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Sonbhadra News: सोनभद्र-सिंगरौली में हवा हुई जहरीली, 310 पर पहुंचा AQI, विशेषज्ञ बोले - दिल्ली की तरह बिगड़ सकते हैं हालात

Sonbhadra News: पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना था कि अगर प्रदूषण नियंत्रण को लेकर अभी से सजगता नहीं बरती गई तो सोनभद्र और सिंगरौली दोनों जनपदों में दिल्ली की तरह हालात बिगड़े नजर आ सकते हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 12 Nov 2023 12:55 PM IST (Updated on: 12 Nov 2023 1:09 PM IST)
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सोनभद्र के ऊर्जांचल में दिन में छाई कोहरे जैसी धुंध (Newstrack) 

Sonbhadra News: दीपावली पर्व की खुशियां मना रहे सोनभद्र-सिंगरौली वासियों के लिए प्रदूषण के लिहाज से बुरी खबर सामने आई है। शनिवार तक जहां सिंगरौली रीजन (सोनभद्र-सिंगरौली दोनों की एरिया शामिल) का वायु गुणवत्ता सूचकांक 150 से 170 के बीच बना हुआ था। वहीं, रविवार को कोहरे की चादर तनी रही। वहीं, पूर्वान्ह 11 बजते-बजते यूपी-एमपी सीमा पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 310 पर पहुंच गया। अभी पटाखों का शोर बाकी हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना था कि अगर प्रदूषण नियंत्रण को लेकर अभी से सजगता नहीं बरती गई तो सोनभद्र और सिंगरौली दोनों जनपदों में दिल्ली की तरह हालात बिगड़े नजर आ सकते हैं।


बताते चलें कि सोनभद्र और सिंगरौली दोनों जनपदों की प्रदूषण प्रभावित एरिया को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से सिंगरौली जोन के रूप में परिभाषित किया गया है। वहीं, यूपी-एमपी सीमा पर विंध्यनगर में प्रदूषण मापन संयंत्र लगाया गया है। उधर, एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से भी सीमा पर जगह-जगह प्रदूषण मापन संयंत्र लगाए गए हैं। सोनभद्र के हिस्से में प्रदूषण मापन संयंत्र की बात करें तो यहां प्रदूषण मापन का आंकडा जहां औद्योगिक परियोजनाओं के जिम्मे छोड दिया गया है। वहीं, हाई डस्ट जोन का दर्जा रखने वाला डाला-ओबरा क्रशर बेल्ट तथा अनपरा के औड़ी से लेकर शक्तिनगर की एरिया में 24 घंटे छाई रहने वाली पत्थर-कोयले के धुंध के मापन को लेकर कोई यंत्र स्थापित नहीं किया जा सकता है।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए पानी छिड़काव तक की व्यवस्था कागजों पर ही बनी हुई है। एनजीटी की सख्ती के बाद, वर्ष 2015 में हाई डस्ट जोन वाली एरिया में परियोजनावार जिम्मेदारी तय करते हुए पानी छिड़काव, प्रदूषण फैलाने वाले खनिजों का सुरक्षित परिवहन और रोजाना साफ-सफाई की योजना बनाई गई थी। कुछ सालों तक पानी छिड़काव की व्यवस्था बहाल रही बाद में सड़क हादसों का हवाला देते हुए, उसे भी ठप कर दिया गया। हालात यह हो गए हैं, कि हवा में छाई कोयला-पत्थर की धुंध और गड़्ढों के रास्ते के बीच से सफर प्रदूषण जनित बीमारियों की सौगात देने के साथ ही, आए दिन हादसों के जरिए जिंदगियां छिनने का सबब बना हुआ है।


कस्बों में प्रदूषण के हालात ज्यादा खराब

महज दो तीन दिन पहले हाइवे पर स्थित कस्बों में प्रदूषण की स्थिति जांची गई थी तो जहां वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर दो सिगरेट से अधिक प्रदूषण का दंश झेलने के लिए विवश होने का मामला सामने आया था। वहीं, रविवार को जब रीवा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति जांची गई तो दुद्धी में बगैर स्मोकिंग वालों के लिए चार सिगरेट से भी ज्यादा का प्रदूषण पाया गया ।

जयंत में 310 पर पहुंचा मिला एक्यूआई

सोनभद्र में प्रदूषण मापन की समुचित व्यवस्था न होने के कारण कोई अधिकृत आंकड़ा तो नहीं मिल सका। लेकिन, शक्तिनगर से सटे एमपी के बैढ़न में ट्रामा सेंटर के पास प्रदूषण मापन की व्यवस्था की स्थिति जांची गई तो पता चला कि सुबह 11 बजे ही यूपी-एमपी सीमा पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 310 पर पहुंच चुका था। बता दें कि प्रदूषण को लेकर पूरे देश में चर्चित दिल्ली का सूचकांक शनिवार को 220 दर्ज किया गया था।

सामाजिक कार्यकर्ता जगत भाई और सिगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के रामेश्वर का कहना है कि सोनभद्र में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर इमानदारी से कार्य की जरूरत है। अब तक जो भी पहल हुई है, वह धरातल पर कम, कागजों पर ज्यादा है। इसको देखते हुए जिला प्रशासन को संजीदगी बरतने की जरूरत है। उधर, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आरके सिंह का इस मामले में अजीबोगरीब तर्क है। फोन के जरिए प्रदूषण के बढ़ते आंकड़ों पर जानकारी चाही गई तो उनका जवाब था कि हवा नहीं चल रही है। तेज हवा चलेगी तो प्रदूषण अपने आप कम हो जाएगा।



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Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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