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Sonbhadra: परिवहन महकमे में बड़ा फर्जीवाड़ा, गलत चालान रिपोर्ट भेज किया 'खेल', मंडलायुक्त-DM ने ARTO से मांगी रिपोर्ट
Sonbhadra Exclusive: वर्तमान और पूर्व के अधिकारियों तथा कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए ऐसे सभी प्रकरणों की गहन जांच की गुहार लगाई गई है। इसको गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त और डीएम दोनों ने जहां एआरटीओ से जांच रिपोर्ट तलब की गई है।
Sonbhadra Exclusive: कोरोना काल में 'आपदा को अवसर' बनाकर खेले गए फर्जीवाड़े का खेल एक के बाद एक सामने आने का क्रम जारी है। पहले फर्जी रिलीज ऑर्डर पर थानों में सीज वाहनों को छुड़ाने के मामले में विभागीय स्तर पर FIR दर्ज कराई गई। बाद में कोरोना काल में न्यायालय बंद रहने तथा अवकाश के दिनों में, न्यायालय की फर्जी रसीद तैयार कराकर वाहनों को छुड़ाने का मामला सामने आया। अब न्यायालय में गलत चलान रिपोर्ट भेजने तथा न्यायालय को गुमराह कर सरकारी राजस्व को भारी चपत लगाने का मामला प्रकाश में आया है। मंडलायुक्त और डीएम ने पूरे मामले की जानकारी और जांच आख्या तलब कर ली है।
कभी फिटनेस फर्जीवाड़ा तो कभी गाड़ियों की बिक्री से पहले ही रजिस्ट्रेशन तो कभी एनसीआर से उड़ाई गई गाड़ियों का नया पंजीयन तैयार करने को लेकर चर्चा में रहने वाला सोनभद्र परिवहन विभाग पिछले एक साल से वाहनों की रिलीजिंग को लेकर हुए फर्जीवाड़े को लेकर चर्चा में है। मामले को लेकर दर्ज कराई गई पहली FIR में तत्कालीन एआरटीओ सहित अन्य को आरोपी पाते हुए चार्जशीट न्यायालय भेजी जा चुकी है। वहीं, न्यायालय की फर्जी तथा कूटरचित रसीद तैयार करने के मामले में क्राइम ब्रांच की तरफ से विवेचना जारी है। अभी यह मामला सुलझ भी नहीं पाया था कि ज्यादा चालानी वाले वाहनों की नई चलानी रिपोर्ट तैयार कर न्यायालय को गुमराह करने और इसके जगह सरकारी राजस्व को बड़े पैमाने पर चपत लगाने की डीएम से लेकर सीएम तक पहुंची शिकायत ने एक बार फिर से परिवहन महकमे में हड़कंप की स्थिति पैदा कर दी है।
चंद नोट में ही निपट रहे हजारों के चालान
ट्रक मालिक कल्याण समिति की तरफ से भेजी गई शिकायत में UP-64 तथा UP-65 नंबर वाले एक-एक वाहनों का जिक्र करते हुए बताया गया है कि दलालों के माध्यम से रिश्वत लेकर जिन वाहनों का परिवहन-एम ऐप पर 30 से 60 हजार का चालान पेंडिंग दिखाया जा रहा था। उनकी गलत चालानी रिपोर्ट भेज कर तथा न्यायालय को गलत तथ्यों से अवगत कराकर उन वाहनों का चालान महज कुछ हजार रुपयों में निपटा दिया जा रहा है।
इस तरह खेला जा रहा चालानों को निपटाने का 'खेल'
शिकायत में UP-64 नंबर वाले वाहन का जिक्र करते हुए बताया गया है कि परिवहन-एम ऐप पर अगस्त 2022 के आखिरी सप्ताह में इस वाहन को ब्लैक लिस्ट दिखाया जा रहा था। उक्त वाहन पर 53,500 की चालानी धनराशि भी पेंडिंग थी। इंश्योरेंस छोड़कर अन्य सभी प्रपत्र फेल बता रहे थे। फर्जीवाड़े की दूसरी एफआईआर वर्ष 2023 में दर्ज होने के बाद, जब इस वाहन की स्थिति जांची गई तो पता चला कि गलत चालानी रिपोर्ट के जरिए, काफी कम धनराशि में प्रकरण का निस्तारण कर दिया गया है। कई प्रपत्र फेल रहने के बावजूद महज एक चालान के निस्तारण के जरिए वाहन को ब्लैक लिस्ट से कैसे बाहर किया गया? इस पर सवाल उठाए गए हैं।
इसी तरह UP-65 वाले वाहन का जिक्र करते हुए अवगत कराया गया है कि एक तरफ जहां कई प्रपत्र फेल रहने के बावजूद न्यायालय को गलत चालान रिपोर्ट भेजी गई। वहीं, 2022 में इस वाहन को ब्लैक लिस्टेड भी किया गया। लेकिन ब्लैक लिस्ट तिथि के एक माह पूर्व के न्यायालय के एक आदेश की आड़ लेते हुए फेल प्रपत्रों के बाबत कोई एक्शन लिए बगैर वाहन को रिलीज कर दिया गया। जबकि अभी भी उक्त वाहन का परिवहन-एम पोर्टल पर 27500 का चालान पेंडिंग है।
मंडलायुक्त और डीएम ने मांगी रिपोर्ट
वर्तमान और पूर्व के अधिकारियों तथा कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए ऐसे सभी प्रकरणों की गहन जांच की गुहार लगाई गई है। इसको गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त और डीएम दोनों ने जहां एआरटीओ से जांच आख्या तलब की गई है। वहीं प्रकरण में आवश्यक कदम उठाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इस बारे में एआरटीओ से उनके सेलफोन पर संपर्क साधने की कोशिश की गई तो स्विच्ड आफ उत्तर मिलता रहा।