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Sonbhadra News: अभियंताओं-बिजलीकर्मियों का एलान निजीकरण प्रक्रिया वापस न हुई तो तेज होगा आंदोलन

Sonbhadra News: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने जहां सोनभद्र सहित सूूबे के अन्य जनपदों में जगह-जगह प्रदर्शन कर आवाज उठाई। वहीं, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने आपात बैठक कर बड़े संघर्ष की रणनीति बनाई।

Kaushlendra Pandey
Published on: 15 Jan 2025 7:15 PM IST
Sonbhadra bijlikarmchari News (social media)
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Sonbhadra bijlikarmchari News (social media)

Sonbhadra News: यूपी पावर कॉरपोरेशन की तरफ से पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम में पीपीपी व्यवस्था लागू करने की कवायद को लेकर, विरोध की आवाज तेज होती जा रही है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने जहां सोनभद्र सहित सूूबे के अन्य जनपदों में जगह-जगह प्रदर्शन कर आवाज उठाई। वहीं, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने आपात बैठक कर बड़े संघर्ष की रणनीति बनाई। अभियंताओं का कहना है कि किसी भी रूप में निजीकरण की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

बिजली परियोजनाओं, जिला मुख्यालयों पर किया गया प्रदर्शन:

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण प्रक्रिया के विरोध में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सोनभद्र के ओबरा अनपरा सहित अन्य जगहों पर विरोध सभा की। कार्यस्थल पर काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया। राजीव सिंह, जितेंद्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेेंद्र राय, सुहैल आबिद, पीके दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेंद्र पाण्डेय, आरबी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो. इलियास, श्रीचंद, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पीएस बाजपेई, जीपी सिंह, रामसहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह, राम निवास त्यागी आदि ने कहा कि निजीकरण के लिए जारी किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट में सारी शर्तें कर्मचारियों के विरोध में हैं।

निजीकरण प्रक्रिया रद्द होने तक जारी रहेगा आंदोलन: संघर्ष समिति

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दूबे ने कहा कि इसके जरिए जहां हजारों कर्मचारियों को निजी घरानों के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा। वहीं कर्मचारियों के सामने निजी कंपनी की शर्तों पर काम करने, वह भी तब, जब निजी कंपनी उनको अपने यहां काम पर रखे, अन्यथा की स्थिति में वीआर एस लेकर घर जाना बाध्यता होगी। संघर्ष समिति ने दावा किया कि निजीकरण का मतलब होगा 50 हजार संविदा कर्मियों की सेवा समाप्ति और 26 हजार नियमित कर्मियों की छंटनी। पदाधिकारियों ने कहा बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे। इसकी प्रक्रिया रद्द/वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

जूनियर‘-प्रोन्नत अभियंताओं ने बनाई बड़े संघर्ष की रणनीति

उधर, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन और प्रोन्नत अभियंताओं की आपात बैठक में भी निजीकरण के विरोध में आवाज बुलंद की गई। केंद्रीय संरक्षक इं. तनाम सिंह ने कहा कि उर्जा क्षेत्र का निजीकरण न तो कार्मिको के हित में है न ही उपभोक्ताओं के हित में। ऊर्जा प्रबधन को चाहिए कि वह तत्काल अपना फैसला वापस ले। अखिल भरतीय पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ के राष्टीय अध्यक्ष ने कहा कि पूर्वांचल एवं दक्षिणंाचल के निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया गया गया तो संगठन पूरे देश में आंदोलन को बाध्य होगा। केंद्रीय अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि निजीकरण का फैसला वापस लेना ही कर्मियों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में है। केंद्रीय महासचिव बलबीर यादव ने कहा कि पूर्वांचल एवं दक्षिणंाचल का निजीकरण करने के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति पूर्व में हुए समझौते का उल्लंघन है। निवर्तमान केंद्रीय अध्यक्ष इं. जीबी पटेल और निवर्तमान केंद्रीय महासचिव जयप्रकाश ने पूर्व में बनी सहमतियों को देखते हुए निजीकरण का फैसला वापस होना चाहिए। केंद्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष इं. अवधेश कुमार यादव, उपाध्यक्ष इं. सतवीर सिंह सहित अन्य की तरफ से निजीकरण के विरोध में आवाज बुलंद की गई।



Ramkrishna Vajpei

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