Sonbhadra News: धोखाधड़ी के केस में टांड के डौर के जमींदार को अग्रिम जमानत

Sonbhadra News: न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की बेंच ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिका स्वीकार करते हुए राबटर्सगंज कोतवाली पुलिस को तीन माह के भीतर विवेचना पूरी करने के लिए कहा है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 6 Jun 2024 1:36 PM GMT (Updated on: 6 Jun 2024 2:34 PM GMT)
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हाईकोर्ट की फाइल फोटो। (Pic: Social Media)

Sonbhadra News: जिला मुख्यालय स्थित एक जमीन के मामले में धोखाधड़ी के तहत दर्ज किए गए केस में टांड के डौर उर्फ राबर्टसगंज कस्बे के जमींदार का दर्जा रखने वाले पारस अग्रहरि को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की बेंच ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिका स्वीकार करते हुए राबटर्सगंज कोतवाली पुलिस को तीन माह के भीतर विवेचना पूरी करने के लिए कहा है।

यह था पूरा मामला

बताते चलें कि जमन नौ से जुड़ी जमीन को लेकर दो पक्षों में लंबे समय से विवाद की स्थिति बनी हुई थी। एक पक्ष की ओर से पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र सौंपकर पहले संबंधित जमीन को उन्हें बेचने बाद में दूसरे के नाम बैनामा करने का आरोप लगाया था। इस मामले में भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष यादवेंद्र द्विवेदी, टांड के डौर उर्फ राबटर्सगंज के जमींदार का दर्जा रखने वाले पारस अग्रहरि सहित तीन के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 447 आईपीसी के तहत केस दर्ज किया गया था।

इस बिंदु पर हाईकोर्ट से मिली राहत

एफआईआर को गलत बताते हुए पारस अग्रहरि ने अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा के जरिए हाईकोर्ट में धारा 438 सीआरपीसी के तहत याचिका दाखिल की और गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग की। अभियोजन पक्ष की तरफ से दर्ज कराया गया कि धाराएं गंभीर प्रकृति की है, जो आरोप हैं उससे भी गंभीर मामला बन रहा है, जमानत नहीं दी जानी चाहिए। केवल काल्पनिक भय के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।

वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने व्यक्तिगत हित के लिए गलत आरोप लगाने और जमीन विवाद से जुड़े आरोपों को गलत ठहराते हुए, अग्रिम जमानत की मांग का आधार सही होने की दलील दी। याचिका के जरिए यह भी अवगत कराया गया कि संबंधित प्रकरण से जुड़ा मामला भू-राजस्व संहिता के तहत निचली अदालत में विचाराधीन है। दलील दी कि मामले को आपराधिक रंग देने के लिए, दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

तीन माह के भीतर जांच पूरी कर लेने का निर्देश

पिछले दिनों न्यायमूर्ति दीपक वर्मा के बेंच ने प्रकरण की सुनवाई की। पाया कि मामले की योग्यता पर कोई राय व्यक्त किए बिना और आरोप की प्रकृति और पूर्ववृत्त पर विचार किए बिना, आवेदक इस मामले में माननीय सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा विचार किए गए अपवाद को दृष्टिगत रखते हुए सीमित अवधि के लिए अग्रिम जमानत पर रिहा होने का हकदार है। इसलिए आवेदक केस में नामित है, को सीआरपीसी की धारा 173(2) के तहत पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत होने तक के लिए अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाए। आवेदक को ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए समान राशि के दो जमानतदारों के साथ एक व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। जांच अधिकारी को निर्देशित किया गया कि मामले की जांच, विधि के अनुसार, प्रमाणित प्रति मिलने के तीन महीने की अवधि के भीतर पूरी कर ली जाए।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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