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Sonbhadra Exclusive: जलाशयों- पिकनिक स्पॉटों पर जाएं...मगर संभलकर, 1185 दिनों में 404 ने गवांई जान, साल दर साल बढ़ रही संख्या
Sonbhadra Exclusive: महज 1185 दिनों में 404 लोगों की पानी में डूबने से मौत हो चुकी है। इसके औसत पर नजर डालें तो हर तीसरे दिन एक की मौत हो रही है। अब इसको लेकर आपदा मित्रों के जरिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।
Sonbhadra Exclusive: जिले में जिस रफ्तार से बड़े जलाशयों, पिकनिक स्पॉटों को पर्यटन की दृष्टि से संवारने का काम किया जा रहा है। उसी गति से जलाशयों-पिकनिक स्पॉटों पर प्राकृतिक नजारे का लुत्फ उठाने के लिए पहुंचने वालों की डूबने से होती मौत ने हड़कंप मचा दिया है। हालत यह है कि महज 1185 दिनों में 404 लोगों की पानी में डूबने से मौत हो चुकी है। इसके औसत पर नजर डालें तो हर तीसरे दिन एक की मौत हो रही है। अब इसको लेकर आपदा मित्रों के जरिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन जिस तरह से जिले के बड़े जलाशयों, पर्यटन स्थलों से सुरक्षा इंतजाम नदारद हैं। पानी की गहराई को जांचने और सुरक्षा घेरा बनाने जैसी कवायदें भी यहां अमल में नहीं आ सकी हैं। उसको देखते हुए, आपदा मित्रों के जरिए जागरूकता की पहल कितनी कारगर होगी? इसकी चर्चा बनी हुई है।
जानिए क्या कहते हैं आंकड़े और किस तरह हो रही लापरवाही
आंकड़ों की मानें तो वित्तीय वर्ष 2021-22 में इत्तफाकिया पानी में डूबने से हुई मौतों की संख्या जहां 81 दर्ज की गई। वहीं, 2022-23 में बढ़कर यह आंकड़ा 137 पहंुच गया। वर्ष 2023-24 में 139 मौतें पानी से डूबने से दर्ज हुई। इस वर्ष भी अप्रैल से जून के बीच पानी में डूबने के चलते 47 मौतें दर्ज हो चुकी हैं।
दुद्धी तहसील की स्थिति सबसे ज्यादा संवेदनशील
पानी में डूबने के चलते हो रही मौतों के मामले में दुद्धी तहसील की एरिया सबसे ज्यादा संवेदनशील है। इस वर्ष अप्रैल से जून के बीच दर्ज हुई 47 मौतों में 20 मौतें अकेले दुद्धी तहसील में दर्ज की गई हैं। वर्ष 2023-24 के आंकड़े पर नजर डालें तो 139 मौत में 71 मौतें सिर्फ दुद्धी तहसील क्षेत्र में दर्ज की गई हैं। ओबरा 35 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर, राबटर्सगंज तहसील 29 मौतों के साथ तीसरे नंबर पर रहा है। घोरावल में सबसे कम महज छह मौत दर्ज हुई है।
गर्मी से राहत और सेल्फी का जुनून ले रहा जान
तेजी से बढ़े आंकड़ों के पीछे लोगों का कहना है कि एक तरफ जहां लोग गर्मी और उमस से राहत के तालाबों, जलाशयों में नहाने के लिए उतर जा रहे हैं। वहीं, पानी में उतरकर, किनारे पर खडे होकर फोटों खिंचवाने-सेल्फी लेने का जुनून भी लोगों को मौत के घाट उतार रहा है।
प्रमुख पिकनिक स्पॉटों पर पर्यटन को लेकर विकास तो किए जा रहे है लेकिन मौके पर पहुंचकर मनमाने तरीके से पानी में उतरकर जलक्रीड़ा करने वालों को रोकने के लिए न तो कहीं किसी गार्ड की व्यवस्था अब तक हो पाई है, न ही गहराई के हिसाब से कहीं किसी सुरक्षा घेरे का भी इंतजाम किया जा सका है। इसके चलते धंधरौल, रिहंद जैसे बड़े जलाशयों के साथ ही, विभिन्न पिकनिक स्पॉटों के साथ ही, कस्बों-गांवों में मौजूद तालाब की गहराई लोगों की जिंदगी छिनने का भी सबब बनती जा रही है।
जागरूकता के जरिए हादसों पर हो रही रोकने की कोशिश
इस बारे में आपदा प्रबंधक पवन शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने भी आंकड़ों को चिंताजनक होने की बात स्वीकारी। कहा कि आपदा मित्रों के जरिए गांव-गांव इसको लेकर जागरूकता मुहिम चलाने की योजना बनाई जा रही है। अफसरों को भी स्थिति अवगत कराते हुए, जरूरी उपाय अमल में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पीड़ित परिवार को सरकार की ओर से मिलने वाली आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जा रही है। कहा कि उम्मीद है कि जल्द ही आपदा मित्रों के जरिए जागरूकता की मुहिम पानी में डूबने से हो रही मौतों पर अंकुश लगाने में कामयाब होगी।