऐप’ के इस्तेमाल के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, इसके नोडल की जिम्मेदारी निभाने वाले अधिकारियों-कर्मियों को, संबंधित स्थल की तस्वीरें जियो टैग के जरिए संबंधित ऐप पर अपलोड करानी होगी। इसको लेकर शासन स्तर के साथ ही, जिला प्रशासन की तरफ से नगर निकायों के साथ ही, तहसील प्रशासन को जरूरी निर्देश जारी किए गए हैं।
अब अलाव-कंबल को लेकर इन बातों का रखना होगा ख्याल
जिले में एडीएम सहदेव मिश्र की तरफ से सभी संबंधितों को जारी निर्देश में कहा गया है कि निराश्रित / असहाय और कमजोर वर्ग के व्यक्तियों को वितरित किए जाने वाले कम्बल का विवरण मोबाईल ऐप (आपदा प्रहरी ऐप) के माध्यम से दर्ज किया जाएगा। इस कार्रवाई की निगरानी राहत आयुक्त कार्यालय और एनआईसी लखनऊ की तरफ से शुरू कर दी गई है। इसके लिए प्रत्येक लाभार्थी का फोटोग्राफ मय विवरण-जियो टैगिंग संबंधित ऐप के माध्यम से आपदा विभाग से जुड़े पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
शीतलहर से बचाव के लिए अलाव स्थल के सत्यापन की भी कार्रवाई मोबाईल ऐप के माध्यम से किए जाने के निर्देश हैं। ग्राम पंचायत एरिया में संबंधित लेखपाल एवं उक्त क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति /प्रधान का मोबाईल नंबर पंजीकृत किया जाएगा। उनका यह दायित्व होगा कि प्रत्येक दिवस जलाए जा रहे अलाव का फोटोग्राफ वह ऐप के जरिए पोर्टल पर अपलोड करेंगे। तस्वीर पोर्टल पर अपलोड किए जाने के बाद ही माना जाएगा कि संबंधित स्थल पर अलाव जलाये जाने की व्यवस्था की गई है।
नए निर्देश ने बढ़ाई गड़बड़ी करने वालों की मुश्किलें
प्रत्येक अलाव स्थल का लांगीट्यूट और लैटीट्यूट पंजीकृत मोबाईल नंबर के साथ सम्बद्ध रहेगा। उक्त स्थल के अतिरिक्त किन्हीं अन्य स्थल का फोटोग्राफ मान्य नहीं होगा। बताया जा रहा है अलाव के मामले में करीब-करीब यहीं व्यवस्था नगर निकायों के लिए भी मान्य है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में कागजों पर ज्यादा और हकीकत में कम अलाव जलाने, अलाव का समय ज्यादा दिनों का दिखाने, लकड़ी खपत की मात्रा वास्तविकता से ज्यादा दिखाने की शिकायत बनी हुई थी लेकिन अब नई व्यवस्था ने ऐसा करने वालों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिला आपदा प्रबंधक पवन कुमार शुक्ला ने बताया कि मामले में सभी संबंधितों को समय से तस्वीरें- विवरण अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।